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UP Election 2022: सपा ने योगेश वर्मा को हस्तिनापुर से उतारा, अतुल प्रधान लड़ेंगे सरधना से, आदिल दक्षिण से चुनावी मैदान में

UP Election 2022: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने रविवार को हस्तिनापुर सीट (Hastinapur assembly seat) से योगेश वर्मा (Yogesh Verma) को प्रत्याशी घोषित किया है।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Shashi kant gautam
Published on: 16 Jan 2022 10:57 PM IST
UP Election 2022: सपा ने योगेश वर्मा को हस्तिनापुर से उतारा, अतुल प्रधान लड़ेंगे सरधना से, आदिल दक्षिण से चुनावी मैदान में
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UP Election 2022 Meerut News: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने रविवार को हस्तिनापुर सीट (Hastinapur assembly seat) से योगेश वर्मा (Yogesh Verma) को प्रत्याशी घोषित किया है। इससे पहले समाजवादी पार्टी सरधना सीट से एक बार फिर अतुल प्रधान को टिकट देने की घोषणा कर चुकी है। अतुल के अलावा मेरठ दक्षिण सीट पर महानगर अध्यक्ष आदिल चौधरी टिकट लेने में कामयाब हुए हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने तीन दिन पहले ही किठौर विधानसभा से पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर तथा शहर सीट से मौजूदा विधायक रफीक अंसारी के नाम का ऐलान कर दिया था।

रविवार को मेरठ के पूर्व विधायक योगेश वर्मा को चुनावी मैदान में उतारने की घोषणा कर दी गई। दौराला के धनजू गांव (Dhanju village of Daurala) निवासी योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा (Yogesh Verma's wife Sunita Verma) वर्तमान में मेरठ नगर निगम की महापौर हैं। योगेश हस्तिनापुर से 2007 में विधायक रह चुके हैं।

योगेश वर्मा ने बसपा से निष्कासित होने के बाद पीस पार्टी से चुनाव लड़ा

2012 के चुनाव में बसपा से निष्कासित होने के बाद पीस पार्टी से चुनाव लड़े थे। दूसरे नंबर पर रहने के बाद उन्होंने बसपा में वापसी की और 2017 के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने बुलंदशहर से मैदान में उतारा लेकिन वह चुनाव हार गए। लोकसभा चुनाव के कुछ माह बाद उन्हें व उनकी महापौर पत्नी को बसपा ने निष्कासित कर दिया था। पिछले साल वह व उनकी पत्नी सपा में शामिल हुए थे। एससी-एसटी आरक्षण मामले पर दो अप्रैल 2018 की हिंसा में उन्हें जेल भेजा गया और रासुका लगाई गई।

अतुल प्रधान लंबे समय से सरधना से किस्मत आजमा रहे हैं

यहां गौरतलब है कि योगेश वर्मा को सपा में शामिल कराने में अतुल प्रधान का विशेष रुप से हाथ रहा है। इसके पीछे का कारण शुद्ध रूप से राजनीतिक समीकरण माना जा रहा है। अतुल प्रधान लंबे समय से सरधना से किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन पराजय ही हाथ लगती है। हस्तिनापुर में योगेश वर्मा का जनाधार रहा, लेकिन जो पार्टी उनके लिए हमेशा मुफीद रही, उसी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। लंबा इंतजार भी चला, लेकिन पार्टी की ओर से नाराजगी की बर्फ नहीं पिघली।

सरधना में 50 हजार के करीब अनुसूचित जाति के वोट

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक सरधना में 50 हजार के करीब अनुसूचित जाति के वोट हैं। दोनों विधानसभा एक-दूसरे से मिली हुई हैं। ऐसे में यदि योगेश का प्रभाव सरधना में सपा के लिए काम आया तो इसका फायदा 2022 में अतुल को मिल सकता है। इसी तरह हस्तिनापुर में 75 हजार के करीब गुर्जर वोट भी हैं। अतुल गुर्जर समाज में पकड़ हमेशा बनाए रखते हैं। ऐसे में अतुल के आह्वान का फायदा योगेश को मिल सकता है। वहीं मुस्लिम, जाट, ठाकुर, यादव व अन्य जातियों के वोट पर भी अदला-बदली की रणनीति सोची गई है।

बता दें कि सरधना विधानसभा सीट से सपा छात्र सभा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अतुल प्रधान वह तीसरी बार चुनाव मैदान में होंगे। इससे पहले 2012 तथा 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के संगीत सोम से शिकस्त का सामना करना पड़ा था। भाजपा ने तीसरी बार संगीत सोम को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि बसपा से संजीव धामा चुनाव मैदान में हैं।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन था

उधर, मेरठ दक्षिण विधानसभा सीट (Meerut South assembly seat) पर सपा ने महानगर अध्यक्ष आदिल चौधरी को प्रत्याशी बनाया। 2012 में भी सपा ने उन्हें इसी सीट से चुनाव मैदान में उतारा था तब वह कोई खास करिश्मा नहीं दिखा सके थे। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी और आजाद सैफ़ी ने चुनाव लड़ा था। भाजपा के डॉ सोमेंद्र तोमर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा ने इस बार जहां फिर से डॉक्टर सोमेंद्र तोमर को प्रत्याशी बनाया है तो वहीं बसपा से कुंवर दिलशाद अली चुनाव मैदान में हैं।

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