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UP Election 2022: मेरठ सिवालखास सीट पर भाजपा व रालोद उम्मीदवार के बीच कड़ी लड़ाई, बसपा, कांग्रेस बनीं वोट कटवा पार्टी

पिछले चुनाव में सपा और रालोद ने जहां अलग-अलग चुनाव लड़े थे, वहीं इस बार ये दोनों पार्टियां एक साथ हैं। भाजपा ने इस सीट से बाजी मारी थी।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Divyanshu Rao
Published on: 26 Jan 2022 2:41 PM GMT
UP Election 2022
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आरएलडी प्रत्याशी गुलाम मोहम्मद और बीजेपी प्रत्याशी महिंदर 

UP Election 2022: पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद की सिवालखास विधानसभा सीट जिले की महत्वपूर्ण सीटों में से है। इस ग्रामीण पृष्ठभूमि वाली सीट की खासियत है कि पिछले छह विधानसभा चुनावों के दौरान कोई भी दल लगातार दूसरी बार यहां से चुनाव नहीं जीत सका है। सिवालखास सीट पर पिछले छह चुनावों में अलग-अलग दल के विधायकों ने विजय पताका फहराई है।

पिछले चुनाव में सपा और रालोद ने जहां अलग-अलग चुनाव लड़े थे, वहीं इस बार ये दोनों पार्टियां एक साथ हैं। भाजपा ने इस सीट से बाजी मारी थी, जबकि सपा दूसरे और रालोद तीसरे नंबर की पार्टी रही थी। ताजा चुनाव में यहां रालोद सिंबल पर चुनाव लड़ रहे सपा के पर्व विधायक गुलाम मोहम्मद व भाजपा के मनिन्दरपाल पाल सिंह के बीच कड़ा मुकाबला होना माना जा रहा है।

बसपा व कांग्रेस को यहां वोट कटवा के रुप में देखा जा रहा है। सिवालखास विधानसभा में क्षेत्र में एक लाख 16 हजार मुस्लिम, 60 से 70 हजार जाट, 48 हजार दलित, 30 हजार त्यागी-ब्राह्माण, 16 हजार गुर्जर, 16 हजार ठाकुर और लगभग 50 हजार में पाल, कश्यप, प्रजापति, सैनी, वाल्मिकि, जोगी आदि आते हैं। यहां करीब चार हजार यादव मतदाता हैं।

सिवालखास सीट आपातकाल से पूर्व परिसीमन मे 1974 में विधानसभा सीट घोषित किया गया। 1974 में विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस विजयी रही। 1977 में जनता दल ने जीत हासिल की। इसके बाद 1980 और 1985 के चुनावों में कांग्रेस के विधायक निर्वाचित हुए, लेकिन पिछले छह विधानसभा चुनावों में सिवालखास पर कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई।

वर्ष 2008 में इस सीट का परिसीमन किया गया। 2017 विधानसभा चुनाव में सिवालखास सीट पर भाजपा के जितेंद्र पाल सिंह उर्फ जितेन्द्र सतवाई विधायक बने। उन्होंने समाजवादी पार्टी के गुलाम मोहम्मद को हराया। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा से गुलाम मोहम्मद विधायक निर्वाचित हुए थे। उन्होंने रालोद के यशवीर सिंह को हराया था। खास बात यह है कि सिवालखास सीट 2007 तक आरक्षित सीट थी, लेकिन 2012 में यह सीट अनारक्षित हो गई। तब से अनारक्षित सीट पर चुनाव हो रहा है।

इस बार सिवालखास सीट पर रालोद के सिंबल पर सपा के पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद चुनावी मैदान में हैं। भाजपा ने निवर्तमान विधायक जितेन्द्र सतवाई का टिकट काट कर जाट समाज के ही मनिन्दरपाल सिंह के उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं बसपा के टिकट पर मुकर्रम अली उर्फ नन्हें खां चुनावी मैदान में हैं।

गुलाम मोहम्मद

कांग्रेस के टिकट पर जगदीश शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। यहां सपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार गुलाम मोहम्मद को को लेकर जिस तरह का विवाद शुरू हुआ है उससे जाट और मुस्लिम समीकरण पर सवाल उठे हैं। पूरे इलाके में गुलाम मोहम्मद का विरोध हो रहा है। खासकर जाट उनकी उम्मीदवारी से खुश नही दिख रहे हैं।

भाजपा इस तनाव का फायदा उठाने की कोशिश में सपा-रालोद के मुस्लिम उम्मीदवारों की प्रोफाइलिंग करके उनके खिलाफ माहौल बनवा रही है। यह अंदेशा जताया जा रहा है कि जिन सीटों पर भाजपा का मजबूत जाट उम्मीदवार होगा और सपा रालोद का मुस्लिम उम्मीदवार होगा वहां जाटों का एकतरफा वोट भाजपा को जाएगा। जहां सपा-रालोद का जाट है वहां उसके वोट मिलेगा लेकिन मुस्लिम उम्मीदवारों होने पर जाट वोट बंटेगा। अब यह देखने की बात होगी कि सिवालखास सीट पर जाट और मुस्लिम समीकरण कितना काम करेगा?

Divyanshu Rao

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