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UP Election 2022: डरे-डरे सरकार नजर आते हैं टिकट कटने के आसार नजर आते हैं

UP Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए भाजपा के आधे से अधिक विधायकों को अपना टिकट कटने का डर सता रहा है।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Shraddha
Published on: 27 Oct 2021 2:59 PM GMT
यूपी विधानसभा चुनाव 2022
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 यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में भाजपा (BJP) के आधे से अधिक विधायकों को अपना टिकट कटने का डर (Vidhayko ko ticket katne ka dar) सता रहा है। इसके लिए बीते तीन दिनों में उत्तर प्रदेश के कई विधायकों ने दिल्ली दरबार में हाजिरी (delhi me hajri) लगानी शुरू कर दी है। दरअसल ये हाजिरी भाजपा के उत्तर प्रदेश चुनाव (UP Election) प्रभारियों की लगातार बैठकों के चलते ज्यादा शुरू हुई हैं। दरअसल, भाजपा के शीर्ष नेता तीन सर्वे करा रहे हैं, जिसमें सर्वे की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए भाजपा प्रत्याशियों के टिकट फाइनल किये जाएंगे? यह भी संभव है कि वेस्ट यूपी से भाजपा के कुछ बड़े नेताओं के नाम टिकट सूची से कट जाए? सीटिंग विधायक भी इसमें शामिल है। ऐसी प्रबल संभावनाएं हैं।

मेरठ की बात करें तो मौजूदा समय में मेरठ की लोकसभा सीट (Meerut Lok Sabha seat) और 6 विधानसभा सीटें (Vidhansbha seat) , जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी भाजपा के खाते में है। टिकट कटने की संभावनाओं में बड़ा नाम हस्तिनापुर से भाजपा विधायक दिनेश खटीक (BJP MLA Dinesh Khatik) बताया जा रहा है जिनको हाल ही में योगी सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया है। सूत्रों द्वारा पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे दिनेश खटीक की छवि बेहतर नही मिली है। दिनेश खटीक पार्टी के ही कई स्थानीय नेताओं के निशाने पर लगातार बने हुए हैं। खटीक के मंत्री पर बनने पर उनके विरोधी नेताओं द्वारा उनके ऊपर कई गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी नेतृत्व के समक्ष अपना विरोध भी दर्ज कराया था। इन नेताओं का कहना है कि जिन्होंने बसपा और सपा सरकार में सड़कों पर लाठियां खाईं, वह अपनी ही सत्ता में साइड लाइन हैं। जो कि पार्टी की सेहत के लिए ठीक नही है।

कैंट सीट से 2002 से सत्यप्रकाश अग्रवाल विधायक हैं। सूत्रों की मानें तो इस बार उनका टिकट कटना तय माना जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह उनकी उम्र है जो कि 80 पार कर गई है। भाजपा की पचहत्तर पार के नेताओं को सक्रिय राजनीति से दूर रखने की अघोषित नीति के तहत पिछले चुनाव में भी सत्यप्रकाश अग्रवाल का टिकट काटा जा रहा था। लेकिन फिर भी किसी तरह उन्होंने ना केवल टिकट हासिल किया बल्कि जीत भी हासिल की। हालांकि पिछली बार की तरह इस बार वें टिकट हासिल कर सकेंगे। उसी संभावना पार्टी सूत्र ना के बराबर बताते हैं।

पिछले चुनाव में किठौर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर को पराजित करने वाले विधायक सत्यवीर त्यागी के टिकट को लेकर संशय बना हुआ है। हालांकि सत्यवीर त्यागी की क्षेत्र में छवि साफ-सुथरी मानी जाती है। लेकिन इस क्षेत्र पर जिस तरह पार्टी के सुरेंद्र नागर समेत कई बड़े नेताओं की नजरें गढ़ी हुई उसको देखते हुए टिकट कटने की संभावनाओं से इंकार नही किया जा सकता है। इस सच्चाई को सत्यवीर त्यागी भी अच्छी तरह से समझते हैं? यही वजह है कि इन दिनों उनका अधिकांश समय दिल्ली या लखनऊ अपना टिकट पक्का करने की कोशिश में गुजर रहा है।

मेरठ में भाजपा सरकार (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

सरधना विधानसभा से लगातार दो बार विधायक बन चुके संगीत सोम अपनी तीसरी जीत को आश्वस्त हो ना हो लेकिन टिकट को लेकर आश्वस्त दिखते हैं। हिंदू नेता के रूप में उनका बड़ा कद भी है। सिवालखास सीट से विधायक जितेन्द्रपाल सिंह उर्फ बिल्लू भाजपा के उन सिटिंग विधायकों में हैं जिनका टिकट कटने की संभावना बताई जा रही है। क्योंकि सर्वे के अनुसार उनकी छवि बेहतर नहीं है। इस सीट पर यूं तो भाजपा के कई नेता दावेदार बताये जा रहे हैं। लेकिन सबसे बड़े दावेदार जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन मन्दिरपाल सिंह हैं। उन्होंने बकायदा क्षेत्र में जनसम्पर्क अभियान भी शुरु कर दिया है।

मुजफ्फरनगर में 7 विधानसभा क्षेत्र है। सभी पर भाजपा का कब्जा है। यहां भी किसान आंदोलन सर्वाधिक भाजपा को नुकसान पहुंचा रहा है। मुजफ्फरनगर में कहीं सीटिंग विधायकों के टिकट कटने की प्रबल संभावनाएं हैं। क्योंकि उनकी छवि सर्वे के अनुसार बेहतर नहीं है। बागपत जनपद की तीनों सीटों पर इस समय भाजपा का ही कब्जा है, वहां पर सिटिंग एमएलए का टिकट बदलने को लेकर घमासान चल रहा है।

बीजेपी सूत्रों का कहना है कि टिकट कटने वाले नेताओं में वे बीजेपी विधायक शामिल हैं जो 2017 विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने के लिए दूसरे दलों से बीजेपी में आए थे, लेकिन आलाकमान की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरे। इनमें कुछ ऐसा नेता भी शामिल हो सकते हैं, जिनका कामकाज संतोषजनक नहीं रहा और वे सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बता दें कि 2017 के चुनाव में बीजेपी की झोली में 312 सीटें आई थीं और 39.67 फीसदी वोट मिले थे। एक बार फिर से बीजेपी उससे बढ़कर जबर्दस्त प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है।

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