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UP Election 2022: सरधना विधानसभा से संगीत सोम की राह इस बार आसान नहीं
अभी तक सपा को यहां से जीत नहीं मिली है। सपा को पहली जीत का इंतजार है। सरधना विधानसभा में किसानों की संख्या ज्यादा है। किसान आंदोलन के बाद से यहां वोटो का ध्रुवीकरण लगभग बदलना तय माना जा रहा है।
UP Election 2022: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले की हॉट सीट माने जाने वाली सरधना विधानसभा भाजपा के कद्दावर विधायक संगीत सोम की वजह से अक्सर चर्चाओं में रहती है। कपड़ा बाजार और गिरजाघर के लिए प्रसिद्ध सरधना में 1993 से 2002 तक भाजपा, 2007 में बसपा और फिर भाजपा के उम्मीदवार जीतते रहे हैं।
अभी तक सपा को यहां से जीत नहीं मिली है। सपा को पहली जीत का इंतजार है। सरधना विधानसभा में किसानों की संख्या ज्यादा है। किसान आंदोलन के बाद से यहां वोटो का ध्रुवीकरण लगभग बदलना तय माना जा रहा है। किसानों की नाराजगी दूर करने के मकसद से ही 2 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी ने मेरठ के सरधना में मेजर ध्यानचंद स्पोर्टस यूनिवर्सिटी का शिलान्यास किया था। यहां 10 फरवरी को मतदान है।
सरधना का इतिहास काफी पुराना है। महाभारत काल में कौरवों ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। मेरठ से सरधना में ऐतिहासिक चर्च भी है। यह विधानसभा क्षेत्र मुजफ्फरनगर लोकसभा का हिस्सा है। 2013 में मुजफ्फरनगर दंगे के बाद सरधना काफी सुर्खियों में रहा था। सरधना से भाजपा विधायक ठाकुर संगीत सोम दंगे के आरोपी बनाए गए थे।
उन्हें जेल जाना पड़ा था। आंकड़ों की बात करें तो इस सीट पर 3 लाख 57 हजार 36 मतदाता हैं। जिनमें से एक लाख 63 हजार 104 मतदाता महिला हैं, जबकि एक लाख 93 हजार 857 मतदाता पुरुष हैं। इस सीट पर सबसे ज्यादा 75 हजार मतदाता मुस्लिम हैं। 50 हजार ठाकुर, 65 हजार दलित, 35 हजार गुर्जर, 30 हजार सैनी, 10 से 15 हजार ब्राह्मण,25 हजार, 15 हजार जाट वोट भी माना जाता हैं।
भाजपा के उम्मीदवार ठाकुर संगीत सोम ने यहां से दो बार जीत दर्ज की। यहां 1993 से 2002 तक भाजपा, 2007 में बसपा और फिर भाजपा के उम्मीदवार जीतते रहे हैं। 2007 विधानसभा चुनाव में बसपा के चौधरी चंद्रवीर सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल की तबस्सुम बेगम को शिकस्त दी थी। भाजपा के विजय पाल सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। पिछले चुनाव की बात की जाए तो भाजपा प्रत्याशी संगीत सिंह सोम ने सपा के अतुल प्रधान को 21,625 वोट के मार्जिन से हराया। भाजपा को 97,921 वोट मिले थे। सपा 76,296 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. बसपा के हाफिज इमरान याकूब तीसरे स्थान पर रहे। 2012 की बात करें तो संगीत सोम ने रालोद के हाजी मोहम्मद याकूब को 12 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था।
संगीत सोम की राह इस बार आसान नहीं होने वाली है। संगीत सोम के सामने सपा के गुर्जर नेता अतुल प्रधान हैं और बसपा से जाट नेता संजीव धामा है। किसान आन्दोलन के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में विधायकों को विरोध झेलना पड़ा था, जिसका असर मेरठ की सरधना विधानसभा में भी देखने को मिला था।
अतुल प्रधान के गठबंधन का प्रत्याशी होने के कारण इस बार मुकाबला भाजपा व सपा के बीच में ही माना जा रहा है। बसपा व कांग्रेस यहां भी कमजोर दिख रही है। अब देखना यही है कि संगीत सोम सरधना से जीत की हैट्रिक लगा पाते हैं अथवा नही। अगर संगीत सोम जीत की हैट्रिक लगा पाने में सफल होते हैं और प्रदेश में सरकार पुनः भाजपा की बनती है तो संगीत सोम का लालबत्ती पाने का सपना भी पूरा हो सकता है।