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UP Election 2022: जाट और मुस्लिम मतदाताओं के इर्द-गिर्द घूम रही पश्चिमी यूपी की सियासत

UP Election 2022: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गृहमंत्री अमित शाह के अलावा खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस इलाके में गली-गली, गांव-गांव घूमकर किसी भी तरह जाटों को मुसलमानें से अलग कर भाजपा के पाले में लाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Shashi kant gautam
Published on: 1 Feb 2022 10:42 AM GMT
UP Election 2022
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UP Election 2022: Design Photo - Newstrack

Meerut News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh) की 26 जिलों की 136 विधानसभा सीटों पर इस वक्त सबकी नजर हैं। क्योंकि पहले और दूसरे चरण में इन सीटों पर मतदान होना है। ताजा हालात की बात की जाए तो इस इलाके की सियासत जाट और मुसलमान मतदाताओं के इर्द-गिर्द घूम रही है। आलम यह है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव (SP chief Akhilesh Yadav) व राष्ट्रीय लोकदल मुखिया जयंत चौधरी (Rashtriya Lok Dal chief Jayant Choudhary) ने जहां अपनी पूरी ताकत जाट और मुसलमानों का ध्रुवीकरण अपने पक्ष में करने के लिए झोंक रखी हैं। वहीं भाजपा की पूरी कोशिश इसको रोकने की है।

दरअसल, 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट-मुसलमान एकता में दरार आ गई थी, जिसकी वजह से जाट बीजेपी (BJP) के साथ चले गए थे। इस वजह से 2014, 2017, 2019 के चुनाव में बीजेपी (BJP) को इस इलाके में अच्छी सफ़लता भी मिली थीं, लेकिन किसान आंदोलन (Kisan Andolan) ने इस दरार को पाटने का काम किया और कई इलाकों में अब वो एकता वापस लौट आई है। इस किसान आंदोलन (kisan Andolan) ने आरएलडी के लिए संजीवनी का काम किया है। इसी बात को लेकर बीजेपी के छोटे-बड़े तमाम नेता बेचैन हैं। बता दें कि आँकड़ों के अनुसार इस इलाके में मुसलमान 32 फ़ीसदी और दलित तकरीबन 18 फ़ीसदी हैं. यहाँ जाट 12 फ़ीसदी और ओबीसी 30 फ़ीसदी हैं।

जाटों को मुसलमानें से अलग कर भाजपा के पाले में लाने की कोशिश

जाटों और मुसलमानों के एक बार फिर साथ आने और सपा-रालोद गठबंधन से भाजपा की बैचेनी इस बात से भी समझी जा सकती है कि भाजपा के चाणक्य कहें जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह के अलावा खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस इलाके में गली-गली, गांव-गांव घूमकर किसी भी तरह जाटों को मुसलमानें से अलग कर भाजपा के पाले में लाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। सपा-रालोद गठबन्धन को लेकर भाजपा नेताओं की घबराहट इस बात से भी अच्छी तरह समझी जा सकती है कि पहले भाजपा सासंद परवेश वर्मा ने जयंत को बीजेपी में आने का ऑफ़र दिया। हालांकि जयंत चौधरी ने उनके ऑफ़र को तुरंत ही ख़ारिज भी कर दिया।

जयंत चौधरी को अपने साथ लाने का पहला प्रत्यक्ष प्रस्ताव फेल होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान इशारों में सही ,लेकिन जयंत को अपने पाले में लाने का प्रयास किया। अमित शाह ने कहा कि 'सपा की सरकार बनी तो जयंत भाई बाहर हो जाएंगे'। उन्होंने कहा कि अभी जयंत हैं और अगर सपा की सरकार बन गई तो आजम खान आ जाएंगे।

जो लोग हमारे साथ और भाजपा के खिलाफ हैं, उन्हें वे लोग बरगलाना चाहते हैं- जयंत

इससे कुछ दिन ही पहले अमित शाह ने जाट नेताओं के साथ बातचीत में कहा था कि जयंत चौधरी के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हैं। जयंत ने अमित शाह की ओर से दिए गए न्योते को फिर से खारिज करते हुए कहा- भाजपा के दिल में मेरे और किसानों के लिए कोई जगह नहीं है। अमित शाह के बयान पर जयंत ने कहा- जो लोग हमारे साथ और भाजपा के खिलाफ हैं, उन्हें वे लोग बरगलाना चाहते हैं। वे उन्हें संदेश देना चाहते हैं कि इनका वोटर हमारे साथ हैं। बकौल जयंत, वे कोई चवन्नी नहीं हैं, जो पलट जाएंगे। ।

जाट वोटों की चिंता भाजपा नेताओं के बयानों से बार-बार झलक रही है। जैसा कि अमित शाह ने मुजफ्फरनगर में चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि यह वीरों की भूमि है। जाट समाज के बच्चे सुरक्षा बलों में दिखाई पड़ते हैं। कहीं भी जाओ पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के युवा मिल जाएंगे। जाट समाज के बच्चे सुरक्षा बलों में दिखाई पड़ते हैं। कहीं भी जाओ पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के युवा मिल जाएंगे। हालांकि,भाजपा के जाट नेताओं का दावा है कि जाट पहले भी भाजपा के थे और आज भी है। लेकिन उनके इस सवाल का कोई जवाब नही है कि अगर जाटों का पहले से समर्थन बीजेपी के पास है तो फिर भाजपा जाट वोंटों के लिए इतनी परेशान क्यों है।

क्यों भाजपा नेताओं की तरफ से जयंत को ऑफ़र दिए जा रहे हैं ?

उल्लेखनीय है कि पश्चिमी उत्तरप्रदेश के 26 जिलों में विधानसभा की 136 सीटें हैं। जाट समुदाय की कुल वोटों में करीब 17 फीसदी हिस्सेदारी है। यहां की करीब 120 विधानसभा सीटों पर उनका असर दिखता है। इनमें से 30 विधानसभा सीटों पर तो वे निर्णायक स्थिति में है। वेस्ट यूपी में मुस्लिम आबादी भी 27 फीसदी है। 2022 के चुनाव में मुस्लिम वोटों का ज्यादातर झुकाव समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन की ओर देखा जा रहा है। हालांकि बसपा मुखिया मायावती की नजरें भी मुसलमानों पर हैं। यही वजह है कि बसपा ने इस इलाके में मुसलमानों को काफी टिकट दिए हैं।

अब,कामयाबी का सेहरा किसके सिर बंधेगा यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे। 10 फरवरी को उत्तर प्रदेश में पहले चरण की वोटिंग में इस इलाके की 58 सीटों पर मतदान होना है।

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Shashi kant gautam

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