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Saharanpur News: मौलाना अरशद मदनी बोले देवबंद को तालिबान से जोड़ना गलत

Saharanpur News: मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि कुछ फिरकापरस्त ताकतें बेवजह यह भरम फैला रही है कि तालिबानी देवबंद के पढ़े हुए हैं। सच यह है कि तालिबानी नहीं बल्कि उनके पूर्वजों ने देवबंद में तालीम ली थी।

Neena Jain
Written By Neena JainPublished By Pallavi Srivastava
Published on: 21 Aug 2021 8:18 AM IST
Maulana Arshad Madani
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जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी pic(social media)

Saharanpur News: जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि तालिबान का देवबंद और दारुल उलूम से कोई ताल्लुक नहीं है। तालिबान को देवबंद से जोड़ना गलत है। बल्कि तालिबानी देवबंद के महान स्वतंत्रता सेनानी शेखुल हिंद की तहरीक रेशमी रुमाल से जुड़े लोगों की औलादें या उनकी औलादों की औलादें हैं।

आपको बता दें कि जारी बयान में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि कुछ फिरकापरस्त ताकतें बेवजह यह भरम फैला रही है कि तालिबानी देवबंद के पढ़े हुए हैं। सच यह है कि तालिबानी नहीं बल्कि उनके पूर्वजों ने देवबंद में तालीम ली थी। मुल्क की जंग ए आजादी की एक बड़ी मुहिम को चलाने वाले शेखुल हिंद हजरत मौलाना महमूद हसन देवबंद के थे। और उन्होंने ही अफगानिस्तान पहुंचकर इस तहरीक का बड़े पैमाने पर संचालन किया था। उस समय इस मुहिम से जुड़े लोगों ने शेखुल हिंद को अपना आदर्श माना। उसके बाद उन्होंने आजादी की अलख को अपने अंदर जलाया।

तालिबान सदस्य (File Photo)pic(social media)

जहां तक मेरी जानकारी में है अब उस तहरीक से जुड़े लोग जिंदा नहीं है। अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा कब्जा किए जाने पर मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मेल मिलाप किसी भी तबके के लिए मायने रखता है। उनके मुल्क के अंदर भी अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक मौजूद हैं। अगर वह सभी के लिए समानता अपनाते हैं तो हम उनकी तारीफ करेंगे। लेकिन अगर भेदभाव करते हैं और अपनी बातों पर खरा नहीं उतरते तो पूरी दुनिया के साथ हम भी उनकी मुखालिफत करेंगे।

मौलाना अरशद मदनी ने दारुल उलूम को दहशतगर्दी का अड्डा बताने वालों के प्रति सख्त नाराजगी जताते हुए कहा कि हमारी तालीम खुले पन्नों की तरह है जिन्हें कोई भी आकर पढ़ सकता है। दारुल उलूम के दरवाजे हमेशा सभी के लिए खुले हुए हैं। दारुल उलूम ने हमेशा प्यार मोहब्बत अमन और भाईचारे की तालीम दी है। यही वजह है कि पूरी दुनिया में इस्लाम जंगल में आग की तरह तेजी से फैला है। यहां से शिक्षा लेकर लोग दुनिया भर में अमन का पैगाम दे रहे हैं।

Pallavi Srivastava

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