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Navratri Akal Puja: सप्तमी पर जानिये मां की अकाल पूजा कैसे करें, पूरी होगी मनोकामना
अकाल पूजा अक्सर बंगाल में होती है लेकिन अब उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में भी मां के इस रूप की पूजा हो रही है। पंडित योगेश दीक्षित ने बताया कि सिद्ध पीठ भूतेश्वर मंदिर में नवरात्रि के दिनों में अकाल पूजा (Navratri Akal Puja) होती है।
Saharanpur Navratri Akal Puja: आपने अक्सर नवरात्र के दिनों में माता के आभायुक्त मुख मंडल को देखा होगा। लेकिन इसी शरद पूर्णिमा नवरात्रों मां के कैसे रूप की भी पूजा होती है, जिसे अकाल पूजा कहा जाता है यह पूजा अक्सर बंगाल में होती है लेकिन अब उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में भी मां के इस रूप की पूजा हो रही है। इस विधि में माता का चेहरा ढका हुआ रहता है। जब हमने इस बारे में पंडित योगेश दीक्षित से बात की, तो उन्होंने बताया कि सिद्ध पीठ भूतेश्वर मंदिर में नवरात्रि के दिनों में अकाल पूजा (Navratri Akal Puja) होती है।
राम ने की थी अकाल पूजा (Navratri Akal Puja) की शुरुआत
(Navratri Akal Puja) अकाल नवरात्रि पूजा सहारनपुर में होना इधर प्रारंभ हुआ है। पहले यह पूजा केवल बंगाल में ही होती रही है। उन्होंने बताया कि इस पूजा की शुरुआत भगवान श्रीराम ने उस समय की थी जब उन्हें लंका पति रावण से युद्ध करना था। चारों वेदों का ज्ञाता रावण ब्राह्मण जाति का था, जिससे श्री भगवान श्रीराम को ब्रह्म हत्या का भी पाप लगा था, ऐसे में मां की उन्होंने अकाल पूजा शुरू की। इस पूजा में उन्हें 108 कमल के फूल मां को अर्पित करने थे, माता का प्रताप देखिए उन्होंने प्रभु की परीक्षा लेने के लिए कमल का फूल एक कम कर दिया, जिस पर प्रभु श्री राम ने पूजा करते समय देखा कि एक फूल कम है तो उन्होंने ध्यान किया कि उन्हें भी तो कमलनयन कहा जाता है, जिस पर उन्होंने अपने नेत्रों को मां को अर्पण करने के लिए तीर उठा लिया, तभी मां प्रगट हो गई और उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया।
पंडित योगेश दीक्षित ने बताया कि इस पूजा में सप्तमी के दिन मां का आवाहन किया जाएगा, दशमी के दिन मां का विसर्जन किया जाएगा। उससे पूर्व माता का सप्तमी के दिन महिलाओं द्वारा अंजन किया जाएगा। माता को सजाया जाएगा। उनकी यहां पर प्रतिष्ठा की जाएगी कलश स्थापित किया जाएगा। उनकी पूजा-अर्चना की जाएगी।
Navratri Akal Puja केवल शरद नवरात्र में
उन्होंने बताया कि यह पूजा केवल शरद नवरात्रों में ही की जाती है। माता के समक्ष 10 कलश स्थापित किए जाने के बारे में बताया कि दसों दिशा के देवी देवताओं का आह्वान करते हुए यह कलश स्थापित किए गए हैं। इस मंशा के साथ कि वह सर्व कल्याण करें। उन्होंने बताया कि यह अखंड ज्योत मां वैष्णो देवी से लाई गई है। मां वैष्णो देवी की कृपा से ही यहां पर मां वैष्णो देवी का साकार रूप उकेरा गया है। उसी के सभी श्रद्धालु दर्शन कर अपनी मन्नते मांग रहे हैं। इसी मनौती के स्वरूप यहां पर 250 दिव्य अखंड ज्योति प्रज्वलित किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि यह संख्या 108 आती है लेकिन श्रद्धालुओं की मंशा को देखते हुए यह संख्या लगातार बढ़ती गई और 250 हो गई।