Shamli News: कैराना की अनूठी मिसाल, रामलीला में राम, रावण के साथ काल, जुलूस में शामिल होते हैं हिंदू व मुसलमान

Shamli News: धार्मिक आस्था ही कहें कि लोगों में काल के हाथ से मार खाने की होड़ मची रहती है। दिलचस्प यह है कि इस जुलूस में हिंदू व मुसलमान दोनों होते हैं।

Pankaj Prajapati
Report Pankaj PrajapatiPublished By Monika
Published on: 29 Sep 2021 4:03 PM GMT (Updated on: 30 Sep 2021 9:50 AM GMT)
religious belief
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काल बनाने की परंपरा 

Shamli News: यहाँ रामलीला में राम , रावण ही नहीं काल बनाने की भी परंपरा (kaal banane ki parampara) है। अंतर बस इतना है कि काल रामलीला (Ramlila) से ठीक एक दिन पहले बनाने और उसका जुलूस (juloos) निकालने की परंपरा है। काल बनाने के लिए आदमी को काले रंग से पोतते हैं। उसे काले कपड़े पहनाते हैं । फिर हाथ में लकड़ी की तलवार लेकर जुलूस के शक्ल में उसे पूरे बाज़ार में घुमाया जाता है। काल अपने पीछे आती भीड़ पर लकड़ी की तलवार से वार भी करता है। पर इसे धार्मिक आस्था (religious belief) ही कहें कि लोगों में काल के हाथ से मार खाने की होड़ मची रहती है। दिलचस्प यह है कि इस जुलूस में हिंदू व मुसलमान दोनों होते हैं। दोनों ही समुदाय काल की मार को प्रसाद मान कर ग्रहण करते हैं। यह परंपरा सदियों पुरानी है।

महाभारत काल में लड़ाई में जाते वक्त कर्ण ने जिस स्थान पर रात्रि विश्राम किया था, उसका नाम कर्ण नगरी पड़ा। बाद में यही बदलते बदलते कराना व कैराना हो गया। शामली जनपद के मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर स्थित इस नगरी में दोनों संप्रदाय के लोगों ने सांप्रदायिक सौहार्द की अनोखी मिसाल कायम कर रखी है।

कैराना में इस रामलीला का आयोजन कई सालों से किया जाता है । जिस व्यक्ति को काल बनाया जाता है, वह सबसे पहले काली माता के मंदिर में जाता है। काली माता की पूजा करने के बाद कॉल नगर में निकल पड़ता है, भागता दौड़ता रहता है। लोगों को लकड़ी की तलवार से मारता भी है। किसी व्यक्ति के पकड़कर काल उससे चिपक भी जाता है।उसके कपड़े काले भी कर देता है । इस प्रथा को लोग भगवान का प्रसाद समझते हैं वे लोग काले कपड़े करवाने के बाद भी उनको पैसे देते हैं।

रावण ने शक्ति के बल पर कॉल को बंदी बनाया था

कुछ लोगों का मानना है कि रामायण काल में लंका के राजा रावण ने अपनी शक्ति के बल पर कॉल को बंदी बना लिया था, क्योंकि रावण को घमंड था जब यह काल उसका बंदी है तो उसका कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता । उसी परंपरा के आधार पर रामलीला के शुरू में ही काल को निकाला जाता है, जिसे बाद में रावण द्वारा बंदी बना लिया जाता है। जब भगवान श्री राम लंका पर चढ़ाई कर रावण से युद्ध करते हैं, तब रावण के विनाश के बाद काल को मुक्त भी कराया गया। यहाँ भी यही किया जाता है। शामली के कैराना में जहां 95 फ़ीसद मुस्लिम है, वहां यह अनोखी रामलीला करीब 91 वर्षों से चल रही है।

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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