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UP Election 2022: शामली की इस सीट पर होगी रोचक लड़ाई
UP Election 2022 : शामली के थाना भवन क्षेत्र में गन्ने के खेत और गन्ना लदे ट्रक एक आम नजारा होते हैं। इसी थाना और भवन सीट पर इस बार गन्ने की मिठास और राजनीति की कड़वाहट का रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा।
UP Election 2022 :पश्चिम उत्तर प्रदेश गन्ने की खेती और उससे जुड़ी पॉलिटिक्स के लिए मशहूर है। इसी क्षेत्र में है शामली, जहां के थाना भवन क्षेत्र में गन्ने के खेत और गन्ना लदे ट्रक एक आम नजारा होते हैं। इसी थाना और भवन सीट पर इस बार गन्ने की मिठास और राजनीति की कड़वाहट का रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा।
किसान विरोध की पृष्ठभूमि में यहां चुनावी लड़ाई तय
शामली जिले के तीन विधानसभा क्षेत्रों में से एक, थाना भवन यूपी के गन्ना विकास मंत्री और दो बार के भाजपा विधायक सुरेश राणा का गृहनगर है। स्थानीय किसानों के बकाया गन्ना बकाया और तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर के किसान विरोध की पृष्ठभूमि में यहां गहरी चुनावी लड़ाई तय है। मिश्रित आबादी वाले इस क्षेत्र में 10 फरवरी को मतदान होना है।
2017 के चुनावों में 50,000 मतों के अंतर से हराया था
अभी तक भाजपा के सुरेश राणा और जलालाबाद नगर निकाय के पूर्व अध्यक्ष रालोद के अशरफ अली के नाम की घोषणा उम्मीदवारों के रूप में की गई है। 2017 के चुनावों में सुरेश राणा ने बसपा के अब्दुल वारिस खान को लगभग 50,000 मतों के अंतर से हराया था। हालांकि, 2012 के चुनावों में सुरेश राणा, रालोद उम्मीदवार अशरफ अली से महज 265 वोटों से हार गए थे। अब फिर दोनों आमने सामने हैं। जहां तक स्थानीय निवासियों की बात है तो उनकी मुख्य शिकायत यह है कि सरकारी अधिकारियों के दावों के बावजूद महीनों से किसानों का गन्ना बकाया नहीं चुकाया गया है।
शामली में गन्ने की बिक्री का एक प्रमुख स्रोत
किसानों का कहना है कि उनके स्थानीय विधायक और मंत्री सुरेश राणा थाना भवन में स्थित बजाज चीनी मिल जैसी मिलों से बकाया दिलाने के लिए और अधिक कर सकते थे। बजाज चीनी मिल पश्चिम यूपी में सबसे बड़ी है और शामली में गन्ने की बिक्री का एक प्रमुख स्रोत है। किसानों का कहना है कि स्थानीय लोगों में बकाए को लेकर समान रूप से असंतोष है। दूसरी ओर रालोद के उम्मीदवार अशरफ अली, अपनी पार्टी के समाजवादी पार्टी के साथ हुए गठबंधन से उत्पन्न तनाव और नाराजगी से जूझ रहे हैं। दरअसल, पश्चिम यूपी में टिकट बंटवारे पर दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच दरार पैदा हो गई है। सपा समर्थकों का कहना है कि उनके स्थानीय नेता शेर सिंह राणा को थाना भवन सीट से टिकट दिए जाने की उम्मीद थी, लेकिन सपा-रालोद गठबंधन होने पर अशरफ अली को मैदान में उतारा गया है।
गठबंधन के सीट बंटवारे पर नाराजगी के चलते कुछ दिनों पहले ताहोदी में एक महापंचायत आयोजित की गई थी, जिसमें शेर सिंह से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का आग्रह किया गया था। लोगों का कहना है कि शेर सिंह राणा का समर्थन बड़े पैमाने पर है। यदि उन्हें थाना भवन से सपा का टिकट दिया जाता तो संभव है कि वह जीत जाते। शेर सिंह राणा पर उनके समर्थकों का दबाव है कि वे निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतरें। सुरेश राणा और शेर सिंह राणा, दोनों ही राजपूत समुदाय से हैं। इस समुदाय का इस निर्वाचन क्षेत्र में महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रभाव है।
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