TRENDING TAGS :
UP: पान की पीक लगा रही हर माह लाखों का चूना, तो क्या ऐसे बनेगा स्मार्ट सिटी
एक तरफ इन्वेस्टर्स समिट के लिए शहर को दुल्हन की तरह सजाया संवारा जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ शहर वालों की कहीं भी थूकने की आदत से रोजाना लाखों का नुकसान हो रहा है। लखनऊ मेट्रो इससे सबसे जयादा परेशान है। इसके आलावा नगर निगम, एलडीए और पीडब्लूडी को भी शहर के थूकने की आदत हर महीने लाखों का चूना लगा रही है।
लखनऊ: एक तरफ इन्वेस्टर्स समिट के लिए शहर को दुल्हन की तरह सजाया संवारा जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ शहर वालों की कहीं भी थूकने की आदत से रोजाना लाखों का नुकसान हो रहा है। लखनऊ मेट्रो इससे सबसे ज्यादा परेशान है। इसके आलावा नगर निगम, एलडीए और पीडब्लूडी को भी शहर के थूकने की आदत हर महीने लाखों का चूना लगा रही है।
इन्वेस्टर्स समिट के लिए शहर सज रहा है, सड़कें साफ़ हो रही हैं, धुलाई, रंगाई, पुताई की जा रही है लेकिन पान और गुटखा खाकर लोग इस संवारते शहर को बिगड़ रहे हैं। इसलिए हम लखनऊ को स्वच्छ बनाने का एक अभियान चला रहे हैं। जिसमें आपकी भागीदारी जरुरी है, तो हो जाइये तैयार और शहर में कहीं दिखे गंदगी, कहीं मिलें पान गुटखा खाकर थूकने वाले लोग तो अपने स्मार्ट फोन का यूज कीजिए। एक तस्वीर, वीडियो newstrack.com के ईमेल आईडी newstrack.hindi@gmail.com, newstrack.english.com या वॉट्सअप- 9899413456 कीजिए। आपकी ज़रा सी जागरूकता न सिर्फ शहर को स्वच्छ बनाएगी बल्कि देश-विदेश आने वाले मेहमानों की नजर में भी हमारे शहर का सम्मान बढ़ेगा।
थूकिए की आप लखनऊ में हैं
शहर के अधिकारियों को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए, क्योंकि जहां एक तरफ रंगाई पुताई हो रही हैं। वहीं कुछ ही देर बाद पान और गुटखा खाने वाले अपनी पीक से सड़क, डिवाइडर और फ्लाईओवर की दीवारों को रंग दे रहे हैं। कुछ दिन पहले ही हजरतगंज में काले-सफेद रंग से चमकाए गए डिवाइडर पीक से बदरंग हो गए हैं। केवल यहीं नहीं, लोहिया पथ, अशोकमार्ग, गोमतीनगर में भी स्थितियां ऐसी ही बनती जा रही हैं।
हर माह होता है 10 लाख खर्च
लखनऊ मेट्रो हर महीने पान की पीक साफ करने पर 10 लाख खर्च करता है। वहीं एलडीए, पीडब्लूडी और नगर निगम का खर्च जोड़ दे तो यह आंकड़ा 30 से 40 लाख रुपए होता है। हालांकि नगर निगम, पीडब्लूडी और एलडीए किसी ख़ास मौके पर ही खर्च करते हैं। यही हाल रहा तो बाहर से आने वाले अतिथियों को शहर नहीं सिर्फ पान की पीक ही दिखाई देगी।
लगाना चाहिए जुर्माना
अभी तक नगर निगम, एलडीए और अन्य संस्थाओं की ओर से करीब तीन करोड़ रुपए से ज्यादा का काम सफाई और रंग रोगन का कराया गया है। लेकिन यह सब बर्बाद होता दिख रहा है। सिर्फ मेट्रो अधिकारियों की मानें तो मेट्रो की बैरिकेटिंग पर पीक की सफाई पर 10 लाख रुपए से ज्यादा की रकम हर महीने खर्च होती है।
तुरंत सख्ती की जरुरत
नगर निगम और एनजीटी के नियमों के मुताबिक, सार्वजनिक स्थल पर थूकने या उसे गंदा करने पर 500 से लेकर 5 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। लेकिन अभी तक एक रुपये भी जुर्माना किसी से नहीं वसूला गया है। इस आदत पर तुरंत सख्ती की जरुरत है।