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ऑक्सीजन व बेड के अभाव में रुक रही सांसें, घर में कैद हुए जनप्रतिनिधि
कोरोना से लोगों की जान जा रही है, हॉस्पिटल में बेड नहीं मिल रहे वहीं जनता की सेवा का दावा करने वाले जनप्रतिनिधि गायब हैं
अंबेडकर नगर: कोरोना संक्रमण से जिले में त्राहि-त्राहि मची हुई है, गांवों व कस्बो में बड़ी संख्या में संक्रमित लोगों की मौत हो रही है, संक्रमित मरीज आक्सीजन व बेड के लिये अस्पतालों में मारे मारे फिर रहे हैं, अस्पतालों की दहलीज पर लोगों की मौत हो रही है, लेकिन अफसोस यह है कि जनता के नुमाइंदे जनता के बीच से गायब हो चुके हैं। जिस जनमानस ने उन्हें अपना अमूल्य मत देकर जन सेवा का मौका दिया था, जन सेवा को ही अपना मूल उद्देश्य बता कर इन माननीयों ने जनता के समक्ष घुटने देखे थे, आज वही माननीय आम जनमानस की पीड़ा पर उनके दुख को समझने और उसका निवारण करने का प्रयास करने के बजाए घर के अंदर दुबक कर बैठे हुए हैं।
ऐसा लगता है कि इन माननीयों को आने वाले समय में जनता का सामना नहीं करना पड़ेगा लेकिन हकीकत यही है यह ज्यादा दिन दूर नहीं जब यही माननीय जल्द ही पुनः जनता के बीच आएंगे और यही जनता अब उनसे उनके कार्यों का उनकी मानवीय संवेदनाओं का एक-एक करके हिसाब मांगेगी। बात सत्ता पक्ष अथवा विपक्ष की नहीं है, बात हर उस दल के जनप्रतिनिधि की है जिसे जनता ने चुना है। वह चाहे सांसद हों अथवा विधायक हो अथवा विधान परिषद सदस्य हैं, आज के समय में हर कोई जनता के बीच से गायब हुआ दिख रहा है।
टांडा की विधायक संजू देवी , आलापुर की विधायक अनीता कमल, अकबरपुर के विधायक राम अचल राजभर का कहीं पर अता पता नहीं है। आलापुर की विधायक के बारे में बताया जाता है कि वह कभी कभार शादी समारोहों में दिख जाया करती हैं। बात कटेहरी विधायक की करें तो वह खुद ही कोरो ना संक्रमण की चपेट में आ चुके थे। जलालपुर के विधायक सुभाष राय कुछ हद तक जनता के बीच में पहुंचकर उनका दर्द बांटने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन कोरोना संक्रमण के पीड़ितों से उनका भी कोई खास सरोकार नहीं देखा जा रहा है। सांसद रितेश पांडे भी कोरोना संक्रमित होकर स्वास्थ्य लाभ कर रहे है। सन्त कबीर नगर क्षेत्र के सांसद प्रवीण निषाद के लापता होने का पोस्टर ही सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
गौरतलब है कि संत कबीर नगर लोकसभा क्षेत्र में ही अंबेडकर नगर जिले का आलापुर विधानसभा क्षेत्र आता है। ऐसे में आलापुर विधानसभा क्षेत्र के लोग भी सांसद के गायब रहने की बात खुलकर कह रहे हैं। ऐसे समय में जब लोग एक ऐसी जानलेवा महामारी से जूझ रहे हैं उस विपदा भरे दौर में जनप्रतिनिधियों का जनता के बीच से गायब हो जाना मानवीय संवेदनाओं का एक घिनौना उदाहरण है। वर्तमान जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ पूर्व जनप्रतिनिधियों ने भी जनता की समस्याओं व जनता के दर्द से मुंह मोड़ रखा है। ले देकर आम जनता ने जिसे अपना समझकर अपना नेता चुना था ,आज उनके दर्द में वह सब पर्दे के पीछे पहुंच चुके हैं तथा जनता अपने दर्द को अकेले सहने और जूझने को मजबूर है।