TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

ग्रामीण भारत की असली तस्वीर: 45 गांव के लोगों का एक ही रास्ता, वो भी बस ढाई फीट

देश को ब्रिटिश शासन से आजाद हुए 69 साल बीत चुके हैं। 21वीं सदी में सरकारी उदासीनता और अधिकारियों की लापरवाही का इससे बड़ा उदाहरण और क्या होगा कि गोरखपुर मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ढाई फीट का रास्ता जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की दास्तां बयां करता है।

tiwarishalini
Published on: 13 Nov 2016 3:32 PM IST
ग्रामीण भारत की असली तस्वीर: 45 गांव के लोगों का एक ही रास्ता, वो भी बस ढाई फीट
X

ग्रामीण भारत की असली तस्वीर: 45 गांव के लोगों का एक ही रास्ता, वो भी बस ढाई फीट सकरे रास्ते से निकलने को मजबूर ग्रामीण

गोरखपुर: देश को ब्रिटिश शासन से आजाद हुए 69 साल बीत चुके हैं। 21वीं सदी में सरकारी उदासीनता और अधिकारियों की लापरवाही का इससे बड़ा उदाहरण और क्या होगा कि गोरखपुर मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ढाई फीट का रास्ता जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की दास्तां बयां करता है। इस रास्ते से होकर 45 गांव के लगभग 3 लाख लोग रोज शहर की ओर आते-जाते हैं।

हम बात कर रहे हैं गोरखपुर के पश्चिमांचल में बसे कोलिया गांव सहित उन साठ गांवों की, जहां रहने वाले लोगों को शहर आने और फिर गांव वापस जाने के लिए रोज मुसीबतों से दो-चार होना पड़ता है। ऐसा पहले नहीं था। इन सभी गांव के लोग 5-6 साल पहले तक खुशहाल थे। जब पूर्वोत्तर रेलवे की ओर से दोहरीकरण का काम शुरू हुआ, तो इन सभी गांव को जाने वाली सड़क दोहरीकरण के कारण सकरी हो गई। रेलवे पुल बना तो रास्ता भी बस ढाई फीट का ही बचा।

उस दौरान रेलवेे के अधिकारियों ने आश्वासन दिया था, कि बाद में इसका कोई विकल्प निकाला जाएगा लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और गांव के लोगों को पिछले 5-6 साल से इसी रास्ते का गांव में आने-जाने के लिए इस्तेमाल करना पड़ता हैं। इतना ही नहीं इस गांव मे बीजेपी एमपी योगी आदित्यनाथ का भी दौरा आए दिन होता है लेकिन क्या उनकी भी नजर ग्रामीणों के साथ हो रहे दिक्कतों पर नहीं पड़ रही है ?

कोलिया गांव के पूर्व ग्राम प्रधान राजकुमार राजभर बताते हैं कि ढाई फीट का रास्ता होने के कारण बस एक ही ओर से कोई दो पहिया वाहन और साइकिल इस पार से उस पार जा सकती है। इसकी लंबाई 30 मीटर के करीब है। कई बार तो ऐसा होता है कि गांव में गंभीर रूप से बीमार हुए मरीज को चारपाई पर लादकर रास्ता पार कराना पड़ता हैं। प्रेग्नेंट महिलाओं को इमरजेंसी में हॉस्पिटल ले जाने में भी काफी कठिनाई झेलनी पड़ती है। इस ढाई फीट के रास्ते से पहले निकलने के लिए आए दिन झगड़े होते हैं। वहीं कई बार तो लोग दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं।

वहीं ग्रामीण आनंद राजभर बताते हैं कि गांव 50 से 60 ग्रामसभा के लोग इसी ढाई फीट के रास्ते का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर हैं। वह बताते हैं कि जबसे रेल का दोहरीकरण हुआ है, कई दुर्घटनाएं हो रही हैं। जो भी जनप्रतिनिधि हैं उनके कान पर जूं नहीं रेंग रही है। यही कारण है कि गांव में बिजली भी नहीं पहुंच पा रही है। डीएम से लेकर अन्य अधिकारियों के पास भी गुहार लगाने के बावजूद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

दरअसल जब रेलवे ने दोहरीकरण किया, तो लोगों को इस बात का विश्वास था कि कोई न कोई विकल्प निकाला जाएगा। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और जिन अधिकारियों ने आश्वासन दिया था वह भी अपने वादे से मुकर गए। लोकसभा सदर और गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में आने वाले इन गांवों की तकदीर भी इसी ढाई फीट के रास्ते पर टिकी है।

आगे की स्लाइड्स में देखिए फोटोज gorakhpur-02

gorakhpur-03

gorakhpur-04

gorakhpur-05

gorakhpur-06

gorakhpur-07



\
tiwarishalini

tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

Next Story