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हाईकेार्ट ने नाबालिग को 21 हफ्ते का गर्भ गिराने की दी अनुमति
इलाहाबाद हाईकेार्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 21 सप्ताह की गर्भवती नाबालिक रेप पीड़िता को गर्भपात कराने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने यह निर्णय पीड़िता की मानसिक व शारीरिक स्थिति को देख हुए पारित किया।
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकेार्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 21 सप्ताह की गर्भवती नाबालिक रेप पीड़िता को गर्भपात कराने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने यह निर्णय पीड़िता की मानसिक व शारीरिक स्थिति को देख हुए पारित किया। यह आदेश जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय व जस्टिस आलेाक माथुर की बेंच ने पीड़िता की ओर से उसके पिता द्वारा दाखिल रिट याचिका पर सुनवायी करते हुए पारित किया।
कोर्ट ने इसके साथ सरकार को आदेश दिया कि नियमानुसार पीड़िता को मुआवजा दिया जाये। केार्ट ने गर्भपात करने के बाद उसके भ्रूण के अवशेष को सुरक्षित रखने का भी आदेश है ताकि आवश्यकता पड़ने पर आपराधिक मामले की विवेचना के लिए उसका प्रयोग किया जा सके।
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दरअसल याचिका पेश कर पीड़िता की ओर से कहा गया था कि वह 15 साल की नाबालिग है। उसके साथ जबरन रेप किया गया था जिसके बाद वह गर्भवती हो गयी। कहा गया कि रेप के मामले में उसकी ओर से प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी है। पीड़िता के वकील ने कहा कि चूंकि मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत 20 सप्ताह के भ्रूण को ही गिराने की अनुमति दी जा सकती है। अतः विशेष परिस्थितियेां में कोर्ट ही पीड़िता को गर्भपात कराने की इजाजत दे सकती है।
इस पर कोर्ट ने 17 जुलाई को आदेश पारित कर केजीएमयू से पीड़िता का गर्भपात कराने के बावत संभावना तलाशने का आदेश दिया था। केजीएमयू के चार डाक्टरों के पैनल ने अपनी रिपेार्ट तैयार की जिसे केजीएमयू के वकील अभिनव एन त्रिवेदी ने कोर्ट को गुरूवार को पेश कर दी थी। जिसके बाद कोर्ट ने वरिष्ठ वकीलों जेएन माथुर एवं बुलबुल गोदियाल को एमीकस क्यूरी नियुक्त करके उनसे मामले में जरूरी मदद करने केा कहा। दोनों वरिष्ठ वकीलों ने शुक्रवार को कोर्ट से कहा कि यदि कोर्ट चाहे तो पीड़िता की शारीरिक व मानसिक बेहतरी के लिए उसे अभी भी गर्भपात कराने की अनुमति दे सकती है।
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इस बीच रेप केस के मुख्य अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता चंदन श्रीवास्तव व योगेश सेामवंशी ने केार्ट से गुजारिश की कि यदि कोर्ट पीड़िता केा गर्भपात कराने की इजाजत देती है तो गर्भ के अवशेष को सुरक्षित रखा जाये, क्योंकि मुख्य अभियुक्त अजन्मे संतान का बायोलाजिकल पिता होने से इंकार कर रहा है।
कोर्ट ने इसके बाद शासकीय अधिवक्ता विमल श्रीवास्तव को बुलाया और उनकी दलीलों को सुनने के बाद भू्रण के अवशेष को विवेचना हेतु सुरक्षित रखने का आदेश पारित कर दिया। कोर्ट ने पीड़िता को गर्भपात कराने के लिए शुक्रवार को ही केजीएमयू में एडमिट होने को कहा।