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AIMPLB ने खारिज किया समान नागरिक संहिता का प्रस्ताव, SC पर निगाह
लखनऊ: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने केंद्र सरकार के समान नागरिक संहिता के प्रस्ताव को पूरी तरह से नकार दिया है। बोर्ड ने शनिवार को कहा कि हिंदुस्तान में मुसलमान अपने पर्सनल ला में कोई भी हस्तक्षेप सहन नहीं करेंगे।
समान नागरिक संहिता नामंजूर
-पर्सनल ला बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक ने Newztrack से कहा कि मोदी सरकार ने विधि आयोग को समान नागरिक संहिता के बारे में कानूनी राय लेनी की सिफारिश की है।
-उनका कहना है कि देश के मुसलमान शरीयत कानून में कोई भी दखल सहन नहीं करेंगे।
-उन्होंने मोदी सरकार के इस कदम को यूपी समेत अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले राजनीतिक चाल करार दिया।
-शिया धर्म गुरू का कहना था कि यदि ऐसा किया गया तो ये मोदी सरकार का आत्मघाती कदम होगा।
-इसे हिंदू ही नहीं बल्कि अन्य सम्प्रदायों के अल्पसंख्यक भी इसे मंजूर नहीं करेंगे।
-समान नागरिक संहिता जैसा कानून देश के धर्म निरपेक्ष ढांचे पर चोट करने वाला होगा।
ध्रुवीकरण का आरोप
-मुस्लिम लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि बोर्ड केंद्र सरकार के इस कदम का विरोध करता है।
-बोर्ड किसी भी सरकार को धार्मिक मामले में ऐसा करने की इजाजत नहीं दे सकता।
-यदि केंद्र सरकार ने इस मामले में जबर्दस्ती करने की कोशिश की तो इसके खिलाफ पूरे देश में आंदोलन होगा।
-दोनो धर्म गुरुओं का मानना था कि बीजेपी चुनाव के पहले निजी स्वार्थ के लिए ध्रुवीकरण के लिए ऐसे मामलों को हवा देती है।
-उन्होंने कहा कि आगामी दिसम्बर में अयोध्या में प्रस्तावित रामायण कांफ्रेंस का आयोजन भी ध्रुवीकरण के लिए किया जा रहा है।
मौलाना खालिद रशीद फरंगीमहली (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा
-दोनो धर्म गुरुओं का दावा था कि हिंदुस्तात जहां भाषा,परम्परा और संस्कृति अलग अलग हैं, वहां समान नागरिक संहिता लागू हो ही नहीं सकती।
-भारत में हर 100 किलोमीटर के बाद भाषा और संस्कृति बदल जाती है।
-धर्म गुरुओं ने ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से बाहर हो जाने और अमरीका,जर्मनी के अलावा फ्रांस का उदाहरण दिया जहां धार्मिक अल्पसंख्यकों को उनके धार्मिक कानून को मानने की इजाजत दी गई है।
-तीन बार तलाक कहने पर तलाक हो जाने के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के सवाल पर फिरंगी महली ने कहा कि पूरी दुनिया में मुसलमान इस्लामिक कानून ही मानते हैं और इसमें कोई भी संशोधन सहन नहीं किया जा सकता।
-बोर्ड इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी देगा। हमें देश के ज्यूडिशियल सिस्टम पर पूरा भरोसा हैं। हम मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हमारे पक्ष में फेसला देगा ।