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पेट्रोल पंप में चिप लगाकर तेल चोरी करने के आरोपी को राहत देने से इंकार
लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पेट्रोल पंप पर इलेक्ट्रानिक चिप लगाकर उपभोक्ताओं के साथ घटतौली करने के आरेाप में चिनहट स्थित मेसर्स साकेत फिलिंग सेंटर की पार्टनर रीता गुप्ता को कोई राहत देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने रीता की ओर से प्राथमिकी को रद करने व उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अभी विवेचना चल रही है और इस स्तर पर शपथपत्र एवं प्रतिशपथपत्र पर दर्ज तथ्येां को संज्ञान में लेकर प्राथमिकी रद करने का कोई औचित्य नहीं है।
यह आदेश जस्टिस डी के उपाध्याय एवं जस्टिस डी के सिंह की बेंच ने रीता गुप्ता की याचिका पर पारित किया। डिवीजन बेंच की ओर से फैसला सुनाते हुए जस्टिस डी के सिंह ने याची की ओर से उठाये गये इस तर्क केा भी नकार दिया कि पेट्रेाप पंप पर घटतौली के केस में चूंकि लीगल मेट्रोलाजी एक्ट के तहत धाराये लगायी गयी हैं लिहाजा आईपीसी की धाराये नही लगायी जा सकती है।
कोर्ट ने कहा कि उक्त एक्ट की धाराये आईपीसी के तहत आने वाले अपराधेां के अलावा हैं और यदि जुर्म आईपीसी की धाराओं के तहत भी करना पाया जाता है तो आईपीसी की धाराये लगाने में कोई अवैधानिकता नहीं है। कोर्ट ने याची की उम्र केा देखते हुए उसे गिरफतारी से राहत देने से भी इंकार कर दिया।
दरअसल 27 अप्रैल 2017 केा पेट्रोल पंप पर छापे के दौरान पंप पर इलेक्ट्रानिक चिप लगी मिलीं जिनसे घटतौली की जा रही थी। मौके से मैनेजर भाग गया। घटना की रिपोर्ट चिनहट थाने पर दर्ज की गयी । बाद मे मैनेजर एवं एक अन्य कर्मचारी पकड़कर जेल भेज दिये गये, जो अभी भी जेल में हैं।
याची की ओर से तर्क दिया गया कि जिस फर्म के नाम वह पेट्रोल पंप है उसकी वह केवल स्लीपिंग पार्टनर है जबकि वर्किंग पार्टनर उसके पति हैं। तर्क था कि घटना के समय भी वह यूएसए में थी। लिहाजा उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है और इसलिए उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद की जाये।
कोर्ट ने पाया कि याची स्लीपिंग पार्टनर नही थी, अपितु वह 45 प्रतिशत के लाभी की हकदार भी थी। परिस्थितियों के मद्देनजर वह किसी राहत की हकदार नहीं हैं।
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