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PF SCAM: सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर, सलाखों के पीछे 17 आरोपी
उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के भविष्य निधि (पीएफ) घोटाले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली है। सीबीआई ने इस मामलें में आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी की आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के भविष्य निधि (पीएफ) घोटाले में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली है। सीबीआई ने इस मामलें में आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी की आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
एफआईआर दर्ज होने के बाद सीबीआई जल्द ही अब तक इस मामले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू से अब तक की जांच की रिपोर्ट व दस्तावेज लेगी।
बीते नवंबर माह में हुए करीब 2200 करोड़ रुपये के इस घोटाले में पावर कार्पोरेशन कर्मचारियों के भविष्य निधि की रकम को निजी कंपनी डीएचएफएल में निवेश किया गया था।
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17 आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल
डीएचएफएल के दिवालिया होने से पावर कार्पोरेशन कर्मचारियों की पीएफ की रकम ड़ूबने को लेकर कर्मचारियों के हंगामे के बाद लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने हजरतगंज कोतवाली में धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था और अगले ही दिन इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को दे दी गई थी। इस बीच प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस घोटाले की सीबीआइ जांच कराने की सिफारिश की थी।
अब तक इस मामले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू द्वारा यूपी पावर कारपोरेशन के तत्कालीन एमडी एपी मिश्र, निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी व सचिव ट्रस्ट पीके गुप्ता समेत 17 आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। ईओडब्ल्यू की अब तक की जांच में साफ हो गया है कि फर्जी शेयर ब्रोकर कंपनियों के जरिए करोड़ों रुपए का हेरफेर किया गया।
ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया था कि पावर कार्पोरेशन कर्मचारियों की भविष्य निधि की रकम को नियम विरूद्ध तरीके से निजी कंपनी डीएचएफएल में निवेश किया गया था।
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मार्च 2017 से दिसंबर 2018 के बीच का मामला
यूपी पावर कार्पोरेशन के अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्प्लाइज ट्रस्ट एवं उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट में जमा कार्मिकों के जीपीएफ व सीपीएफ की धनराशि का नियम विरुद्ध निजी संस्था में निवेश कर दिया।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मामला मार्च 2017 से दिसंबर 2018 के बीच का है। तब प्रवीण सीपीएफ ट्रस्ट और जीपीएफ ट्रस्ट दोनों का कार्यभार देख रहे थे।
उन्होंने तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी से अनुमोदन प्राप्त कर वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के 2015 के आदेश को दरकिनार करते हुए भविष्य निधि फंड की 50 प्रतिशत से अधिक राशि का डीएचएफसीएल में निवेश कर दिया था।
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