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पीजीआई: अब 2 घण्टे में ही चल जाएगा बैक्टीरियल इंफेक्शन का पता

संजय गांधी पीजीआई अस्पताल ने एक ऐसा बायो मार्कर स्थापित किया है जो बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण का खुलासा दो घंटे में कर देगा। पीजीआई अस्पताल यह शोध करने वाला दुनिया का पहला अस्पताल बन गया है।  मुख्य शोध कर्ता क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग के प्रो. विकास अग्रवाल की इस खोज को विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया है। प्रो. विकास ने बताया कि बुखार होने के कई कारण होते है जिसमें बैक्टीरिया, वायरस और आटो इम्यून डिज़ीज़ मुख्य कारण हैं। इंफेक्शन का कारण पता कर जल्दी इलाज शुरू करने से जल्दी आराम मिलता है। 

Anoop Ojha
Published on: 24 Nov 2018 8:33 PM IST
पीजीआई: अब 2 घण्टे में ही चल जाएगा बैक्टीरियल इंफेक्शन का पता
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स्वाति प्रकाश

लखनऊ:संजय गांधी पीजीआई अस्पताल ने एक ऐसा बायो मार्कर स्थापित किया है जो बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण का खुलासा दो घंटे में कर देगा। पीजीआई अस्पताल यह शोध करने वाला दुनिया का पहला अस्पताल बन गया है। मुख्य शोध कर्ता क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग के प्रो. विकास अग्रवाल की इस खोज को विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया है। प्रो. विकास ने बताया कि बुखार होने के कई कारण होते है जिसमें बैक्टीरिया, वायरस और आटो इम्यून डिज़ीज़ मुख्य कारण हैं। इंफेक्शन का कारण पता कर जल्दी इलाज शुरू करने से जल्दी आराम मिलता है।

आम मरीज़ों के लिए जल्द ही होगा उपलब्ध

बैक्टीरियल इंफेक्शन पता करने के लिए सीडी 64 मार्कर को सौ से अधिक मरीजों पर परीक्षण के बाद स्थापित किया गया है। आम मरीजों के लिए यह जल्द ही उपलब्ध होगा। संस्थान की इन्वेस्टिगेशन कमेटी ने इसे पास कर दिया है।

600 रुपये में होगी जांच

जांच का शुल्क लगभग 6 सौ रुपये तय किया गया है। प्रो.विकास अग्रवाल के मुताबिक यह जांच फ्लो साइटोमेटरी तकनीक से की जाती है जिसमें केवल दो घंटे का समय लगता है। बैक्टीरियल कारण पता चलने पर तुरंत एंटीबायोटिक शुरू कर गंभीरता को बढ़ने से रोक सकते हैं। पहले केवल प्रो-कैल्सीटोनिन ही एकमात्र जांच विकल्प था जिससे 30 से 40 फीसदी मामलों में सटीक जानकारी नहीं मिल पाती थी। सीडी 64 बैक्टीरियल इंफेक्शन होने पर 90 से 100 फीसदी सही परिणाम देगा।

वेस्कुलाइिटस और एसएलई में भी जांच है कारगर

प्रो.विकास के मुताबिक वेस्कुलाइिटस और एसएलई होने पर बुखार मुख्य लक्षण है । यह आटो इम्यून डिजीज है जिसमें इलाज के लिए इम्यूनो सप्रेसिव दवाएं दी जाती है। कई बार इलाज के बाद भी दोबारा बुखार होता है। तब यह पता करना कठिन होता है कि बीमारी है या इंफेक्शन। एेसे में सीडी 64 जांच से पुष्टि की जाती है। इसी अाधार पर लाइन आफ ट्रीटमेंट तय किया जाता है। इस बीमारी में इस मार्कर की उपयोगिता के लिए शोध किया जिसे जर्नल आफ क्लीनिकल इम्यूनोलाजी में स्वीकार किया है। शोध में डा. सजल अजमानी, हर्षित सिंह, सौऱभ चतुर्वेदी, डा. मोहित कुमार राय, डा. अविनाश जैन, डा. डीपी मिश्रा, प्रो, विकास अग्रवाल और प्रो.अारएन मिश्रा शामिल रहे।



Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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