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फागोत्सव की 20 दिन लंबी बैठकी का समापन, जीवंत हुई होरी गान की परंपरा
लखनऊ: गुरुवार को शीतलाष्टमी के पावन मौके पर लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा अवधी फागोत्सव श्रृंखला के अन्तर्गत आयोजित बीस दिवसीय होली संगीत बैठक का समापन समारोह राजेन्द्र नगर के विधायक निवास परिसर में सम्पन्न हुआ।
जिसमें संस्कार भारती के राष्ट्रीय महामंत्री अमीरचंद ने कहा कि होरी गायन की परम्परा हमारी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर है, इसे सहेजना और नयी पीढ़ी को हस्तांतरित किया जाना आवश्यक है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली में होली के दिन सांसद मनोज तिवारी ने आग्रह किया था कि होली संगीत बैठकी परम्परा धीरे धीरे समाप्त हो रही है जिसे पुनः आरंभ करने के लिए गायन वादन की टोलियां बनाकर पारम्परिक फाग के स्वरुप को संरक्षित किया जाना चाहिए और लखनऊ में ऐसी परम्परा आरंभ करने के लिए आप सभी बधाई के पात्र हैं।
वहीं भारतेन्दु नाट्य अकादमी के अध्यक्ष रविशंकर खरे ने कहा कि ऐसी बैठकी में सम्मिलित होना उनके लिए सुखद अनुभूति है। तो संस्थान के अध्यक्ष केवल कुमार ने कहा कि फाग की गायन शैली वैविध्य है और यह दीर्घकाल से लोगों की कंठहार रही है।
उन्होंने आगे कहा कि डेढ़ ताल, चौताल, आड़ा चौताल आदि पारम्परिक फाग को संरक्षित करने, नये कलाकारों को मंच प्रदान करने के उद्देश्य से संस्थान द्वारा होली संगीत बैठकी की श्रृंखला आरंभ की गई और लोगों ने उत्साहपूर्वक इसमें प्रतिभाग किया।
कुल चालीस दिन फगवा गाने की परंपरा
लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने कहा कि बसन्त पंचमी से शीतलाष्टमी तक कुल चालीस दिन तक फगुवा गाने की परम्परा रही है, इस बार हम लोगों ने अवधविद् योगेश प्रवीन के आवास समेत लखनऊ के विभिन्न क्षेत्रों में चिन्हित बीस स्थानों पर होरी संगीत बैठकी की। अगले वर्ष होरियारों की अलग अलग टोलियां बनाकर चालीस दिनों तक लगातार फाग गायकी परम्परा को पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया जायेगा।
इस बैठकी में होरी विरह गीत 'नन्दलाल बिना कैसे खेलूं मैं होली, 'ऐसी होली में लग जाए आग', 'फगुनवा में रंग रसे रसे बरसे', 'खेलें मसाने में होरी दिगम्बर', 'बाबा काशी विश्वनाथ गौरा संग खेलत होली', 'होली खेलें सियाराम अवध मा', 'आज बिरज में होरी रे रसिया', और 'मोर खोय गयो बाजूबंद होरी में' जैसे गीतों पर लोग झूम उठे।
ये लोग रहे उपस्थित
यहाँ कार्यक्रम में जगदीश शर्मा ने मनोहारी भाव नृत्य प्रस्तुत किया तो ढोलक पर गौरव गुप्ता के साथ गायक वृन्द में पण्डित मगन मिश्र, अमिताभ केवल, यामिनी पाण्डेय, कामिनी मिश्रा, सुषमा अग्रवाल, सुधा द्विवेदी, सर्वेश माथुर, दीपक सिंह आदि थे।
इस कार्यक्रम में संस्कार भारती के प्रदेश महामंत्री गिरीशचंद्र मिश्र, अवध प्रान्त की मातृशक्ति प्रमुख मधु पाराशर, रंगकर्मी सीमा मोदी और नाट्य निर्देशक प्रिवेंद्र सिंह सहित इत्यादि लोग सम्मिलित रहे।
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