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फार्मासिस्टों का डाटाबेस तैयार करने को सरकार के पास तीन महीनें का समय

Rishi
Published on: 5 Feb 2018 3:42 PM GMT
फार्मासिस्टों का डाटाबेस तैयार करने को सरकार के पास तीन महीनें का समय
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लखनऊ : इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को प्रदेश भर के सभी फार्मासिस्टों का डाटा बेस तैयार कर उसे आधार से जोड़ने के लिए सेामवार को तीन महीने का और समय दे दिया। हालांकि कोर्ट ने मामले की अग्रिम सुनवाई 7 मार्च को लगाते हुए सरकार से डाटा बेस तैयार करने की कार्यवाही की प्रगति रिपेार्ट तलब की है। इसके साथ ही अगली सुनवाई पर प्रमुख सचिव अथवा किसी अन्य जिम्मेदार अधिकारी को भी उपस्थित होने का भी आदेश दिया है।

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यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अब्दुल मोईन की बेंच ने आशा मिश्रा व अन्य की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर पारित किया।

मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व आदेश के अनुपालन में प्रमुख सचिव, फूड सेफ्टी एवं ड्रग एडमिस्ट्रेशन हिमांशु कुमार उपस्थित थे। उनकी ओर से एक हलफनामा प्रस्तुत करते हुए बताया गया कि फार्मासिस्टों का डाटा बेस तैयार कर, आधार से जोड़ने का काम जिस कंपनी को दिया गया है उसे 20-30 दिनों का और समय लगेगा जबकि इसके पश्चात डाटा को विभागीय सॉफ्टवेयर पर एकीकृत करने में भी कुछ दिनों का और समय लगेगा। लिहाजा इस काम के लिए तीन माह का समय और दिए जाने की मांग की गई। इस पर कोर्ट ने 7 मार्च को उक्त कार्यवाही के प्रगति की जानकारी देने का निर्देश दिया है।

दरअसल याचिका में कहा गया है कि पूरे प्रदेश में रजिस्टर्ड फार्मेंसिस्टों की संख्या की तुलना में दवा की दुकानों की संख्या काफी अधिक है। याची की ओर से दलील दी गई है कि ड्रग्स एवं कास्मेटिक एक्ट 1940 व उसके आधीन बने नियमों के अनुसार यह अनिवार्य है कि हर दवा की दुकान पर एक फार्मासिस्ट होगा जो दुकान के खुले होने तक पूरे समय दुकान पर मौजूद रहेगा। याचिका में फार्मासिस्टों और दवा की दुकानों का आंकड़ा पेश करते हुए, आरोप लगाया गया है कि बड़ी संख्या में फर्जी फार्मासिस्ट दवा की दुकानें चला रहें हैं।

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बिराहिमपुर पुल मामले में हाई कोर्ट ने मांगी प्रगति रिपोर्ट

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने मलिहाबाद के बिराहिमपुर गांव में बेतिया नदी पर पुल निर्माण के मामले में प्रगति की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी लखनऊ को हलफनामा दाखिल कर पुल निर्माण के सम्बंध में प्रगति की जानकारी मंगलवार को देने के आदेश दिए हैं। यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अब्दुल मोईन की बेंच ने मीडिया में छपी खबर पर स्वतः संज्ञान द्वारा दर्ज हुई जनहित याचिका पर दिया। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने पिछले वर्ष 21 नवम्बर को मलिहाबाद के बिराहिमपुर गांव में बेतिया नदी पर पुल की मांग को लेकर मीडिया में छपी खबर का स्वतः संज्ञान लिया था।

कोर्ट ने इस मामले पर राज्य सरकार की जमकर खिंचाई भी की थी। कोर्ट ने कहा था कि मात्र चालीस किलोमीटर दूर ग्रामीणों की दुर्दशा के प्रति बहरे कानों और बंद आंखों के साथ सरकार और इसके अधिकारी बैठे हुए हैं।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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