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Sardar Patel in SP Poster: सपा ने यूं ही नहीं दी अपने पोस्टर में सरदार पटेल को जगह, इनके सहारे यूपी के इस समाज को ऐसे साधने का लगाया दांव

Sardar Patel in SP Poster: लोकसभा का चुनाव 2024 में होना है तो ऐसे में समाजवादी पार्टी के नेताओं के पोस्टरों पर सरदार पटेल की तस्वीर भी देखी जा रही है। सपा के पोस्टरों पर अक्सर राममनोहर लोहिया, जनेश्वर मिश्र की फोटो देखी जाती है, लेकिन अब सपा के पोस्टर पर सरदार बल्लभ भाई पटेल की तस्वीर भी देखी जा रही है।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 17 Oct 2023 7:06 PM IST
Picture of Sardar Vallabhbhai Patel on the poster of Lok Sabha elections 2024 and SP
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लोकसभा का चुनाव 2024 और सपा के पोस्टर पर सरदार बल्लभ भाई पटेल की तस्वीर: Photo- Social Media

Sardar Patel in SP Poster: राजनीति में कब कौन सी पार्टी क्या दांव चल दे यह कहना मुश्किल है। सभी पार्टियां अपने राजनीतिक फायदे के लिए महापुरुषों को भी समय-समय पर वोट बैंक के लिए उपयोग करती हैं। अब लोकसभा का चुनाव 2024 में होना है तो ऐसे में समाजवादी पार्टी के नेताओं के पोस्टरों पर सरदार पटेल की तस्वीर भी देखी जा रही है। सपा के पोस्टरों पर अक्सर राममनोहर लोहिया, जनेश्वर मिश्र की फोटो देखी जाती है, लेकिन अब सपा के पोस्टर पर सरदार बल्लभ भाई पटेल की तस्वीर भी देखी जा रही है। सपा सरदार पटेल की जयंती भी मनाती है उस दौरान भी सपा के पोस्टर पर सरदार पटेल की तस्वीर देखी जा सकती है।

...तो यूंही नहीं पोस्टर पर पटेल की लगी तस्वीर?

जब भी विधानसभा या लोकसभा का चुनाव आता है तो विकास हवा हवाई हो जाता है और जीत के लिए शुरू हो जाती है जाति की राजनीति। यूपी में तो जाति की राजनीति ही जीत के लिए पक्का जुगाड़ है। जिस पार्टी ने यहां जाति का जुगाड़ पक्का कर लिया समझो उसकी जीत भी पक्की हो गई। यहां सपा के पोस्टर पर सरदार पटेल भी ऐसे ही नहीं दिख रहे हैं। इसका भी मकसद है। सरदार पटेल कुर्मी विरादरी से आते हैं।

ओबीसी में कुर्मी की सबसे बड़ी आबादी-

यूपी की राजनीति ओबीसी के इर्द-गिर्द ही केंद्रित हो गई है। यूपी में यादव के बाद ओबीसी में दूसरी सबसे बड़ी आबादी कुर्मी समाज की है। कुर्मी समाज के वोटों को साधने के लिए सपा, बीजेपी, कांग्रेस और बसपा जोर आजमाइश में जुटी हैं। लेकिन वहीं देखा जाए तो अपना दल के दोनों धड़े कुर्मी समाज की बदौलत किंगमेकर बनने का सपना संजोय रखा है।

Photo- Social Media

कुर्मी समाज में ये हैं उपजातियां-

उत्तर प्रदेश में कुर्मी-सैथवार समाज का वोट करीब 6 प्रतिशत है, जिन्हें पटेल, गंगवार, सचान, कटियार, निरंजन, चैधरी और वर्मा जैसे उपनाम से जाना जाता है। रुहेलखंड में कुर्मी अपने नाम के आगे गंगवार और वर्मा लिखते हैं तो वहीं कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में कुर्मी, पटेल, कटियार, निरंजन और सचान कहलाते हैं। अवध और पश्चिमी यूपी में कुर्मी समाज के लोग वर्मा, चैधरी और पटेल नाम से जाने जाते हैं। यूपी की राजनीति में रामपूजन वर्मा, रामस्वरुप वर्मा, बरखू राम वर्मा, बेनी प्रसाद और सोनेलाल पटेल कुर्मी समाज के दिग्गज नेता माने जाते थे।

कुर्मी समाज का कितना है सियासी असर-

सूबे में कुर्मी समाज कुल 6 फीसदी है, जो ओबीसी में 35 फीसद के करीब है। यूपी की करीब चार दर्जन विधानसभा सीटें और 8 से 10 लोकसभा की ऐसी सीटें हैं जिन पर कुर्मी मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं। 25 जिलों में कुर्मी समाज का प्रभाव है, लेकिन वहीं 16 जिले ऐसे हैं जहां कुर्मी 12 फीसदी से अधिक सियासी ताकत रखते हैं। कुर्मी पूर्वांचल से लेकर बुदंलेखंड और अवध और रुहेलखंड में किसी भी दल का सियासी खेल बनाने और बिगाड़ने की स्थिति में हैं।

इन जिलों में है खासा प्रभाव-

यूपी के संत कबीर नगर, महाराजगंज, कुशीनगर, मिर्जापुर, सोनभद्र, बरेली, उन्नाव, जालौन, फतेहपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, प्रयागराज, सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थ नगर, बस्ती और बाराबंकी, कानपुर, अकबरपुर, एटा, बरेली और लखीमपुर जिलों में कुर्मी समाज की ज्यादा आबादी है। यहां की विधानसभा सीटों पर कुर्मी जीतने की स्थिति में है या फिर किसी को भी जिताने की ताकत रखते हैं।

यूपी में कुर्मी समुदाय के ये क्षत्रप हैं-

बता दें कि यूपी में कुर्मियों का कोई एक नेता नहीं है बल्कि हर इलाके के अपने-अपने क्षत्रप हैं। इन्हीं क्षत्रपों का सहारा लेकर राजनीतिक दल अपने सियासी समीकरण को साध कर सत्ता पर काबिज होते रहते हैं।

रुहेलखंड में कुर्मी समाज से सबसे बड़े नेता के तौर पर बीजेपी सांसद व पूर्व मंत्री संतोष गंगवार का नाम सबसे बड़ा है तो सपा में नरेश उत्ता पटेल हैं तो वहीं पूर्वांचल में अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल कुर्मी समाज का बड़ा चेहरा मानी जाती हैं, जो बीजेपी के साथ हैं। कानपुर और बंदुलेखंड में क्षेेत्र में कभी कुर्मी समाज की सियासत ददुआ के इर्द-गिर्द सिमटी हुई थी। इस क्षेत्र में बीजेपी के विनय कटियार और प्रेमलता कटियार एक बड़ी नेता हुआ करती थी, पर अब स्वतंत्रदेव सिंह, ज्योति निरंजन और आरके पटेल भाजपा के कुर्मी चेहरा हैं। वहीं, सपा में ददुआ के भाई बालकुमार पटेल और नरेश उत्तम पटेल कुर्मी समाज के बड़े चेहरा हैं।

Photo- Social Media

यूपी में कुर्मी समाज का प्रतिनिधित्व यूपी में कुर्मी समाज की सियासी ताकत को देखते हुए बीजेपी स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बना रखा है तो सपा ने भी कुर्मी समाज के ही नरेश उत्तम पटेल के प्रदेश की कमान सौंप रखी है। 2022 के यूपी विधानसभा में कुर्मी समाज के कुल 41 विधायक हैं, जिसमें 27 बीजेपी, 13 सपा और एक अन्य जीते है। इसके अलावा अभी कुल आठ सांसद हैं, जिनमें 6 बीजेपी, एक बसपा और एक अपना दल (एस) शामिल हैं। केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री पंकज चैधरी और अनुप्रिया पटेल कुर्मी समाज से हैं।

कुर्मी समुदाय पहले भी बीजेपी के साथ मजबूती से जुड़ा रहा है, लेकिन इस बार सपा भी पूरी ताकत के साथ कुर्मी वोटों को अपने पाले में लाने में जुटी है। सोनेलाल पटेल की सियासत विरासत दो धड़ों में बटी हुई है। अपना दल के एक धड़े को उनकी पत्नी कृष्णा पटेल और बेटी पल्लवी पटेल संभाल रही हैं जबकि दूसरी अपना दल (एस) को अनुप्रिया पटेल के हाथों में है। वहीं अनुप्रिया की बड़ी बहन पल्लवी पटेल सपा के साथ हैं। पल्लवी पटेल कौशांबी के सिराधु सीट से विधायक हैं उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को हराया था।

अब समाजवादी पार्टी सरदार पटेल को अपने पोस्टर पर जगह देकर कुर्मी वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने की जुगत में जुड़ी है। वहीं सपा के पास प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल कुर्मी समाज का बड़ा चेहरा हैं तो वहीं सपा की सहयोगी पल्लवी पटेल भी सपा के पास कुर्मियों का बड़ा चेहरा हैं। अब ऐसे में सपा 2024 के लोकसभा चुनाव में कुर्मी वोटों में कितना सेंध लगा पाएगी यह तो समय ही बताएगा।



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Shashi kant gautam

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