×

25 साल बाद मिला इंसाफ, विक्टिम फैमिली बोली- मौत की सजा मिलनी चाहिए थी

Admin
Published on: 4 April 2016 9:50 PM IST
25 साल बाद मिला इंसाफ, विक्टिम फैमिली बोली- मौत की सजा मिलनी चाहिए थी
X

लखनऊ: शुक्रवार को 25 साल पहले पीलीभीत में हुए 11 सिखों के फेक एनकाउंटर के मामले में सीबीआई के विशेष जज लल्लू सिंह ने सभी जीवित 47 आरोपियों को उम्रकैद समेत कई अन्य आरोपों में सजा सुनाई है।

न्याय के मंदिर में पंजाब से लखनऊ आए विक्टिम फैमिली को जहां एक तरफ इंसाफ मिला वहीं दूसरी तरफ वह कलंक भी माथे से मिट गया, जिस पर यूपी पुलिस ने आतंकी होने की कील गाड़ दी थी।

माथे का कलंक मिट गया

-अपनी आंखों के सामने पुलिस द्वारा अपने पति और देवर को बस से उतारने का चश्मदीद गवाह बनी बलविंदर जीत सिंह कौर ने कहा कि सभी को फांसी मिलनी चाहिए थी।

-इतनी लंबी लड़ाई के लिए जो मुआवजा मिला, वह भी मामूली है।

-बलविंदर ने कहा कि वह फैसले से संतुष्ट हैं क्योंकि हत्यारे दोषी साबित हो गए।

-इससे अपनों के माथे पर लगा कलंक मिट गया।

-अपने देवर की पैरवी कर रही परमजीत सिंह कौर ने सजा आने के पहले ही कहा था कि यह एनकाउंटर फर्जी साबित होने से आज हमारे अपनों पर लगा कलंक मिट गया।

यह भी पढ़ें … 25 साल बाद मिला मेरे बेटे को इंसाफ, अब मैं सुकून से मर सकूंगा

फैसला आते ही कोर्ट में छाई खामोशी

-जैसे ही सैकड़ों लोगों से खचाखच भरे कोर्ट में सीबीआई के विशेष जज लल्लू सिंह ने अपना फैसला सुनाया, एकाएक पूरे माहौल में खामोशी छा गयी।

-कोर्ट के अंदर मौजूद आरोपियों के चेहरे बुझ गए थे।

-वहीँ 25 साल से अपनों के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे मृतकों के परिजनों को भी थोड़ी तसल्ली मिली कि मेरे साथ बुरा करने वालों को आज उनके किए की सजा मिल रही है।

यह भी पढ़ें … आंखों में आज भी ताजा है वह मंजर,जब पति-देवर को बस से उतारा था पुलिस ने

विक्टिम के परिवार ने कहा- मौत की सजा होती

-इतनी लंबी लड़ाई के बाद भी आरोपियों को मौत की सजा न दिला पाने का मलाल विक्टिम फैमिली की आंखों में साफ़ नजर आ रहा था।

-अपने बेटे मुखविंदर सिंह मुक्खा के पिता संतोख सिंह ने कहा कि इतनी लंबी लड़ाई के बाद आरोपियों को सजा मिली इस बात का संतोष हैं।

-लेकिन बेरहमी से अपने पद का गलत उपयोग करते हुए किसी निर्दोष की हत्या करना गलत बात है।

-इसलिए इसकी सजा उन्हें मिलनी चाहिए थी, जो कम से कम फांसी होती।



Admin

Admin

Next Story