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Pilibhit News: टायरों के कचरे से शहर के मुख्य चौराहों पर स्थापित की जाएगी टाइगर की प्रतिमा: डॉ आस्था
Pilibhit News: अंतरराष्ट्रीय बैठक में प्रतिभाग के दौरान उन्होंने जयपुर के लंगरियावास में अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने का संयंत्र और सैनिटरी लैंडफिल साइट का अवलोकन भी किया।
टायरों के कचरे से शहर के मुख्य चौराहों पर स्थापित की जाएगी टाइगर की प्रतिमा (Photo- Social Media)
Pilibhit News: यूपी के पीलीभीत जनपद की पीलीभीत नगर पालिका अध्यक्ष डॉ आस्था अग्रवाल ने जयपुर में आयोजित एशिया और प्रशांत महाद्वीप के 40 देशों की बैठक से वापस लौटकर बताया कि वेस्ट मटेरियल को उपयोग में लेने की क्रम में शहर के मुख्य चौराहे पर पुराने टायरों से बनाए गए टाइगर को लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय बैठक में जो जानकारियां मिलीं उन क्षेत्रों में भी पालिका द्वारा कराए जाने का प्रयास किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय बैठक में प्रतिभाग के दौरान उन्होंने जयपुर के लंगरियावास में अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने का संयंत्र और सैनिटरी लैंडफिल साइट का अवलोकन भी किया। बताया कि अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजना का प्रबंधन जिंदल अर्बन वेस्ट मैनेजमेंट जयपुर द्वारा किया जा रहा है। परियोजना की कुल लागत 182.17 करोड़ रुपये है।
पीपीपी मॉडल पर आधारित परियोजना पर होगा काम
यह परियोजना सार्वजनिक-निजी भागीदारी पीपीपी मॉडल पर आधारित है। शुरू में 600 टन प्रति दिन कचरे को संसाधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया। अनुबंध को 1000 टीपीडी तक संशोधित किया गया है, जिसमें हेरिटेज और ग्रेटर जयपुर दोनों से कचरा शामिल है। संयंत्र की बिजली उत्पादन क्षमता 12 मेगावाट है।
इसके अलावा उन्होंने देहलावास सीवेज ट्रीटमेंट (एसटीपी) का भ्रमण किया। इस प्लांट में अपशिष्ट जल के प्रभावी उपचार और उपचारित अपशिष्ट को द्रव्यवती नदी में सुरक्षित रूप से निस्तारण के लिए डिज़ाइन किया गया है।
उपचारित अपशिष्ट जल को बागवानी जैसे गैर-पेय उपयोगों के लिए आपूर्ति की जाती है। इस एसटीपी का एक अनूठा पहलू क्यूरेटेड लैंडस्केपिंग के साथ इसका एकीकरण है। परिसर में घनी हरियाली, जल निकाय और पैदल चलने के रास्ते हैं, जिसमेंद वनस्पतियों ने कंक्रीट संरचनाओं को प्रभावी ढंग से छुपाया है। पालिकाध्यक्ष ने इसके साथ ही ऐतिहासिक भवनों की रखरखाव व्यवस्था और संरक्षण को भी समझा।
जयपुर में 40 देशों के प्रतिनिधियों की हुई बैठक जापान सरकार के पर्यावरण मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र के क्षेत्रीय विकास केंद्र के साथ मिलकर राजस्थान सरकार के सहयोग से आयोजित हुई। इस बैठक में एशिया-प्रशांत महाद्वीप देशों के उच्च-स्तरीय सरकारी प्रतिनिधियों, शहर के महापौरों, अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों सहित लगभग 200 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। एशिया और प्रशांत महाद्वीप क्षेत्र में 12वें क्षेत्रीय थ्री आर और सर्कुलर अर्थव्यवस्था बैठक की मेजबानी भारत ने की।
बैठक का आयोजन एमओएचयूए द्वारा पर्यावरण मंत्रालय, जापान सरकार, एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूएन ईएससीएपी) और संयुक्त राष्ट्र के क्षेत्रीय विकास केंद्र (यूएनसीआरडी) के साथ मिलकर राजस्थान सरकार के सहयोग से सतत विकास लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग के साथ साझेदारी में की गई। बैठक का विषय 'एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एसडीजी और कार्बन तटस्थता प्राप्त करने की दिशा में सर्कुलर को साकार करना रहा।
जिसका उद्देश्य एशिया और प्रशांत क्षेत्र में संसाधन-कुशल, स्वच्छ, लचीला, सुदृढ़ सामग्री चक्र और कम कार्बन वाले समाज को प्राप्त करने के लिए सद्भावनापूर्ण, स्वैच्छिक और कानूनी रूप से गैर-बाध्यकारी थ्रीआर और सर्कुलर इकोनॉमी घोषणा 2025 से 2034 पर चर्चा और सहमति रही।
बैठक में सर्कुलर अर्थव्यवस्था में भारत की अग्रणी प्रथाओं को प्रदर्शित करने के लिए, विभिन्न क्षेत्रों जैसे नगरपालिका ठोस अपशिष्ट और तरल अपशिष्ट, स्क्रैप धातु, इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट, लिथियम-आयन बैटरी, सौर पैनल, जिप्सम, विषाक्त और खतरनाक औद्योगिक अपशिष्ट, प्रयुक्त तेल अपशिष्ट, कृषि अपशिष्ट, टायर और रबर रीसाइक्लिंग, और जीवन-काल समाप्त हो चुके वाहन से राज्यों से सर्वोत्तम प्रथाओं का चयन करने के प्रस्ताव रखे गए।