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ग्रहों की जंग में राहुल पर मोदी भारी, जय और पराजय नियति पर ज्यादा निर्भर

raghvendra
Published on: 29 Dec 2017 12:09 PM IST
ग्रहों की जंग में राहुल पर मोदी भारी, जय और पराजय नियति पर ज्यादा निर्भर
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नीलमणि लाल

लखनऊ: जय और पराजय नियति पर ज्यादा निर्भर करते हैं। ग्रहों का मानव के जीवन में बेहद योगदान होता है। ग्रहों की चाल के आधार पर बहुत कुछ निर्धारित होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के ग्रहों की चाल की पड़ताल की जाए तो यह कहा जा सकता है कि अगले साल ही नहीं अगले लोकसभा चुनाव में भी नरेंद्र मोदी अविजित बने रहेंगे। हालांकि राहुल गांधी के भी भाग्योदय से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन ग्रहों की जंग में राहुल गांधी पीएम मोदी से जीतने में कामयाब होते नहीं दिख रहे हैं। ग्रहों के मुताबिक मोदी का विजय रथ जारी रहेगा। अपने भविष्यवाणियों को लेकर खासी सुर्खियां बटोर चुके नास्त्रेदमस के संकेतों के संदेश जुटाए जाएं तो नरेंद्र मोदी सत्ता संभालने के बारह साल तक देशहित में कार्य करेंगे। उन्होंने कहा है कि भारत में एक ऐसा पुरुष सत्ता पर विराजमान होगा जो राजनीति के संदर्भ को हिलाकर रख देगा।

अपना भारत ने मोदी और राहुल गांधी के ग्रह नक्षत्रों की चाल पर कई ज्योतिषियों से उनकी राय जानी है। हालांकि सभी ज्योतिषी इन दोनों नेताओं के ग्रहों की चाल का भाष्य एक सरीखा नहीं कर रहे हैं, लेकिन मोटे तौर पर थोड़ी बहुत आर्थिक और वैश्विक पैमाने पर दिक्कतों के बावजूद नरेंद्र मोदी कामयाबी का झंडा गाड़ते दिखेंगे। राहुल गांधी भी अपनी पुरानी छवि तोडक़र निकलने में कामयाब होंगे।

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सहारनपुर के आचार्य सागर जी महराज के मुताबिक राहुल गांधी को 2022 तक शनि राजनीति की ऊंचाइयां नहीं छूने देंगे। अभी उनकी साढ़े साती बरकरार है, मंगल की महा दशा है। मंगल, सूर्य के साथ शत्रु बुद्धि की राशि में मौजूद है। यही नहीं राहुल गांधी ने जब कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभाली तो उस वक्त उनकी राशि में चंद्रमा एकादश था। नतीजतन, उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुंडली में गजकेसरी, मूसल, केदार, रूचक, वोशि, भेरी, अमर, कालह, शंख और नीच भंग राजयोग सरीखे कई शुभ योग बने हुए हैं। नतीजतन उनका पांव हिलाना संभव नहीं होगा। जिस व्यक्ति की कुंडली में तमाम तरह के शुभ योग हों वह लंबे समय तक राज करता है।

काशी के ज्योतिषियों की राय भी कुछ इसी से मिलती-जुलती है। ज्योतिषी विमल जैन के मुताबिक मोदी की कुंडली वृश्चिक लग्न और वृश्चिक राशि की है। शनि की महादशा में उनका जन्म हुआ है। वर्तमान में चंद्र की महादशा और बुद्ध की अंत:दशा चल रही है जो 2 मार्च 2020 तक प्रभावी रहेगी। नतीजतन उन्हें हरा पाना आसान नहीं होगा। राहुल गांधी की राशि में बृहस्पति चल रहा है। शनि पराक्रम स्थान पर है जो यश, मान, सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि का योग बना रहा है। लेकिन सार्थक परिणाम प्राप्त होना जनवरी 2020 से पहले संभव नहीं है। यहीं के ज्योतिषी ऋषि द्विवेदी के मुताबिक नरेंद्र मोदी के लिए अगला साल आसान नहीं है।

उनकी साढ़े साती तीसरे चरण में है। बावजूद इसके उनका राजयोग जारी रहेगा। अगले वर्ष उनके आर्थिक फैसले देश को प्रभावित करेंगे। जबकि राहुल गांधी के उत्कर्ष काल जनवरी 2022 से शुरू हो रहा है। ज्योतिषी दीपक मालवीय के अनुसार ग्रहों की चाल बताती है कि साल 2021 तक मोदी को हरा पाना मुश्किल है। राहुल के ग्रह शत्रुओं को मजबूत बनाए रखेंगे। 2022 के बाद जब उनकी राहु की महादशा चलेगी तब सफलता प्राप्त करने का मौका मिल सकता है।

इलाहाबाद के ज्योतिषाचार्य पं. राम नरेश त्रिपाठी के अनुसार राहुल की कुंडली मकर लग्न की है। वर्ष 1918 में उनकी शादी का योग है। नरेंद्र मोदी का चंद्रमा और बुध लाभेष है। नतीजतन कांग्रेस भाजपा पर भारी पड़ेगी। गोरखपुर के ज्योतिषी देवेंद्र भट्ट के मुताबिक वृश्चिक लग्न और वृश्चिक राशि में बिराजमान चंद्रमा और मंगल, दशा में शनि और शुक्र से युक्त नरेंद्र मोदी के लिए 2018 का संघर्ष आसान नहीं होगा। उनके जन्म स्थान से जितनी दूरी होगी। संघर्ष उतना कठिन होगा। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार होगी। जबकि अन्य पांच राज्यों में उसे सत्ता से दूर रहना पड़ेगा।

हालांकि अगला लोकसभा चुनाव कठिन संघर्ष के बीच भाजपा के पक्ष में होगा। सत्ता सुख से मोदी को तीन वर्षों तक वंचित होने का कोई योग नहीं है। राहुल की कुंडली लग्नेश मंगल की महादशा से गुजर रही है। 2018 के मध्य उन्हें 18 वर्ष राहु की महादशा मिलेगी। जो चंद्र कुंडली के लिहाज से पद-प्रतिष्ठा प्राप्त करने एवं सिद्ध करने के साथ ही सत्ता सुख भी दिलाएगी। 2021 से सत्ता सुख प्राप्त करने का पूर्ण योग है। लखनऊ के ज्योतिषी अशोक शर्मा के मुताबिक अप्रैल 2023 तक राहुल गांधी को कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगेगी। वह लोकसभा चुनाव भी हार जाएंगे। जबकि नरेंद्र मोदी मंगल के साथ भाग्येश चंद्रमा के लग्न में विराजमान के चलते दो बार प्रधानमंत्री रहेंगे।

मोदी को मिलती रहेगी कामयाबी: विमल जैन

काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषी विमल जैन के मुताबिक मोदी की कुंडली वृश्चिक लग्न और वृश्चिक राशि की है। लग्न स्थान में मंगल और चंद्र हैं। चतुर्थ स्थान में कुंभ राशि का गुरु केंद्र में है और पंचम स्थान में मीन राशि का राहु। दशम स्थान में सिंह राशि के शुक्र और शनि तथा एकादश स्थान में कन्या राशि के सूर्य, बुध और केतु विराजमान हैं। मोदी का जन्म शनि की महादशा में हुआ है और वर्तमान में चंद्र की महादशा में बुध की अंतर्दशा चल रही है, जो 30 सितंबर 2017 से प्रारंभ हुई है और 2 मार्च 2020 तक प्रभावी रहेगी। हालांकि मोदी की शनि की साढ़ेसाती अब अंतिम चरण में चल रही है। इसके बावजूद उन्हें कामयाबी मिलती रहेगी। मतलब साफ है कि आने वाले वर्षों में उन्हें हरा पाना आसान नहीं होगा। वहीं अगर राहुल गांधी की बात करें तो इनकी राशि में वृहस्पति ग्रह चल रहा है। शनि ग्रह पराक्रम स्थान में है जो यश,मान सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि का योग बना रहा है। हालांकि सार्थक परिणाम प्राप्त करने के लिए उन्हें अपनी रणनीति पर गौर करना होगा। उनके राजनीतिक जीव का उत्कर्ष काल 13 जनवरी 2020 से प्रारंभ होगा। इसके बाद इनकी छवि में और निखार आएगा।

जारी रहेगा मोदी का राजयोग: ऋषि

ज्योतिषी ऋषि द्विवेदी के मुताबिक पुकार के नाम के हिसाब से नरेंद्र मोदी की वृश्चिक राशि है। ग्रहों की चाल के मुताबिक साल 2018 मोदी के लिए आसान नहीं होगा। मोदी की 15 जुलाई 2012 से शनि की साढ़ेसाती चल रही है। मौजूदा दौर में यह अपने तीसरे चरण में है। फिलहाल उनका राजयोग आगे भी जारी रहेगा। हालांकि 2018 में मोदी देश के बाहरी कारकों से परेशान हो सकते हैं। मोदी की कुंडली के आधार पर वर्ष 2018 का आकलन करें तो देश में आॢथक मामलों में लिए गए मोदी सरकार के फैसले पूरे देश को प्रभावित करेंगे। आम जन और खासकर निचले स्तर के लोगों का मोदी पर से विश्वास डगमगाएगा और इसका असर आगामी चुनावों पर भी हो सकता है। कृषि और उससे जुड़े व्यवसायों से संबंधी फैसले भी उल्टे पड़ सकते हैं।

वहीं राहुल गांधी की अगर बात करें तो इनका उत्कर्ष काल 24 जनवरी 2022 के बाद से शुरू हो रहा है। इस दौरान राहुल गांधी के ऊपर शनि की ढइया जिससे उनका अच्छा समय शुरू होगा। हालांकि यह तभी संभव हो सकेगा जब वे पुराने कंाग्रेसियों से दूर रहें और युवा शक्ति का इस्तेमाल करें। राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को ज्येष्ठा नक्षत्र में हुआ था। राहुल की वृश्चिक राशि है और स्वामी ग्रह बुध है। पिछले महीने तक वृश्चिक राशि शनि का गोचर था। फिलहाल वह खत्म हो गया है। शनि के गोचर में राहुल को लोकप्रियता में काफी नुकसान हुआ। राहुल की कुंडली में मंगल की महादशा है जो साल 2022 तक चलेगी। राहुल के लिए यह समय अच्छा नहीं है।

2021 तक मोदी को हरा पाना मुश्किल: मालवीय

ज्योतिषी दीपक मालवीय के अनुसार नरेंद्र मोदी के सितारे आने वाले तीन सालों तक साथ दे रहे हैं। वृश्चिक लग्न में राशि स्वामी मंगल स्वयं विराजमान है। मंगल साहस व शौर्य का प्रतीक है। इससे स्पष्ट है कि मोदी में गजब का साहस, उत्साह और शौर्य है। मंगल के कारण ही मोदी न सिर्फ देश के पीएम बनने में कामयाब हुए हैं बल्कि पूरी दुनिया में लोकप्रिय और चॢचत हुए हैं। लग्न में ही मंगल का मित्र ग्रह चंद्र भी विराजमान है। इससे चंद्र-मंगल के शुभ योग का निर्माण हो रहा है। वर्तमान में महादशा भी चंद्र की चल रही है। इसलिए आने वाला समय मोदी के पक्ष में रहेगा। अगर ग्रहों की चाल पर यकीन करें तो साल 2021 तक मोदी को हरा पाना बेहद मुश्किल है।

हां, इस बीच अगर मोदी या फिर बीजेपी कोई बड़ी गलती ना करें? वहीं अगर राहुल गांधी की बात करें तो उनकी कुंडली में गुरु शत्रु राशि में मौजूद है और बुध और मंगल शत्रु राशि में है। इस कारण राहुल के राजनीतिक शत्रु उन पर हावी रहेंगे। चंद्र और शनि नीच राशि में है। कुंडली में सूर्य सही दशा में है,लेकिन बाकि ग्रह सही दशा में नहीं हैं। वही कुंडली में राहु और केतु अच्छी स्थिति में हैं। 2022 के बाद कुंडली में राहु की महादशा चलेगी जिससे राहुल की कुंडली में ग्रहों की दशा में सुधार आएगा और उन्हें सफलता प्राप्त करने का मौका मिल सकता है। राहुल वर्तमान में मंगल की महादशा और शुक्र की अंतर्दशा से प्रभावित है। लग्न का स्वामी शुक्र दसवें भाव में मजबूत स्थिति में है जो यह संकेत देता है कि विभिन्न राज्यों में हुए हाल के चुनाव में मिले गंभीर झटकों के बावजूद वे तूफानी स्थितियों को संभालने में सक्षम होंगे और कांग्रेस में प्रभावशाली पद पर बने रहेंगे।

मोदी मुश्किल से जीतेंगे 2019 का चुनाव: देवेन्द्र भट्ट

गोरखपुर के ज्योतिषी देवेन्द्र भट्ट के मुताबिक वृश्चिक लग्न एव वृश्चिक राशि में विराजमान चंद्रमा और मंगल, दशम में शनि और शुक्र से युक्त नरेन्द्र मोदी के लिए वर्ष २०१८ का संघर्ष आसान नहीं होगा। वर्ष २०१८ में आठ राज्यों में चुनाव प्रस्तावित हैं। सितारों के अनुसार जन्म स्थान से जितनी ही दूरी होगी, मोदी के लिए संघर्ष उतना ही कठिन होगा अर्थात भाजपा को असफलता और पराजय का सामना करना पड़ेगा। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान में भाजपा की बहुमत की सरकार होगी, जबकि अन्य पांच राज्यों में बहुमत से दूर रहना पड़ेगा। विरोधियों के लगातार जीतने का भय पूरे वर्ष भर मोदी को परेशान करता रहेगा। यद्यपि सत्ता के सुख से मोदी के अगले तीन वर्षों तक वंचित होने का कोई योग नहीं, परन्तु अपनी शर्तों पर लगातार समझौते करने की स्थितियां वर्ष २०१८ में आती रहेंगी। इस लिहाज से वर्ष २०१९ का लोकसभा चुनाव भी भाजपा के पक्ष में रहेगा, परन्तु संघर्ष बेहद कठिन होगा एवं जोड़तोड़ व गठबंधन की राजनीति से बमुश्किल बहुमत के करीब पहुंच सकेंगे।

आर्थिक मुद्दे पर फरवरी २०१८ के बाद मोदी को सकारात्मक परिणाम मिलेगा। देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। वहीं राहुल गांधी की कुंडली वर्तमान समय में लग्नेश मंगल की महादशा से गुजर रही है। इसी कारण पिछले सात वर्षों से उनका जमीनी संघर्ष बढ़ा है और उन्हें कांग्रेस की बागडोर मिली। २०१८ के मध्य से उन्हें १८ वर्ष राहु की महादशा मिलेगी, जो उन्हें चंद्र कुंडली के लिहाज से पद, प्रतिष्ठा एवं सत्ता सुख भी दिलाएगी। उनके जन्म स्थान से सुदूरवर्ती प्रांतों में वर्ष २०१८ के चुनाव में आशातीत सफलता मिलने की संभावना है। अपने भाषणों की आलोचनाओं से उबरने का भी संयोग है। २०२१ से सत्ता सुख प्राप्त करने का पूर्ण योग है।

नये वर्ष में देश को राजनीतिक अस्थिरता और अशांति का सामना करना पड़ेगा। राजनीतिक मतभेद एवं वाणी पर संयम के अभाव में राजनीतिक मर्यादाओं को आघात लगेगा। अर्थव्यवस्था के स्तर पर तीसरे माह से अच्छे संकेत मिलने की संभावना है। बड़े राजनेता के निधन से राष्ट्रीय शोक की स्थिति भी आएगी। चंद्रमा की भाग्यभाव में स्थिति के कारण वाहन दुर्घटना, रेल दुर्घटना जैसी आपदाएं कम होंगी। रोजगार के अवसर बढ़ेेंगे। पीली धातुओं का बाजार लगभग स्थिर रहेगा। सफेद धातुओं के डिमांड में तेजी आएगी। रियल स्टेट के काम में तेजी आयेगी।

मोदी की कुंडली में कई शुभयोग:सागर महाराज

सहारनपुर के आचार्य सागर महाराज के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी की जन्म कुंडली में इतने सारे शुभ योग बने हैं कि मोदी के पांव हिलाना अभी शायद ही किसी के लिए संभव हो। मोदी की जन्मतिथि और जन्म समय देखने के बाद यही कहा जा सकता है कि इस तरह का व्यक्ति लंबे समय तक राज करता है। मोदी की कुंडली में बने राजयोग और गजकेसरी योग ने उन्हें पीएम के पद पर पहुंचाया। मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को ग्यारह बजे गुजरात के मेहसाणा में हुआ था। मोदी के जन्म के समय चन्द्रमा और मंगल दोनों ही कुंडली के पहले घर में वृश्चिक राशि में बैठे हैं जबकि ग्यारहवें घर में सूर्य, बुध,केतु एवं नेप्चयून के साथ बैठा है। गुरु चौथे घर में शुक्र और शनि के आमने-सामने बैठे हैं। ग्रहों की इस स्थिति के कारण मोदी की कुंडली में कई शुभ योग बने हुए हैं। मोदी की कुंडली में शनि भाव में हैं और जबर्दस्त राजयोग बना है। मोदी की जन्मतिथि और समय के अनुसार जन्मदिन शनिवार, वरियन योग, कृष्ण पक्ष दशमी तिथि, पुनर्वसु नक्षत्र है। दशमी तिथि जाया तिथि होती है और इन सारे योग में पैदा हुआ व्यक्ति राजा ही बनता है और काफी लंबे समय तक राज करता है।

राहुल गांधी की जन्मकुंडली में शनिदेव 2022 तक उन्हें ऊंचाई पर नहीं पहुंचने दे रहे हैं। राहुल का जन्म 19 जून, 1970 को दिल्ली में हुआ था। उनकी वृश्चिक राशि है और स्वामी ग्रह बुध है। पिछले महीने तक वृश्चिक राशि शनि का गोचर था। फिलहाल वह खत्म हो गया है। शनि के इस गोचर से राहुल को लोकप्रियता में काफी नुकसान हुआ, लेकिन उनकी कुंडली में साढ़े साती अभी भी बरकरार है। राहुल पर मंगल की महादशा है जो साल 2022 तक चलेगी। मंगल, सूर्य के साथ शत्रु बुध की मिथुन राशि में मौजूदगी है। इसलिए राहुल के लिए यह समय अच्छा नहीं है।

11 दिसंबर को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में राहुल गांधी को कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान मिली। फाल्गुनी नक्षत्र का स्वामी सूर्य है और चंद्रमा कन्या राशि में था। राहुल के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद चुनौती भरा रहने वाला है। उनकी कुंडली में गुरु शत्रु राशि में मौजूद है और बुध तथा मंगल शत्रु राशि में है। इस कारण राहुल के राजनीतिक शत्रु उन पर हावी रहेंगे। चंद्र और शनि नीच राशि में है। कुंडली में सूर्य सही दशा में है,लेकिन बाकी ग्रह सही दशा में नहीं है। वहीं कुंडली में राहु और केतु अच्छी स्थिति में है। 2022 के बाद कुंडली में राहु की महादशा चलेगी जिससे कुंडली में ग्रहों की दशा में सुधार आएगा और सफलता मिल सकती है।

राहुल का आने वाला समय अच्छा:त्रिपाठी

20 दिसंबर के बाद यदि गुजरात और हिमाचल के चुनाव होते तो स्थिति ही कुछ और होती। शनि के कंबष्ट होने की स्थिति ने राहुल गांधी के प्रयास को निष्फल कर दिया मगर उनके लिए आने वाला समय अच्छा है। बीजेपी को अपनी मजबूत स्थिति बचा पाने में कठिनाई होगी। राहुल की कुंडली मकर लग्न की है और मकर का स्वामी शनि चौथे घर में मेष राशि का है। चंद्रमा में शनि की दशा चल रही है। मोदी की चंद्रमा में बुध की दशा लाभेष थी। इसी कारण उन्हें दोनों प्रांतों में सफलता मिली। बुध की बाकी गति में वे कमजोर पड़ेंगे। बीजेपी की कुंडली में सूर्य प्रभावी है जो सत्ता का कारक गृह है। कांग्रेस की कुंडली में राहु, शुक्र का योग है। सप्तम शुक्र 2018 में शादी का योग बनाएगा। आने वाला अप्रैल परिवर्तन कारक होगा। राहुल की कुंडली में अभी शनि मेष में है। सो राहुल की मेहनत बेकार जाएगी। मोदी का चंद्रमा और बुध लाभेष में है और बुध अपने घर में केतु के साथ है। इन दिनों शनि कंबष्टï है। अत: भाजपा कांग्रेस पर भारी ही पड़ेगी।

मोदी को विश्वस्तर पर मिलेगी ऊंचाई: शर्मा

लखनऊ के ज्योतिषी अशोक कुमार शर्मा के अनुसार मोदी की कुंडली में क्षुद्र चंद्रमा के साथ नीच भंग राजयोग है। यह कुंडली शनि की साढ़े साती भी दिखाती हैं जिसकी दूसरी ढैया दो नवम्बर 2014 से शुरू हुई है। इसी कारण वे प्रचंड बहुमत से पीएम बने हैं। मोदी 26 नवम्बर 2021 तक मंगल के साथ भाग्येश चंद्रमा की लग्न में विराजमान पूर्ण अनुकूलता के कारण दो बार पीएम रहेंगे। वहीं भारत की कुंडली में सितम्बर 2018 तक स्ववीर्याधान योग है। मोदी को व्यापक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के बूते 2020 से पहले बहुत सी उपलब्धियां हासिल होंगी। आगामी लोकसभा चुनावों से वे देश को विश्व स्तर पर काफी ऊंचाई पर पहुंचाएंगे। देश में अवस्थापना, व्यापार और रोजगार हर क्षेत्र में क्रांति होगी। आतंकवाद और अराजकता पर काबू पाने में भारत कामयाब होगा।

राहुल गांधी की ताजपोशी के बाद गुजरात में कांग्रेस के उभार को लेकर कांग्रेसियों को ज्यादा उत्साहित होने की जरुरत नहीं है क्योंकि नया साल कांग्रेस की सत्ता में वापसी के संघर्ष में कोई खास मददगार होने नहीं जा रहा है। संभावना इस बात की है कि नए साल में कांग्रेस को एक और विभाजन की परिस्थितियों से जूझना पड़े। राहुल की जन्म कुंडली मकर लग्न की है और उनका लग्नेश शनि चतुर्थ भाव में बेहद कमजोर होकर बैठा है। इसी कारण उन्हें अपने ही बयानों की वजह से मजाक का पात्र बनना पड़ता है और आगामी वर्ष में दक्षिण भारत के राजनेताओं से नेतृत्व संघर्ष में कांग्रेस को एक और विभाजन झेलना होगा। चौथे भाव में लग्नेश शनि और इस भाव का स्वामी मंगल दोनों ही राहुल को विचलित रखने के साथ विवादित बनाए रखेंगे। राहुल गांधी की नीचगत चन्द्रमा की दशा अप्रैल 2023 तक चलेगी और तब तक उन्हें कोई बड़ी राजनीतिक सफलता नहीं मिल पाएगी।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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