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प्लास्टिक कर रहा बर्बाद, प्रतिबंध जरूरी

raghvendra
Published on: 20 July 2018 10:37 AM GMT
प्लास्टिक कर रहा बर्बाद, प्रतिबंध जरूरी
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लखनऊ: यूपी में एक बार फिर पॉलीथीन-प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस बार प्रतिबंध को सख्ती से और हमेशा के लिये लागू करने की बात कही गयी है। वैसे, ये प्रतिबंध समय की मांग है। जिस तरह से प्लास्टिक के अंधाधुंध इस्तेमाल से पर्यावरण का सत्यानाश हो रहा है, कैंसर समेत ढेरों भयंकर बीमारियां फैल रही हैं, हम सबको जागरूक हो कर प्लास्टिक का बहिष्कार अपने घर से ही शुरू करना चाहिये। इसके लिये किसी कानून या सजा का इंतजार नहीं होना चाहिये। प्लास्टिक - पॉलीथीन पर प्रतिबंध किस तरह लागू किया जा रहा है और क्या है जनता की राय इसकी पड़ताल ‘अपना भारत’ ने अलग-अलग शहरों में की।

कागजी ताल ठोंक रहे अफसर

पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर: मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में प्रतिबंध को लेकर अफसरों में असमंजस दिख रहा है। असमंजस का आलम यह है कि प्रतिबंध लागू होने के बाद जिम्मेदार एक किलो पॉलीथीन भी जब्त नहीं कर सके हैं। कमिश्नर, डीएम, नगर आयुक्त से लेकर प्रदूषण विभाग के अधिकारी प्रतिबंध को लेकर सिर्फ कागजी ताल ठोंक रहे हैं।

15 जुलाई से पहले तक नगर निगम की टीम ने करीब 9 कुंतल पॉलीथीन जब्त किया था और एक लाख से अधिक का जुर्माना भी वसूला था। प्रतिबंध लागू होने के बाद निगम की टीम कार्रवाई के लिए सिर्फ मंथन कर रही है। नगर निगम को चार जोन में बांट कर अधिकारियों की टीम बना दी गई है। नगर आयुक्त प्रेम प्रकाश सिंह ने बताया है कि निगम की चार टीमें प्रशासनिक टीम का भी सहयोग करेगी। जल्द ही प्रभावी कार्रवाई शुरू होगी। उधर, कमिश्नर अनिल कुमार का कहना है कि 15 अगस्त से प्लास्टिक व थर्माकोल से निर्मित उत्पादों पर रोक लगाई जाएगी। 2 अक्टूबर से निस्तारण योग्य प्लास्टिक निर्माण पर रोक लगाई जाएगी।

प्रतिबंध के विरोध में व्यापारी

महापौर सीताराम जायसवाल जो खुद व्यापारी नेता रहे हैं, उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वह सरकार का साथ दें या फिर उन व्यापारियों को जिन्होंने उन्हें जीत दिलाई थी। वे विभिन्न व्यापारिक संगठनों के साथ 4 बार बैठक कर चुके हैं। वो यह कहने से नहीं चूक रहे हैं कि प्रशासन उत्पीडऩ की कार्रवाई नहीं करेगा। पिछले दिनों हुई बैठक में महापौर और नगर आयुक्त को व्यापारियों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। व्यापारियों की दलील है कि आखिर डंप पॉलीथीन को कैसे निपटाया जाए। गोरखपुर में पांच करोड़ से अधिक कीमत की पॉलीथीन गोदामों में डंप है। व्यापारियों का कहना है कि प्रतिबंध सभी प्रकार के उत्पादों पर लगना चाहिए। मल्टीनेशनल कंपनियों से लेकर दूध, नमक, पान मसाला सब प्लास्टिक की पैकिंग में आ रहे हैं।

ऐसे में आधा प्रतिबंध लगाने का क्या औचित्य है। शहर में हर रोज शैम्पू के एक लाख पाउच नालियों और कूड़ेदान में फेंके जाते हैं। इतनी ही संख्या में पाउच वाले केश तेल, टोमैटो सास और कंडीशनर के पाउच भी रोजाना कूड़ेदान में फेंके जा रहे हैं। पान मसाला के पाउच तो सबसे खतरनाक हैं। आधा लीटर दूध के ही करीब 2.5 लाख पाउच बाजार में आते हैं। इसके अलावा 50 हजार से ज्यादा दही, छाछ, लस्सी और घी के हैं।

पॉलीथीन के व्यापारी पवन टिबड़ेवाल की दलील है कि पाउच में पैक होकर आने वाले मसाले, सभी उत्पाद ऐसे हैं जिनका फिलहाल कोई विकल्प नहीं दिख रहा है। गोरखपुर विवि के रसायन विभाग के प्रो.डॉ.ओपी पाण्डेय ने बताया कि 50 माइक्रॉन के नीचे के पॉलीथीन जल्दी नष्ट नहीं होते हैं और मिट्टी में मिलकर उसे प्रदूषित करते रहते हैं। जबकि 50 माइक्रॉन से ऊपर की पन्नियां डीकम्पोज हो जाती हैं और उनका नुकसान भी अपेक्षाकृत कम हैं। उन्होंने बताया कि 50 माइक्रॉन से नीचे की पन्नियों को जलाने पर बेहद जहरीली गैस निकलती है।

बाजार में पहुंचने लगे विकल्प

सरकार के तेवर को देखकर दुकानदार भी विकल्पों की तलाश में जुट गए हैं। थर्माकोल की थालियों, कटोरी और गिलास पर प्रतिबंध के बाद सुपारी के पत्तों की कटोरी और थालियां बाजार में पहुंच गई हैं। वहीं पत्तों के बनने वाले पत्तल के दिन भी बहुरने लगे हैं। दक्षिण के राज्यों से सुपारी के पत्तों की थालियों और कटोरी की आपूर्ति हो रही है। बायोडिग्रेडिबल थाली और कटोरी इस्तेमाल के बाद धूप पाकर ये जैविक खाद में तब्दील हो जाते हैं। सुपारी से बनीं थालियों के सप्लायर प्रशांत त्रिपाठी का कहना है कि इन थालियों में केमिकल का उपयोग नहीं होता। सुपारी पत्तों को उच्च ताप देकर सांचे में ढाला जाता है।

पॉलीथीन पर प्रतिबंध के बाद पत्तों की थालियों की बंद कुटीर उद्योग फिर गुलजार होने लगे हैं। जंगल सालिकराम, कुसम्ही, रजही के साथ ही गीडा में भी पत्तों से पत्तल बनाने की दर्जनों मशीनें लगी हुई थीं। लाखों की लागत से खरीदी गईं सिलाई मशीन, कटर मशीन, हाइड्रोलिक मशीन आदि कबाड़ में तब्दील हो रही थीं। जंगल सालिकराम के विजय कुशवाहा का कहना है कि 70 हजार खर्च कर हाइड्रोलिक मशीन खरीदी थी। थर्माकोल पर रोक के बाद अब आर्डर मिलने लगा है। रद्दी अखबारों के दिन भी बहुरने लगे हैं। जो अखबार की रद्दी 15 से पहले 8 से 9 रुपये में मुश्किल से बिक रही थी, उसके दाम 12 से 14 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। कपड़े के थैले बनाने वाले दुकानदारों की पूछ भी बढ़ गई है।

लोग कपड़े के थैले लेकर निकल रहे बाजार

सुशील कुमार

मेरठ: सरकार के आदेश के बाद सरकारी अमला जिले को पॉलीथीन मुक्त करने की दिशा में जुटा है। सरकारी,निजी स्कूल, कॉलेजों में पॉलीथीन इस्तेमाल न करने की शपथ दिलाई जा रही है। सरकारी कड़ाई के चलते छोटे-बड़े सभी बाजारों में लोग अब थैला हाथ में लिये दिखने लगे हैं। वैसे यहां 62 मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट और ट्रेडर्स कंपनियां है। डीएम अनिल ढींगरा कहते हैं कि हमने इनके मालिकों को पॉलीथीन बंद करने के निर्देश दिए हैं। जिले में सफाई निरीक्षकों से लेकर तहसीलदार, एसडीएम, एडीएम के साथ ही विभिन्न अफसरों की टीमें गठित कर उन्हें पॉलीथीन के खिलाफ लगातार छापामारी करने के निर्देश दिए गए हैं।

शहर में छिड़ा अभियान

शहर की बात की जाए तो अब तक 500 किलो से अधिक पॉलीथीन जब्त की चुकी है। डीएम के अनुसार जिले में पॉलीथीन का इस्तेमाल पकड़े जाने पर 500 रुपये जुर्माना वसूला जायेगा। यदि दोबारा पकड़ा गया तो एक हजार रुपये जुर्माना और जेल होगी।

लोगों को नहीं मिल रहा कई सवालों का जवाब

नरेन्द्र सिंह

रायबरेली: पॉलीथीन पर प्रतिबंध से आम लोग और दुकानदार दोनों परेशान है, लेकिन साथ ही वे पर्यावरण की भलाई और बेहतर स्वास्थ्य के लिए इसे सरकार का सही कदम भी बता रहे है। जनपद में लगातार टीमें गठित कर जागरुकता अभियान चलाकर लोंगो को पॉलीथीन का प्रयोग न करने और इसके खतरों के बारे में आगाह किया जा रहा है। अब तक 150 लोगों को नोटिस जारी की गई है और 570 दुकानों पर पॉलिथीन को जब्त किया गया है।

सबसे खास बात यह है कि पॉलीथीन पर प्रतिबंध सम्बन्धी नियम से आम लोग और दुकानदार अनजान हैं। लोग पूछ रहे हैं कि पॉलीथीन का माइक्रान कैसे नापा जाए और चेकिंग करने वाली टीम के पास भी इसे मापने के लिए क्या यंत्र है? जो सामान पॉलीथीन की पैकिंग में आ रहे है उनका क्या? प्रदेश से बाहर से आने वाले पॉलीथीन पैकिंग के सामानों का क्या होगा? लोग इन सवालों का जवाब जानना चाहते हैं।

क्या कहते हैं अफसर

पॉलीथिन को बंद कराने का आग्रह किया जा रहा है। शहर में टीमें छापेमारी कर रही हैं। सब्जी दुकानदारों से पॉलीथीन इकट्ठा किया जा रहा है। भी दी जा रही है कि पॉलीथीन का प्रयोग न करें। कस्बों और गांवों तक में टीमें सक्रिय हैं।

राजेश कुमार प्रजापति, अपर जिलाधिकारी

कार्रवाई के मामले में जिला प्रशासन ढीला

कपिलदेव मौर्य

जौनपुर: पॉलीथीन पर प्रतिबंध के संबंध में जिला प्रशासन की ओर से एक विज्ञप्ति जारी कर अपने जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली गयी है। कोई एक्शन न लेने के कारण बाजारों में खासकर ग्रामीण इलाकों में पॉलीथिन आज भी धड़ल्ले से उपयोग में लाई जा रही है। बड़े व्यवसायी भले ही पन्नी का उपयोग बन्द कर दिए हैं, लेकिन छोटे-मझोले व्यवसायी पन्नी का उपयोग कर रहे हैं।

जिला प्रशासन की ओर से इसे रोकने के लिए न तो कोई टीम गठित की गयी है और न किसी स्तर से प्रयास ही किया जा रहा है। किसी भी व्यापारी पर किसी तरह का आर्थिक दंड भी नहीं लगाया गया है। चोरी छिपे पन्नी का उपयोग जारी है। इस बाबत चन्द्रेश मिश्रा ने कहा कि आदेश अच्छा है। पन्नी बन्द होने से प्रदूषण को शुद्ध करने में मदद मिलेगी। इन्द्रभुवन सिंह ने कहा कि पन्नी बन्द होनी चाहिए। जब तक व्यापारियों को इस अभियान का हिस्सा नहीं बनाया जायेगा तब तक पन्नी का उपयोग रोकना कठिन होगा। डा.पीसी विश्वकर्मा ने पन्नी बन्द करने के आदेश को सराहा। कहा कि पन्नी हर नजरिये से नुकसान देय है। आरपी सिंह ने पन्नी बन्द करने की अपील करते हुए कहा कि प्रशासन सक्रिय नहीं होगा तो आदेश कागजी बनकर रह जायेगा। तिलकधारी निषाद ने कहा कि पन्नी तब तक बंद होगी जब तक उपयोग करने वालों पर आर्थिक दंड नहीं लगेगा।

गंभीर नहीं प्रशासन

महेश कुमार शिवा

सहारनपुर: राज्य सरकार ने भले ही 15 जुलाई से पॉलीथीन को प्रतिबंधित कर दिया हो, लेकिन यहां का प्रशासन इस पर पाबंदी लगाने के प्रति पूरी तरह से गंभीर नजर नहीं आ रहा है। पॉलीथीन बंदी को लेकर केवल जागरूकता रैली ही निकाली जा रही है। नगर निगम की ओर से कोई विशेष अभियान नहीं चलाया गया है। यहां पर नगर निगम ने केवल तीन किलो पॉलीथीन रेहड़ी वालों से जब्त की है। इससे इतर देवबंद नगर​पालिका की टीम की ओर से 50 किलो पॉलीथिन जब्त कर दुकानदारों को भविष्य में इसका प्रयोग न करने की हिदायत दी गई है।

शहर में पॉलीथीन से होने वाले नुकसान और इसका प्रयोग न करने को लेकर केवल स्कूली बच्चों द्वारा जागरूकता रैली ही निकलवाई जा रही है। सिटी मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में एक टीम का गठन जरूर किया गया है, लेकिन इस टीम ने भी अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। दुकानदारों या बड़े कारोबारियों पर हाथ डालने से प्रशासन डरता सा नजर आ रहा है। उधर, नगरायुक्त ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है कि पॉलीथीन जब्त करने और जुर्माना वसूलने के लिए टीमों का गठन कर दिया गया है। धीरे-धीरे इस अभियान को तेजी प्रदान की जा रही है। इसमें कारोबार से जुड़े सभी वर्गों यानी व्यापार मंडल, उद्योग मंडल व अन्य संगठनों का सहयोग भी लिया जा रहा है।

दुकानदारों का थैला लेकर आने का आग्रह

दुकानदार अपने यहां आने वाले ग्राहकों से थैला लेकर आने का आग्रह कर रहे हैं। कागज के लिफाफों में सामान दिया जा रहा है। डेयरी संचालक पप्पी आहूजा ने बताया कि उन्होंने पॉलीथीन में दूध देना बंद कर दिया है। जो दूध पैक होकर कंपनी से आ रहा है, वो दूध उसी पैक में दिया जा रहा है। खुला दूध लेने वालों से बर्तन साथ में लेकर आने के लिए कहा जा रहा है। दुकानदार शैलेंद्र भूषण का कहना है कि उन्होंने किराना के सामान को कागज अथवा हल्के कपड़े के थैले में देना शुरू किया है।

छापे में बरामद हुई 30 कुंतल पॉलीथीन

सहारनपुर में अधिकारियों ने १७ जुलाई की शाम एक ऐसी फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है, जिसमें फूड फैक्ट्री की आड़ में पॉलीथिन तैयार की जा रही थी। मौके से तीस कुंतल पॉलीथीन बरामद हुई है, जिसे जब्त कर लिया गया है। थाना गागलहेडी क्षेत्र के ग्राम छजपुरा में हरीश चौरसिया नाम के व्यक्ति ने शिवलोक फूड फैक्ट्री लगा रखी है। इस फैक्ट्री में अचार आदि तैयार किया जाता है, लेकिन इसकी आड़ में पॉलीथिन बनाने की मशीनें भी लगा रखी हैं। पॉलीथीन निर्माण के लिए किसी तरह का लाइसेंस अथवा रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है। अपर जिलाधिकारी वित्त विनोद कुमार ने बताया कि अब किसी की कीमत पर पॉलीथिन का निर्माण और प्रयोग नहीं होने दिया जाएगा।

प्रशासन ने बनाई पॉलीथीन रोकने की रणनीति

तेज प्रताप सिंह

गोंडा: पॉलीथीन पर रोक को लेकर जिला प्रशासन ने रणनीति तैयार की है। इसके लिए अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। डीएम कैप्टन प्रभांशु श्रीवास्तव ने कहा कि जिन व्यापारियों ने पॉलीथीन का स्टाक डम्प कर रखा है, वे माल वापसी की व्यवस्था कर लें। फुटकर दुकानदार तत्काल निर्धारित मानक के नीचे की पॉलीथिन बेचना व उसमें ग्राहकों को सामान देना बंद कर दें।

वैसे रोक के तत्काल बाद बाजार पर इसका असर नहीं दिखा। शहर के फव्वारा चैराहे पर ठेला लगाए राजाराम पॉलीथीन में सामान बेचते नजर आए। रोक लगाने की बात पर उनका कहना था कि हमें पता नहीं है। चौक में सामान खरीद रहे एक युवक कहा कि पॉलीथीन के खतरे को मैं जानता हूं। अब सरकार ने रोक लगा दी है, ऐसे में घर से थैला लेकर आऊंगा। पालिका चौराहे के पास भी पॉलीथिन में ही लोग सामान खरीद कर ले जा रहे थे। हालांकि कई दुकानदारों ने पॉलीथीन के स्थान पर कपड़े का झोला बनवाया है। कुछ ग्राहक भी कपड़े का बैग लेकर खरीदारी करने आए। चाय की दुकानों पर प्लास्टिक के स्थान पर कागज के गिलास नजर आए।

पॉलीथीन के खिलाफ मुहिम में सामाजिक संगठनों का भी मिला साथ

वाराणसी: पॉलीथीन को लेकर योगी सरकार की सख्ती का असर दिखने लगा है। वाराणसी में जिला प्रशासन लगातार अभियान चला रहा है। जिला प्रशासन के साथ देने के लिए वाराणसी में कई सामाजिक संगठन भी उतर आए हैं। पॉलीथीन के खिलाफ सिर्फ दुकानदारों को ही नहीं बल्कि लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है। एक ओर जहां जिला प्रशासन और नगर निगम की अलग-अलग टीमें प्रमुख बाजारों और मंडियों में छापेमारी कर रही हैं वहीं सामाजिक संगठनों के लोग सार्वजनिक जगहों के अलावा घाटों और मंदिरों में लोगों से पॉलीथीन न प्रयोग करने की अपील कर रहे हैं। नमामि गंगे संस्था से जुड़े लोगों ने दशाश्वमेध घाट पर लोगों को जागरूक करने के साथ ही सफाई अभियान चलाया। गंगा की तलहटी की सफाई के दौरान भारी मात्रा में पॉलीथीन को निकाला गया। सिर्फ घाटों पर ही नहीं, शहर के प्रमुख मंदिरों में भी पॉलीथीन के खिलाफ मुहिम छिड़ी हुई है। कुछ संगठऩों ने मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं को मुफ्त में कपड़े का थैला दिया। व्यापारी वर्ग ने भी पॉलीथीन की होली जलाकर इसके इस्तेमाल पर रोक का समर्थन किया। पॉलीथीन के खिलाफ शहरी क्षेत्रों में अब मल्टी मीडिया कैंपेन चलाया जा रहा है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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