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PM Modi Rally Postponed: मोदी की लखनऊ में होने वाली संभावित रैली स्थगित, कोराना की तीसरी लहर है संभावित कारण
PM Modi Rally Postponed: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लखनऊ में 9 जनवरी को होने वाली संभावित रैली टाल दी गई है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण कोरोना की तीसरी लहर को माना जा रहा है।
PM Modi Rally Postponed: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की लखनऊ में 9 जनवरी (PM Narendra Modirally in Lucknow) को होने वाली संभावित रैली टाल दी गई है। ये बीजेपी (BJP) की रैली थी। इसमें पूरे प्रदेश से कम से कम दस लाख लोगों को जुटाने का लक्ष्य था। मोदी की इस रैली के टलने के बाद विधानसभा चुनाव की आचार संहिता (code of conduct for assembly elections) भी 9 जनवरी से पहले लगने के आसार हैं। पहले ये माना जा रहा था कि आचार संहिता 9 जनवरी के बाद लगेगी।
हालांकि ये प्रस्तावित रैली बीजेपी की राजनीतिक रैली (BJP political rally) थी न कि कोई सरकारी कार्यक्रम। फिर भी ये माना जा रहा था कि आचार संहिता लगने से पहले इसमें कुछ सरकारी घोषणाएं भी की जा सकती थीं।
पीएम मोदी की रैली टलने का कारण
मोदी की रैली टलने ( PM Modi rally postponed) के पीछे सबसे बड़ा कारण कोरोना की तीसरी लहर को माना जा रहा है। बीते कई दिनों से लगातार कोविड के केस बढ़ रहे हैं। दिल्ली में वीकेंड लाकडाउन (weekend lockdown in delhi) लग चुका है। उत्तर प्रदेश में भी नाइट कर्फ्यू जारी है, इसका समय भी बढ़ा कर रात दस बजे से सुबह छह बजे तक किया गया है।
हाल ही में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने लखनऊ में रैली की थी। रैली के एक दिन बाद ही वे कोविड पाजिटिव हो गए। इसके बाद कई बड़े नेताओं ने बड़ी रैलियां न करने की घोषणा की। कांग्रेस महासचिव और प्रियंका गांधी वाड्रा ने सबसे पहले घोषणा की कि वे बड़ी रैलियां नहीं करेंगी। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी कहा है कि वे इस बार वर्चुअल माध्यमों से ही रैलियां करेंगी। जनता के बीच जाकर रैलियां नहीं करेंगी।
बीजेपी कोविड को लेकर जोखिम नहीं उठाना चाहती
कोविड के बढ़ते केसेस को देखते हुए बीजेपी किसी प्रकार का जोखिम नहीं लेना चाहती है। वह इसको लेकर किसी भी तरह का राजनतिक आरोप भी नहीं झेलना चाहती। बीजेपी नेता नहीं चाहते कि कोविड के बढ़ते केस और बिगड़ते हालात का जिम्मेदार उसकी रैलियों को ठहराया जाए। इसके साथ ही बीजेपी यह भी नहीं चाहती है कि चुनाव के दौरान किसी भी तरह से कोरोना के केस बढ़ें और हालात बिगड़ें। क्योंकि ऐसा होने पर स्वाभाविक रूप से जनता की प्रतिक्रिया सरकार के खिलाफ हो सकती है। इसी वजह से बीजेपी रैलियों और भीड़ को लेकर फूंक फूंक कर कदम रख रही है।
यहां ये भी जानना जरूरी है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी बीते दो महीनों से लगातार सरकारी कार्यक्रमों के नाम पर रैलियां कर चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक एक दिन में कई सभाओं और कार्यक्रमों को संबोधित कर चुके हैं। एक तरह से बीजेपी नेताओं ने पूरे उत्तर प्रदेश को मथ दिया है।
प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi), मायावती (Mayawati) और अब मोदी के रैली न करने के बाद सबसे बड़ा दबाव अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर है। अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के इकलौते बड़े स्टार प्रचारक हैं। उन्हें रैलियों के साथ साथ पार्टी की रणनीति भी बनानी रहती है। बीजेपी के बड़े नेताओं की पूरी टीम से उन्हें अकेले मुकाबला करना है। वे अभी रथयात्रा के जरिए कुछ ही जिलों तक जा पाए हैं। चुनाव तक उन्हें अभी कई जिलों में रैलियां और जनसंपर्क करना है। अब देखना ये है कि वे अन्य नेताओं की तरह कम रैलियां करते हैं या फिर अपने हिसाब से रैलियों को जारी रखेंगे।
कोरोना का असर बीजेपी की चुनाव की तैयारीयों पर नहीं
उधर बीजेपी बीते साढ़े चार वर्षों से यूपी के विधानसभा चुनाव की तैयारी रही है। हर बूथ स्तर तक उनका प्रबंधन पूरा हो चुका है। पन्ना प्रमुख अपना काम कर चुके हैं। ऐसे में कोरोना का असर उनके प्रचार पर उतना नहीं पड़ेगा जितना समाजवादी पार्टी पर।
कुल मिलाकर कोविड के बीच अच्छा यही होगा कि नेता कम से कम रैलियां करें, भीड़ जमा न होने दें। तकनीक का इस्तेमाल करते हुए चुनाव प्रचार करें। हम सबने कोविड की दूसरी लहर में त्रासदी झेली है। ऐसे में बड़े नेताओं का रैलियां न करने का फैसला स्वागत योग्य है और दूसरे नेताओं को भी इसी राह पर चलना चाहिए, क्योंकि इस वक्त हमारी पहली चुनौती कोरोना है, चुनाव नहीं।
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