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मिसाल: 75 साल की बहू ने 110 साल की सास के लिए बेच दी 5 बकरियां, घर में बनवाया शौचालय
कानपुर: एक तरफ जहां देश भर में पीएम मोदी घर-घर में शौचालय बनवाने के लिए योजनाएं चला रहे हैं, जबकि उनके कुछ अधिकारी अभी इस पर सही से काम नहीं कर रहे हैं। वहीं कानपुर देहात में एक 75 साल की बुजुर्ग महिला ने अपनी 110 साल की सास के लिए बकरियां बेच कर शौचालय का निर्माण कराया है। इतना ही उन्होंने इस छोटे से गांव का नाम पूरे देश में रोशन किया है।
ग्राम प्रधान व ब्लॉक डेवलपमेंट अधिकारी से शौचालय निर्माण के लिए आर्थिक मदद की मांग करने के बाद उन्हें धिक्कार के आलावा कुछ नहीं मिला। तो इस बुजुर्ग ने ठान लिया, अब सास के लिए मुझे पक्का शौचालय बनवाना है। इसके लिए उन्होंने 5 बकरियां बेच दी। उससे मिले रुपयों से उन्होंने शौचालय बनवा कर अपनी सास को उपहार स्वरुप भेंट किया है।
कहां का है यह पूरा मामला
-मलासा ब्लॉक के अनंतापुर गांव में रहने वाली चंदना अपने परिवार जिसमें एक बेटा रामप्रसाद, सास फूलमती के साथ रहती है।
-यह परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा है।
-बड़ी ही मुश्किल से इन्हें दो वक्त की रोटी नसीब होती है। रामप्रसाद गांव में ही लेबरी करता है और परिवार का पालन पोषण करता है।
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-चंदना के पति की 8 साल पहले बीमारी से मौत हो चुकी थी।
-वहीं इनकी सास इन दिनों अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर चल रही हैं।
-सास की उम्र 110 वर्ष है, जिसकी वजह से उन्हें घर के बहार शौच जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
-आए दिन बीमार रहने की वजह से बाहर शौच के लिए भी नहीं जा पाती थी।
-चंदना ने ग्राम प्रधान से निर्माण में आर्थिक मदद की गुहार लगाई, लेकिन उसने इनकी बातों को अनसुना कर दिया।
-इसके बाद चंदना ने बीडीओ से शौचालय बनवाने की गुहार लगाई। वह भी बुजुर्ग को वहां से भी आश्वासन देकर चलता कर दिया गया।
आगे की स्लाइड में जानिए क्या है बुजुर्ग महिला का कहना
क्या है बुजुर्ग चंदना का कहना
-चंदना बताती हैं कि जब हमारी कहीं भी सुनवाई नहीं हुई, तो मैंने उसी वक्त ठान लिया, अब कुछ भी हो मुझे शौचालय बनवाना है।
-हमारी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि हम शौचालय बनवा सकें।
-हमने पांच बकरियों को बेचने का फैसला लिया और बेटे के साथ खुद जाकर बाजार में बकरियों को बेच दिया।
-उससे मिले पैसे से हमने सीमेंट ,मौरंग और ईंट मंगाया, सोखता के लिए मेरे बेटे ने दिन रात मेहनत कर गड्ढा खोदा और शौचालय बनवाया।
-उन्होंने बताया कि अब हमारी सास को शौच के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता है।
-यह देख कर हमें और हमारे परिवार को बेहद ख़ुशी है, अब हमारे पास भी शौचालय है। हम प्रधान और किसी अधिकारी को दोषी नहीं ठहराएंगे।
-लेकिन दुख होता था जब हमारी बातों को अनसुना किया जाता था। गांव के प्रभावशाली लोगों की यह अधिकारी सुनते हैं और हमारे जैसे गरीबों की जरा भी नहीं।
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चंदना के बेटे राम प्रसाद के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वछता अभियान के तहत गांव के हर एक घर के लिए शौचालय बनवाने की बात कही थी। लेकिन साहब अधिकारी उनके मिशन पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वह सिर्फ अपनी मनमानी करते हैं। हमने किस तरह से अपनी दादी को यह शौचालय दिया है। इसकी कीमत सिर्फ हम लोग समझ सकते हैं। आज हमें बहुत ख़ुशी होती है जब दादी इसका यूज करती हैं।
डीएम राकेश सिंह के मुताबिक जब मुझे बुजुर्ग महिला के साहस के विषय में जानकारी हुई तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई। मैं उन्हें बुलाकर सम्मानित करूंगा।
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