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PM की रैली के लिए हुआ भूमि पूजन, सिद्ध योग और शुभ नक्षत्र में संपन्न हुआ कार्यक्रम
प्रधानमंत्री की परिवर्तन रैली के लिए गुरुवार को मैदान का भूमि पूजन हुआ। पूजन दो विख्यात पंडितो ने संपन्न कराया। पूजन का मुहूर्त 11:45 मिनट पर था। इस मुहूर्त पर उत्तर भाद्रपद का नक्षत्र था और सर्वार्थ सिद्ध योग था। दशनकोण उत्तर पूर्व का कोण था, जिसे शुभ लाभ का कोण माना जाता है।
कानपुर: प्रधानमंत्री की परिवर्तन रैली के लिए गुरुवार को कानपुर में भूमि पूजन हुआ। भूमि पूजन का मुहूर्त 11 बजकर 45 मिनट पर था। वास्तु शास्त्र के हिसाब से दशनकोण उत्तर का कोण है और इस कोण में देवता निवास करते हैं। वास्तु के हिसाब से इस मुहूर्त में पूजन सार्थक होती है और निश्चित सफलता मिलती है। ज्योतिष के हिसाब से यह भद्रपद नक्षत्र था और मकर लग्न थी, नौवमी गुरुवार को जो भी काम होते है वह सिद्ध होते है। रैली 19 दिसंबर को होने वाली है।
भूमि पूजन
-निराला नगर स्थित रेलवे मैदान में 19 दिसंबर को जहां प्रधानमंत्री की परिवर्तन रैली होनी होनी है, गुरुवार को उस मैदान का भूमि पूजन किया गया।
-पूजन दो विख्यात पंडितो त्रिभुवत त्रिपाठी और संजय त्रिवेदी ने संपन्न कराया।
-पंडित त्रिभुवत त्रिपाठी ने बताया कि पूजन का मुहूर्त 11:45 मिनट का रखा गया था।
-इस मुहूर्त पर उत्तर भाद्रपद का नक्षत्र था और सर्वार्थ सिद्ध योग था व मकर लग्न था। नौवमी गुरुवार को नक्षत्र सबसे अच्छा होता है। इस पर जो भी कार्य किया जाता है उसे सफलता मिलती है।
-पंडित संजय त्रिवेदी ने बताया कि यह पूजन वास्तु के हिसाब से दशनकोण उत्तर पूर्व के कोण पर किया गया है।
-उन्होंने बताया कि इस कोण पर देवता वास करते हैं और इस कोण को शुभ लाभ माना जाता है।
-इस पूजन के बाद प्रधानमंत्री जी को उत्तर प्रदेश में निश्चित ही सफलता मिलेगी उनका मंच पूर्व की दिशा में बनाया जाएगा।
जनता बेहाल
-भूमि पूजन में शामिल संगठन मंत्री विजय बहादुर पाठक ने कहा कि हमने उस भूमि का भूमि पूजन किया है जहां बल्लिया लगेंगी।
-यह सब हमने वास्तु के हिसाब से किया है और भूमि पूजन मुहूर्त के हिसाब से किया गया है।
-भाजपा नेता ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने राज्य से जो वादे किये है वह वो पूरे नही कर पा रही है जनता परेशान है।
-समाजवादी कुनबा टिकट बांटने की अपनी-अपनी दावेदारी में व्यस्त है, जनता के सवालों का उत्तर कौन दे।
-उन्होंने कहा कि पिछली बार उम्मीद की जो साइकिल थी, इस बार वह खंड-खंड हो गई है। सबकी उम्मीदें टूट चुकी हैं। लेकिन काठ की हांड़ी बार-बार नही चढ़ती।
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