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बुजुर्ग की दारुण दशा देख बह उठी अफसरों की करुणा, गमक उठा माहौल
लाकडाउन से लेकर अब तक कि मंडल स्तर पर उच्च प्रशासनिक कार्य प्रणाली का विश्लेषण करें तो कमिश्नर गौरव दयाल और डीआईजी दीपक कुमार लाकडाउन की शुरुआत से ही कोरोना जंग के खिलाफ संयुक्त मोर्चा संभाले हैं।
शरद चंद्र मिश्रा
बांदा: लाकडाउन में पुलिस महकमे और प्रशासन के मानवीय चेहरों की अनेक नकारात्मक और सकारात्मक तस्वीरें सामने आई हैं। लेकिन बांदा में आज प्रशासनिक अधिकारियों का ऐसा संवेदनशील मददगार का संयुक्त चेहरा सामने आया जिससे प्रशासनिक छवि में चार चांद लगा देना कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगा।
सरेराह दिखे मार्मिक इस नजारे ने सभी का ध्यान खींचा। आशीर्वाद में उठे बेसहारा वृद्ध महिलाओं के हाथ और उन्हें सहारा दे रहे हाथों के दरम्यान मानवीयता में घुली आत्मीयता की खुशबू से माहौल गमक उठा। सीओ सिटी और सिटी मजिस्ट्रेट की जोड़ी ने विनम्रता और संवेदनशीलता की शानदार मिसाल पेश कर महफिल सी लूट ली।
वैसे लाक डाउन से लेकर अब तक कि मंडल स्तर पर उच्च प्रशासनिक कार्य प्रणाली का विश्लेषण करें तो कमिश्नर गौरव दयाल और डीआईजी दीपक कुमार लाकडाउन की शुरुआत से ही कोरोना जंग के खिलाफ संयुक्त मोर्चा संभाले हैं।
लेकिन इस दौरान प्रशासनिक और सुरक्षा इंतजामों को लागू करने के साथ ही दोनों का जोर प्रशासन और पुलिस का संयुक्त मानवीय चेहरा उभारने और निखारने पर भी दिखा।
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पहले भी मदद के लिए आ चुके हैं आगे
चारो जिलों का दौरा करते समय हैरान परेशान से लोगों को देखकर ठहरना, गाड़ी से बाहर आकर लोगों से मिलना और हरसंभव उनकी मदद सुनिश्चित करना दयाल और कुमार की खूबी रही है।
सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से मांगी गई मदद पहुंचाने के मोर्चे पर इन दोनों आला अधिकारियों का कोई जोड़ नहीं है। ट्वीटर जैसे मंचों पर कमिश्नर के मुकाबले डीआईजी की मौजूदगी ज्यादा दिखती है। यही वजह रही होगी कि सोशल मीडिया के जरिए मदद मांगने वाले डीआईजी से ज्यादा मुखातिब हुए। डीआईजी ने कमिश्नर संग का निरंतर उल्लेख कर प्रशासन और पुलिस का संयुक्त मानवीय चेहरा निखारने पर ही बल दिया।
इसका असर नीचे तक दिखा । चारो जिलों के डीएम और एसपी ने संकटकाल में तालमेल का प्रदर्शन किया है। बांदा में डीएम अमित सिंह बंसल और एसपी सिद्धार्थ शंकर मीणा ने कानून तोड़कों से निपटने और जरूरतमंदों की मदद के मामले में अलग ही छाप छोड़ी है।
उन्होंने सत्ताई दबावों को तक दर किनार किया। लेकिन आज मंगलवार के दिन बांंदा में दिखा नजारा अब तक के तमाम नजारों से थोड़ा अलग होने के साथ ही पुलिस व प्रशासन के संयुक्त मानवीय चेहरे को नई ताजगी सा दे गया। कहा जा रहा है कि इससे कमिश्नर और डीआईजी की मुहिम को पर लग गए ।
बांदा शहर की प्रशासनिक और पुलिसिंग बागडोर संभाले सीओ सिटी आलोक मिश्रा और सिटी मजिस्ट्रेट सुरेंद्र सिंह अलीगंज पुलिस चौकी क्षेत्र से गुजर रहे थे। तभी सड़क में दो वृद्ध महिलाओं की दारुण दशा देख दोनों की करुणा बह निकली।
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बूढी महिला की मदद के लिए पुलिसवालों ने बढ़ाया हाथ
दोनों लपक कर बूढ़ी माताओं के पास पहुंचे। जर्जर काया और झुकी कमर के बीच दोनों महिलाओं का खुद को संभालना मुश्किल है, लेकिन लाचारी दोनों को दानवीरों के राशन की लालसा में महोखर गांव से पांच किलोमीटर दूर बांदा खुद लाई थी। पर पता नहीं था कौन दानवीर के किस ठिकाने जाया जाए।
उनकी व्यथा जान दोनों अधिकारियों ने राशनकिट वहीं मंगवाकर न केवल महिलाओं को सौंपी बल्कि ई-रिक्शा से राशन सहित दोनों महिलाओं की महोखर वापसी भी सुनिश्चित कराई।
लेकिन इस बीच महिलाओं की बोरी उठाते सिटी मजिस्ट्रेट और हाथ बढ़ाकर महिला को सहारा देते सीओ सिटी को हाथ उठाकर दुआएं देतीं बेसहारा महिलाओं के दृश्य का दीदार करने वाला हर शख्स द्रवित हुआ।
भगवान तुम्हें सुखी राखैं.. आदि आशीषों के बीच दोनों अधिकारियों के निश्छल हाव भाव ने मानवीयता में आत्मीयता की खुशबू घोल दी। इससे पूरा माहौल गमक गया।
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