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11 सिखों को उग्रवादी बता किया था फेक एनकांउटर, 47 पुलिसवाले दोषी करार

Admin
Published on: 1 April 2016 4:18 PM GMT
11 सिखों को उग्रवादी बता किया था फेक एनकांउटर, 47 पुलिसवाले दोषी करार
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लखनऊ: पीलीभीत में 25 साल पहले तीर्थयात्रा से वापस लौट रहे 11 सिखों को उग्रवादी बताकर फेक एनकाउंटर में मारने के मामले में स्थानीय सीबीआई कोर्ट ने 47 पुलिसकर्मियों को दोषी पाया है। इनमें से 20 पुलिसवालों को कोर्ट ने कस्टडी में लेकर जेल भेज दिया, जबकि कार्यवाही के दौरान गैरहाजिर 27 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी कर उनके जमानतदारों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट सजा के बिंदुओं पर 4 अप्रैल को सुनवाई करेगी।

ये थे शामिल

दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों में ज्ञान गिरि, लाखन सिंह, हरपाल सिह, कृष्णवीर सिंह, करन सिंह नेमचंद्र, सत्येंद्र सिंह, बदन सिंह, मो. अनीस, नत्थू सिंह, वीरपाल सिंह, दिनेश सिंह, अरविंद सिंह, राम नगीना, बिजेंद्र सिंह, एमपी विमल, सुरजीत सिंह, सत्यपाल सिंह, रामचंद्र सिह, हरपाल सिंह शामिल हैं।

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इन धाराओं में दोषी

-सीबीआई जज लल्लू सिंह ने अपने फैसले में कहा कि ये पुलिसकर्मी सिख तीर्थयात्रियों के अपहरण, उनकी हत्या और षडयंत्र के दोषी हैं।

-कोर्ट ने सभी को आईपीसी की धारा 302, 364, 365, 218, 117 और 120बी के तहत दंडित किया है।

ये है पूरा मामला

-सीबीआई के विशेष अभियोजक सतीश चंद्र जायसवाल के मुताबिक, घटना 12 जुलाई 1991 की है।

-नानकमथा पटना साहिब, हुजूर साहिब और अन्य तीर्थ स्थलों की यात्रा करते हुए 25 सिखों का एक जत्था बस से वापस लौट रहा था।

-पीलीभीत जिले के कछालाघाट पुल के पास पुलिस ने सुबह करीब 11 बजे बस रोक ली।

-पुसिल ने इनमें से 11 सिखों को बस से उतार लिया। फिर अलग-अलग थाना क्षेत्रों में मुठभेड़ दिखाकर इन्हें मार दिया।

-पुलिस ने इस मुठभेड़ की एफआईआर थाना विलसड़ा, थाना पुरनपुर और थाना नोरिया में दर्ज कराई।

-मारे गए सिख तीर्थयात्रियों के पास से अवैध असलहों की बरागदगी दिखाई गयी और कहा गया कि उन्हेांने पुसिल पार्टी पर फायर किया था।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई सीबीआई जांच

-बाद में घटना की सीबीआई जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में वकील आरएस सोढ़ी ने अर्जी लगाई।

-कोर्ट ने सीबीआई से जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने कई थानों के एसओ, एसआई और कॉस्टेबलों को फेक एनकाउंटर का दोषी पाया।

-12 जून 1995 को 57 पुलिसवालों के खिलाफ आरोपपत्र कोर्ट को भेजा गया।

-विचारण के दौरान दस अभियुक्तों की मौत हो गई, जबकि शेष अभी जीवित हैं, जिनके खिलाफ केस चला।

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