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Sonbhadra News: बड़ा खुलासा, जब भी काले धंधे पर पहुंचती है चोट तो वायरल होने लगती है वसूली की सूची

Sonbhadra News Today: अवैध शराब तस्करी के बड़े गठजोड़ के खुलासे में एक थाने के पुलिसकर्मियों की संलिप्तता ने लोगों में खलबली मचा दी थी।

Kaushlendra Pandey
Published on: 8 May 2022 4:44 PM GMT
Whenever there is an injury on black business, the list of recovery starts going viral, fourth case in Varanasi zone
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सोनभद्र: अवैध शराब तस्करी: Photo - Social Media

Sonbhadra News Today: शक्तिनगर पुलिस (Shaktinagar Police) की कथित वसूली से जुड़ी वायरल लिस्ट (viral list) को लेकर की गई पड़ताल में कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी कई थानों को लेकर इस तरह की सूची वायरल की जा चुकी है। महज वाराणसी जोन (Varanasi Zone) में यह चौथा मामला है। सबसे पहला मामला चंदौली के मुगलसराय थाने (Mughalsarai Police Station) से सामने आया था।

एक बर्खास्त सिपाही की तरफ से सूची वायरल करने की जानकारी सामने आई थी। वहीं लगाए गए कई आरोप ऐसे थे, जिनका जुड़ाव मुगलसराय थाने की पूरी एरिया से न होने की भी बात सामने आई थी लेकिन वाराणसी जोन (Varanasi Zone) में अपनी तरह का पहला मामला होने के कारण, इसको लेकर इस कदर हंगामा बरपा कि अवैध धंधे (illegal business) पर एक के बाद एक चोट पहुंचाकर पूरे पूर्वांचल में कार्रवाई का नया रिकार्ड बनाने वाले मुगलसराय के थानेदार शिवानंद मिश्रा को लखनऊ अटैच होना पड़ा और अभी तक वह लखनऊ में ही हैं।


जब-जब काले धंधे को संरक्षण देने वालों पर पहुंची सीधी चोट, तब-तब सूची हुई वायरल

वायरल हुई सूची और उसके पूर्व के घटनाक्रमों पर नजर डालें तो यह सूचियां तभी वायरल हुईं तब या तो पुलिस की तरफ से काले धंधे पर सीधी चोट हुई या फिर उसको संरक्षण देने वालों पर। मुगलसराय के पीछे वायरल हुई सूची के पीछे भी लंबे समय तक ऐसी ही चर्चा बनी हुई थी। बताया जाता है कि अवैध शराब तस्करी (illegal liquor smuggling) के बड़े गठजोड़ के खुलासे, इसमें एक थाने के पुलिसकर्मियों की संलिप्तता और उन्हें मुगलसराय थाने से जेल भेजने के मामले ने अवैध धंधे को शह देने में लगे लोगों में खलबली मचा दी थी और उसी समय से वायरल सूची की पटकथा लिखी जानी शुरू हो गई थी।

पहली बार किए गए इस तरह के प्रयोग ने सफलता भी दिलाई और शिवानंद लखनऊ अटैच कर दिए गए। जबकि जांच के दौरान यह चीजें स्पष्ट रूप से सामने आईं, अंतर्राज्यीय पशु तस्करों का पसंदीदा रूट हाइवे का कोई भी हिस्सा मुगलसराय थाने की एरिया में आता ही नहीं। सूची में दर्शाए गए, दूसरे धंधों-नामों पर भी मुगलसराय पुलिस की तरफ से कार्रवाई की बात सामने आई थी। इसी तरह अदलहाट कोयला तस्करी का बड़ा हब माना जाता रहा है। दो दिन पूर्व एटीएस की तरफ से बड़ी कार्रवाई सामने आ चुकी है।


इस धंधे पर भी जब पुलिस की नजर पड़ी तो एक सूची वायरल हो गई। हालांकि यहां तैनात थानाध्यक्ष अभय सिंह (Police Station Abhay Singh) को क्लीनचिट मिल गई। इसी तरह छितईपुर, लंका थाने की एरिया में आने वाला हाइवे पशु तस्करों का पसंदीदा रूट माना जाता है। यहां भी ऐसे समय में सूची वायरल हुई, जब तस्करी पर पुलिस की सख्ती बढ़ने की बात चर्चा में आने लगी। यहां भी जांच में छितईपुर पुलिस को क्लीनचिट मिली।

अब, जब सोनभद्र से जुड़े कोयला तस्करी के सिंडीकेट पर अदलहाल में पड़ी रेड और एनसीएल की जमीन पर कब्जा जमाए माफिया के होटल के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई सामने आई है तो यहां भी एक वसूली की लिस्ट वायरल होनी शुरू हो गई। जांच का परिणाम क्या निकलेगा, यह तो वक्त बताएगा लेकिन कहीं 20 मई को खड़िया में कब्जे पर चलने वाले बुलडोजर को रोकने की कोशिश तो नहीं, इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।

सूची वायरल करने वाले सिपाही की बाद में मिली थी पशु तस्करी में संलिप्तता

सबसे दिलचस्प मसला यह है कि जिस सिपाही की तरफ से सूची वायरल की गई थी। उसे वसूली के मामले में 2012 में बर्खास्त किया गया था। वहीं सूची वायरल करने के बाद, उसकी ही संलिप्तता पशु तस्करी में पाई गई तो एकबारगी उसे सही ठहराने वालों के भी होश उड़ गए। उसके साथ हाइवे के कई थानों पर तैनात पुलिसकर्मियों के तार जुड़े पाए गए। इसके बाद दोबारा से उसे बर्खास्त कर दिया गया लेकिन उससे जुड़े तार को खंगालने की जरूरत नहीं समझी गई।

इसी तरह तेल माफियाओं वाली एरिया मुगलसराय थाने की जगह, अलीनगर थाने (Alinagar Police Station) की एरिया में होने की बात सामने आई थी। कारखासी को लेकर भी सिपाहियों पर थानेदारों के खिलाफ पेशबंदी कोई नया मामला नहीं है। ऐसे में मुगलसराय से लेकर शक्तिनगर तक वायरल होने वाली सूची के पीछे, कहीं, अवैध धंधों से जुड़े एक सिंडीकेट का ही तो हाथ नहीं है, इसको लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं।


पुलिस की इन कमियों का कोल-अवैध शराब माफिया उठाते हैं फायदा

कोल कंट्रोल एक्ट (coal control act) के तहत पुलिस किसी भी कोल डिपो या अवैध कोल भंडारण पर सीधे तब तक हाथ नहीं डाल सकती, जब तक उसके साथ एसडीएम, जिला पूर्ति अधिकारी या उनसे बड़ा कोई अधिकारी साथ न हो। चोरी की सूचना या कोई ऐसा मामला, जिससे सीधा अपराध प्रतीत होता है, तभी पुलिस सीधी कार्रवाई कर सकती है।

इसी तरह अवैध शराब तस्करी के मामले में किसी भी ठेके की दुकान के भीतर बन रही अवैध शराब या दुकान के स्टाक को पुलिस को चेक करने का अधिकारी नहीं है। पुलिस तभी कार्रवाई कर सकती है जब उसके साथ आबकारी विभाग की निरीक्षक की अगुवाई वाली टीम या फिर सीओ या उससे बड़ा अधिकारी साथ हो। ऐसे ही एक मामले को लेकर बहराइच जिला सुर्खियों में रह चुका है।

Shashi kant gautam

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