×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

फूलपुर लोकसभा उपचुनाव : भाजपा के विजय रथ को रोकना आसान नहीं 

Newstrack
Published on: 9 March 2018 4:03 PM IST
फूलपुर लोकसभा उपचुनाव : भाजपा के विजय रथ को रोकना आसान नहीं 
X

कौशलेन्द्र मिश्र

इलाहाबाद: फूलपुर लोकसभा के उपचुनाव में भाजपा की सियासी राह रोकने की रणनीति के तहत बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने तुरुप का पत्ता फेंक दिया है। भाजपा को हराने के उनके निर्देश के बाद जहां पार्टी के वोट बैंक में बिखराव में रुका है वहीं सपा और बसपा कार्यकर्ता एक साथ मिलकर प्रत्याशी के चुनाव प्रसार में दमखम से जुट गए हैं। उनके पुराने रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने लगी है। स्थानीय प्रत्याशी होने के वजह से उन्हें इसका पूरा लाभ भी मिलता नजर आ रहा है। हालांकि राजनीतिक जानकार मानते हैं कि सपा-बसपा में एका के बावजूद भाजपा के विजय रथ को रोक पाना उतना आसान नहीं होगा। वैसे सपा और बसपा की इस युगलबंदी से सबसे अधिक सांसत में कांग्रेस है।

ये भी पढ़ें : Allahabad HC : सहायक अध्यापकों को नियुक्ति देने पर जवाब तलब

फूलपुर संसदीय क्षेत्र का चुनावी मिजाज दूसरे संसदीय क्षेत्रों से अलग है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु का चुनाव क्षेत्र होने के कारण इसे हमेशा हॉट सीट का दर्जा दिया जाता है। भारतीय जनता पार्टी के लिये यह सीट इसलिए चुनौतीपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौैर्य ने यहां तीन लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी। क्षेत्र की पांचों विधानसभा सीटें भी भाजपा की ही झोली में हैं। वैसे सपा-बसपा की हालिया दोस्ती ने सभी पार्टियों और उम्मीदवारों को अपनी रणनीति की नये सिरे से समीक्षा करने को मजबूर कर दिया है। बीजेपी के खेमे में हलचल तेज हो गयी है। जातीय समीकरणों के मद्देनजर सपा का पलड़ा भारी नजर आने लगा है।

फूलपुर संसदीय क्षेत्र में पटेल मतदाता अहम माने जाते हैं। इसे देखकर ही भाजपा ने कौशलेन्द्र सिंह पटेल और सपा ने नागेन्द्र सिंह पटेेल को मैदान में उतारा है। पटेल मतदाता संगठित होकर एकतरफा वोट करते रहे हैं। वह जिधर रहते हैं उस प्रत्याशी की जीत के आसार भी प्रबल रहते हैं। वैसे इस संसदीय सीट के उपचुनाव में कहीं शोर नहीं दिखाई पड़ रहा है। झंडा, बैनर, पोस्टर, होर्डिंग आदि नाममात्र के ही नजर आ रहे हैं। केवल साइलेंट प्रचार हो रहा है।

ये भी पढ़ें : Allahabad High Court: सहकारी समितियों का चुनाव रोकने से इंकार

मायावती के निर्देश के बाद अभी तक उधेड़बुन में रहे कार्यकर्ताओं में आशा का संचार हुआ है। सपा-बसपा की पुरानी दोस्ती में रंग भरने लगा है। घर, चौराहा और बाजारों में दोनों दलों के कार्यकर्ता पार्टी प्रत्याशी को जिताने के लिए हिसाब-किताब लगा रहे हैं। इधर, सपा और बसपा के गठबंधन को ध्वस्त करने में भाजपा भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत दिग्गज नेता ताबड़तोड़ सभाएं कर रहे हैं। बीजेपी, सपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच इसी सीट पर पूर्व सांसद अतीक अहमद ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोंक दी है। सबकी नजर इस बात पर लगी है कि अतीक कितना वोट पाते हैं क्योंकि माना जा रहा है कि अतीक के मजबूत होने से सपा प्रत्याशी को नुकसान होगा और भाजपा को फायदा।

. जातीय समीकरण : फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल 19.5 लाख वोटर हैं। इनमें से 5.5 लाख दलित मतदाता हैं। फूलपुर में ओबीसी मतदाताओं की संख्या 7.5 लाख है। 4.5 लाख सामान्य वर्ग के वोटर हैं। मुस्लिम वोटरों की संख्या लगभग 2 लाख के करीब है। यहां पर ओबीसी मतदाता निर्णायक की भूमिका निभाते हैं। वे जिधर होते हैं, जीत उसी की होती है। पिछले चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य को पिछड़ों का जबर्दस्त समर्थन मिला था। यादव वर्ग पूरी तरह से सपा के साथ है। बीजेपी और सपा ने पटेल उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, जिससे कुर्मी वोटों का बंटवारा होना तय है। बीजेपी उम्मीदवार कौशलेन्द्र पर बाहरी होने का आरोप गढ़ा जा रहा है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के चलते कुशवाहा समाज पूरी तरह से बीजेपी के साथ है। बिन्द वोटर अभी खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं जबकि दूसरी जातियो के वोट बंटने के पूरे आसार है। विश्वकर्मा, कुम्हार, सोनार और तेली जैसी जातियों पर भाजपा का प्रभाव दिख रहा है।

सुल्तानपुर गांव में चौपाल लगाए राम अभिलाष प्रजापति, अंजन कुमार, घनश्याम वर्मा, मनीष कुमार भारतीय, सुरेश भारतीय, मूलचन्द्र, मनोज भारतीय एवं दिलीप कुमार भारतीय ने बसपा का समर्थन करते हुए बताया कि बीजेपी के राज में आधार कार्ड को लेकर तरह-तरह की समस्याएं है। जनधन खाते को बनवाने में जल्दबाजी की गयी, लेकिन खाते में कोई पैसा नहीं आया। बीजेपी शासन में कोई फायदा नहीं मिला है। इन लोगों ने बताया कि मोदी जादूगर हैं और उन्होंने मीडिया पर कब्जा कर लिया है। इसी कारण हर जगह उन्हीं का प्रचार-प्रसार चल रहा है।

क्या कहते हैं लोग

जिलाध्यक्ष समाजवादी पार्टी कृष्णमूर्ति सिंह यादव ने कहा कि बसपा सुप्रीमो के आदेश के बाद कार्यकर्ताओं में जोश है। उन्होंने कहा कि ‘मिले मुलायम कांशीराम हवा में उड़ गए जयश्री राम’ वाला सीन एक बार फिर दिखेगा। सपा प्रत्याशी की जीत तय है।

जोनल कोआर्डिनेटर बसपा अशोक गौतम का कहना है कि बसपा कार्यकर्ता किसी भी स्थिति में भाजपा को वोट नहीं देते। वे पार्टी के निर्देशों का इंतजार कर रहे थे। बहनजी का संदेश मिलने के बाद कार्यकर्ता समाजवादी पार्टी को जिताने में पूरी तरह से लग गये हैं। पार्टी प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित है।

जिलाध्यक्ष बसपा आरके गौतम के मुताबिक हमारी नेता ने सपा को जिताने का आदेश दिया है तो सफलता जरूर मिलेगी। कार्यकर्ता समर्पण भाव से चुनाव प्रचार में लग गए हैं।

कोहना निवासी पूर्व बीडीसी प्रमोद कुमार पासी कहते हैं कि चुनाव में कोई उत्साह नहीं है। वर्ष 2019 के चुनाव में कम समय बचा है। बीएसपी का कोई प्रत्याशी मैैदान में नहीं है। बसपा सपा प्रत्याशी का समर्थन कर रही है मगर मायावती की बातों का असर नहीं दिख रहा है। प्रबुद्व बसपाई का रुझान बीजेपी की तरफ है। बीजेपी से अगर कोई फायदा नहीं है तो नुकसान भी नहीं है। थोड़े समय के लिए अपने मन से वोट दिया जाएगा और बीजेपी जीतेगी।

कटका झूंसी निवासी संजय भारतीय कहते हैं कि राजनीतिक पार्टियों ने देश को लूटने का काम किया है। बसपा के प्रबुद्ध लोग अपने मन से वोट करेंगे। मायावती ने समय पर सही काम नहीं किया जिससे बच्चों-बच्चों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी घर कर गए हैं। उन्होंने बताया कि सपा, बसपा और कांग्रेस जितना नजदीक आएंगे, उतना ही जनता इनसे दूर होगी। जनता बेवकूफ नहीं है। वह खुद निर्णय लेगी। उन्होंने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की उम्मीद भी जताई।

कसेरूवा कला सहसों निवासी रिपुदमन सिंह ने बताया कि सपा को समर्थन देकर मायावती ने मुस्लिमों को संदेश दिया है कि वह साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ हैं। उनका संदेश है कि हमने तुम्हारे लिए एक कदम आगे बढक़र सपा का हाथ थामा है। उन्होंने कहा कि व्यस्त होने के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ताबड़तोड़ सभाएं कर रहे हैं, लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव की रैलियां सीमित हैं। अखिलेश मजबूती से बोल भी नहीं रहे हैं। वैसे सपा चुनाव जीतने की स्थिति में है।

प्रधान संघ बहरिया के संगठन मंत्री एवं ग्राम प्रधान देवापुर धनंजय सिंह कहते हैं कि बसपा का वोट बैंक बीएसपी के समर्थन के बाद असमंजस की स्थिति में नहीं है। स्थानीय होने के नाते नागेन्द्र सिंह पटेल की ओर मतदाताओं का झुकाव हो रहा है। हालांकि बसपा के समर्थन से पूर्व मतदाताओं का झुकाव बीजेपी की तरफ था, लेकिन बाहरी प्रत्याशी होने के नाते अब सपा की ओर है।

ग्राम मलावा बुजुर्ग के बुल्ले पासी का कहना है कि बहनजी को तो हम लोग चाहते हैं, लेकिन वह नहीं चाहतीं। यही वजह है कि उन्होंने पासी बिरादरी को टिकट नहीं दिया है। मोदी के आने के बाद हम लोग भी जान गए हैं कि चुनाव क्या चीज है। हालांकि अभी तक किसी भी पार्टी से कोई लाभ नहीं मिला है, जबकि वोट मांगने सभी आते हैं।

ग्राम शेरडीह के पांडे भारतीय, सुशील कुमार सरोज और राजन भारतीय ने बताया कि सपा प्रत्याशी क्षेत्रीय हैं। कोई समस्या होने पर उनसे सम्पर्क किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने बताया कि बहन मायावती के सपा को दिए गए समर्थन की उन्हें अभी तक कोई जानकारी नहीं है और न ही पार्टी का कोई व्यक्ति अभी तक सम्पर्क करने ही आया है। अलबत्ता बीजेपी के लोग आकर डोरे जरूर डाल रहे हैं।

ग्राम दुर्जनपुर के बैजनाथ भारतीय का कहना था कि बहनजी ने ऐलान किया है तो वोट सपा को ही मिलेगा। उन्होंने कहा कि सपा-बसपा के एक होने पर पार्टी प्रत्याशी की जीत तय है।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story