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सरकारी दबाव और चुनावी फायदे के लिए लखनऊ मेट्रो बन रहा हादसों का सबब!
Anurag Tiwari
लखनऊ: सरकारी दवाब और चुनावी फायदा लेने के लिए जिस तरह जयपुर मेट्रो का काम हादसों का सबब बना, वैसा ही कुछ लखनऊ में होता नजर आ रहा है। इसे संयोग मात्र ही कहेंगे कि एक महीने के अंतराल पर हुए दो एक्सीडेंट्स में किसी की जान नहीं गई, लेकिन अगर इसी तरह जल्दी काम पूरा करने के दबाव में लापरवाहियां होती रहीं तो कोई न कोई बड़ा हादसा होना तय है।
इसी साल अक्टूबर 2016 तक पूरा करने का दबाव
सीएम अखिलेश यादव 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों में लखनऊ मेट्रो को अपनी एक बड़ी उपलब्धि की तरह पेश कर सत्ता में वापसी की चाह रखते हैं। इसके चलते लखनऊ मेट्रो का कंस्ट्रक्शन करा रही एलएमआरसी के उपर काफी दबाव है। मेट्रो का काम इसी साल अक्टूबर तक पूरा करने का टारगेट रखा गया है ताकि दिसम्बर तक मेट्रो का ट्रायल रन कराया जा सके।
जयपुर में भी था पॉलिटिकल प्रेशर
कुछ इसी तरह के हालात जयपुर मेट्रो के साथ पेश आए थे। तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत 2014 के विधान सभा चुनावों से पहले ही जयपुर मेट्रो चलाने का एलान कर चुके थे। एक के बाद एक हादसों और प्रोसिजरल दिक्कतों ने उनका यह सपना पूरा नहीं होने दिया। जयपुर में जो मेट्रो 2013 में चलनी थी वह मार्च 2015 में चल पाई। जयपुर में दिल्ली मेट्रो कारपोरेशन ने फ़रवरी 2010 में काम शुरू किया था। साढ़े चार साल का समय बीत जाने के बाद ही वहां मेट्रो की सेवाएँ शुरू हो सकी थीं। आने वाले समय में लखनऊ में भी जयपुर जैसे हालात बनते नजर आ रहे हैं
मेट्रोमैन के बयान से मची थी सियासी हलचल
साल 2014 में मेट्रो मैन श्रीधरन के इस बयान के बाद कि मेट्रो का प्रोजेक्ट अक्टूबर 2017 तक पूरा हो पाएगा, सत्ता के गलियारों में हलचल मच गई थी। सीएम अखिलेश फ़रवरी-मार्च 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों में जनता के सामने लखनऊ मेट्रो को एक विकास के मॉडल की तरह पेश करने का मन बन चुके हैं। इसके बाद यूपी के चीफ सेक्रेटरी और लखनऊ मेट्रो की हाई पॉवर कमेटी के अध्यक्ष आलोक रंजन ने लखनऊ मेट्रो कारपोरेशन से प्रोजेक्ट पूरा होने की समय सीमा के बारे में जानकारी मांगी।
जयपुर में मेट्रो निर्माण के दौरान हुए हादसे
-3 फरवरी 2011 - अजमेर रोड पर हाइड्रोलिक पाइलिंग रिंग मशीन कार पर पलटी। फिटनेस सेंटर के डायरेक्टर की मौत।
-14 अप्रैल 2011 - किसान धर्मकांटे के पास क्रेन की टक्कर से कार चालक घायल।
-28 अप्रैल 2011 - दुर्गापुरा में क्रेन का तार टूटा, बाइक सवार घायल।
-12 मई 2011 - मानसरोवर कास्टिंग यार्ड में दीवार ढहने से दो मजदूरों की मौत।
-22 मई, 2011 - भांकरोटा कास्टिंग यार्ड में टिन गिरने से 8 श्रमिक घायल।
-23 जुलाई, 2011 - भांकरोटा कास्टिंग यार्ड में करंट लगने से दो श्रमिकों की मौत।
-3 अगस्त, 2011 - अजमेर रोड पर क्रेन की टक्कर से एक महिला व चार माह की बच्ची घायल।
-11 अगस्त, 2011 - अजमेर रोड पर हाइड्रो मशीन पलटने से एक श्रमिक घायल।
-15 अक्टूबर, 2011 - सिविल लाइंस के पास देर रात क्रेन टेढ़ी हो गई।
-31 अक्टूबर, 2011 - सोढ़ाला मोड़ पर क्रेन का प्रेशर पाइप फटा, क्रेन ने बाइक को टक्कर मारी।
-14 नवंबर 2011 - अजमेर रोड पर बोरिंग का तिपाया चलती मारुति वैन पर गिरा।
-13 जनवरी, 2013- रामनगर मेट्रो स्टेशन के पास पिलर की शटरिंग क्रेन के झटके के कारण फर्मे समेत पूरा ढांचा नीचे गिर गया। इसमें चार मजदूर घायल हो गए।
-20 मई , 2012- रेलवे स्टेशन के पास तैयार किए जा रहे एक पिलर की शटरिंग सड़क की ओर बेरिकेडिंग के पास गिर गई। हादसे के वक़्त वहां भीड़ न होने के चलते बड़ी दुर्घटना टल गई।
-7 अक्टूबर, 2012- निर्माणाधीन मेट्रो ट्रैक से कंक्रीट गिरने से एक कार का शीशा टूट गया।
-जुलाई, 2014- अपने पहले ट्रायल में ही जयपुर मेट्रो ट्रेन प्लेटफॉर्म से टकरा गई।
लखनऊ में हुए हादसे
-7 अक्टूबर, 2015 - मेट्रो के लिए बनाए जा रहे ट्रैक के पिलर से डंफर टकरा गया। टक्कर इतनी तेज थी कि बनाया जा रहे पिलर का स्ट्रक्चर पूरी तरह से झुक गया
-2 अप्रैल, 2016- मेट्रो के आई गॉर्डर से कंकरीट का मलबा नीचे गिर गया था। मलबे के गिरने से नीचे खड़ी एक कार क्षतिग्रस्त हो गई थी।
-17 अप्रैल, 2016- आलमबाग बस स्टेशन के पास शटरिंग समेत एक मजदूर नीचे गिर पड़ा। आसपास से गुजर रहे कई वाहन क्षतिग्रस्त हुए।
क्या कहना है मेट्रो के अधिकारियों का
मेट्रो के अधिकारी साफ़तौर पर किसी पॉलिटिकल प्रेशर से इन्कार कर रहे हैं। रविवार की सुबह हुए हादसे के लिए लखनऊ मेट्रो की तरफ से जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि हादसे की जांच के लिए डायरेक्टर लेवल की कमेटी गठित कर दी गई है, जो जल्दी ही अपनी रिपोर्ट एमडी को सौंपेगी।