कुंभ मेला 2019: जहरीली है प्रयागराज की हवा,प्रदूषणकारी तत्व बढ़े

प्रयागराज में जारी कुंभ मेले को ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बनाने की सरकार की कोशिशों के बीच एक कड़वी हकीकत यह भी है कि आस्था के इस संगम के दौरान श्रद्धालु जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं।

Anoop Ojha
Published on: 21 Jan 2019 11:15 AM GMT
कुंभ मेला 2019: जहरीली है प्रयागराज की हवा,प्रदूषणकारी तत्व बढ़े
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एल. एन. सिंह

प्रयागराज: प्रयागराज में जारी कुंभ मेले को ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बनाने की सरकार की कोशिशों के बीच एक कड़वी हकीकत यह भी है कि आस्था के इस संगम के दौरान श्रद्धालु जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। देश के विभिन्न प्रमुख शहरों में हवा की गुणवत्ता का आकलन करने वाली संस्था 'एक्यूआई-इंडिया' की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, बीती 14 जनवरी को कुंभ की शुरुआत के एक दिन पहले से लेकर 19 जनवरी रात तक प्रयागराज की हवा बेहद खराब रही। खासकर सुबह और शाम के वक्त में, जब ज्यादातर श्रद्धालु गंगा में स्नान करना पसंद करते हैं।

शनिवार को प्रयागराज की हवा में प्रदूषणकारी तत्व पीएम 2.5 का स्तर 450 से ज्यादा रहा, जोकि बेहद खतरनाक की श्रेणी में आता है।

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एक्यूआई-इंडिया द्वारा प्रयागराज जिले के पुराना कटरा और प्रयागराज क्षेत्रों में स्थापित किए गए वायु गुणवत्ता निगरानी केन्द्रों के आंकड़ों के मुताबिक, 14 जनवरी को हवा में प्रमुख प्रदूषणकारी तत्व पीएम 2.5 का स्तर 350 के पार हो गया, जो बेहद खराब की श्रेणी में है। वहीं, 16 जनवरी को यह 800 के स्तर को भी पार कर गया, जो बेहद खतरनाक है। ऐसी हवा किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को बीमार कर सकती है।

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जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं श्रद्धालु

बता दें कि पीएम 2.5 धूल के बेहद महीन कण होते हैं, जो सांस के रास्ते फेफड़ों और रक्तवाहिकाओं में पहुंच जाते हैं और गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। पर्यावरण वैज्ञानिक डॉक्टर सीमा जावेद ने कुंभ के दौरान प्रयागराज की हवा इतनी खराब होने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि गंगा की रेती पर बसे कुंभ मेले रूपी शहर में आए श्रद्धालु, साधु और पर्यटक जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। उनमें बड़ी संख्या में बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं, जिन पर ऐसी हवा का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ता है।

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डॉक्टर सीमा ने कहा, 'राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश के बावजूद, प्रयागराज में वायु की गुणवत्ता पर नजर रखने के सरकारी प्रयास नहीं हो रहे हैं।' वायु गुणवत्ता विषय पर शोध कर रहे मृणमॉय चटराज ने बताया, 'एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था कि कुंभ मेले जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन और प्रयागराज में अत्यधिक प्रदूषण को देखते हुए वहां वायु की गुणवत्ता की निगरानी की जाए। इस आदेश के बावजूद वहां ऐसा नहीं हो रहा है। सबसे हैरानी की बात यह है कि उत्तर प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर नवंबर 2018 तक के ही आंकड़े उपलब्ध हैं और वह सबसे खतरनाक प्रदूषणकारी तत्व यानी पीएम 2.5 की गिनती ही नहीं करता।'

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एनजीटी के आदेश का भी नहीं है कोई असर

हालांकि, बोर्ड की वेबसाइट पर पीएम 10 के जो भी आंकड़े उपलब्ध हैं, वे भी हवा की खराब स्थिति की तरफ इशारा करते हैं। मालूम हो कि एनजीटी ने 8 जनवरी 2019 को राज्य सरकारों के अधिकारियों को 102 प्रदूषित शहरों की हवा को सांस लेने लायक बनाने के लिए निर्देश जारी किए थे। इन प्रमुख शहरों में प्रयागराज भी शामिल है। एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कुंभ मेले के दौरान वहां की वायु की गुणवत्ता की निगरानी करने के आदेश दिए थे। इस बारे में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से संपर्क की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

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