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Pollution in Sonbhadra: सोनभद्र में हेल्थ इमरजेंसी सरीखे हालात, टाॅप पर पहुंचा प्रदूषण, हीटवेव में बढ़ोत्तरी है बड़ा कारण
Pollution in Sonbhadra:11 अप्रैल को जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक देश में सर्वाधिक 351, सोनभद्र में दर्ज किया गया। जबकि 14 अप्रैल को 325 तक पहुंचा सूचकांक देश में तीसरे स्थान पर रहा।
Pollution in Sonbhadra: देश के तीसरे सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र का दर्जा रखने वाले सोनभद्र (सिंगरौली रीजन) में, तापमान में बढ़ोतरी के साथ प्रदूषण का इंडेक्स भी उछाल मारने लगा है। इससे जहां हेल्थ एमरजैंसी जैसी स्थिति बनने लगी है। वहीं अप्रैल के पहले पखवाड़े में ही सोनभद्र-सिंगरौली में प्रदूषण का स्तर देश में सबसे टॉप पर पहुंच गया है।
11 अप्रैल को जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक देश में सर्वाधिक 351, सोनभद्र में दर्ज किया गया। जबकि 14 अप्रैल को 325 तक पहुंचा सूचकांक देश में तीसरे स्थान पर रहा। वहीं, इससे पूर्व पांच अप्रैल को 407 तक पहुंचे गुणवत्ता सूचकांक ने सोनभद्र को देश के सर्वाधिक प्रदूषित जगह का दर्जा देने के साथ ही, अप्रैल में वायु प्रदूषण में अब तक दर्ज हुई बढ़ोतरी का एक नया रिकॉर्ड बना डाला।
वर्ष 2020 से संचालित नेशनल एयर क्लीन प्रोग्राम की सूची में भी सोनभद्र (अनपरा) को शामिल किया गया है, बावजूद तपिश के समय में भी प्रदूषण के उच्च स्तर में पर्यावरण विशेषज्ञों को भी हैरत में डाल दिया है। ओबरा से शक्तिनगर तक की एरिया जहां उद्योग प्रधान हैं। वहीं प्रदूषण के लिहाज से भी यहां की परिस्थतियां बेहद संवेदनशील हैं।
इस क्षेत्र में जल और मृदा प्रदूषण के साथ वायु प्रदूषण की स्थिति भी दिन ब दिन गंभीर होती जा रही है। हालात को देखते हुए जहां एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की तरफ से सोनभद्र में प्रदूषण के दुष्प्रभाव, प्रभावी उपचारात्मक कदम और निर्देशों की अनदेखी करने वाले प्रदूषकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए हाईपावर कमेटी गठित की जा चुकी है। बावजूद क्रशर फील्ड में दिन में भी छाए रहने वाला कोहरे जैसा धुंध और प्रमुख उद्योगों वाले इलाकों में भी प्रदूषण नियंत्रण के नियमों की होती अनदेखी हालात लगातार बिगाड़े हुए है।
क्रशर फील्ड में लागू नहीं होते प्रदूषण नियंत्रण के नियमः
एक तरफ प्रदूषण नियंत्रण में मानकों की अनदेखी को लेकर जहां कई बार औद्योगिक परियोजनाओं पर पेनाल्टी की कार्रवाई हो चुकी है। वहीं ड्रोन कैमरे से निगरानी के निर्देश के बावजूद क्रशर फील्ड में प्रदूषण नियंत्रण के कोई नियम लागू नहीं होते। हालत यह है कि तीखी धूप के समय यहां पत्थर की धूल, हाईवे सहित क्रशर फील्ड के आसपास में कोहरे के धुंध जैसा परिदृश्य बनाए रहती है। इससे आवागमन में दिक्कत के साथ ही तरह-तरह की बीमारियां लोगों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई हैं।
एक पखवाड़े में छह दिन देश में टाप पर रहा यहां का प्रदूषण
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े पर नजर डालें तो पहली अप्रैल से ही जिले में प्रदूषण की स्थिति भयावह बनी हुई है। तीन अप्रैल, पांच अप्रैल, सात, आठ, नौ अप्रैल, 11 अप्रैल को जिले सिंगरौली रीजन शामिल का वायु गुणवत्ता सूचकांक पूरे देश में सर्वाधिक रहा। इसमें तपिश के समय पांच अप्रैल को दर्ज हुआ 407 का आंकड़ा, पिछले चार साल के आंकड़ों में सर्वाधिक है। इस तिथि को 2021 में सूचकांक 355, 2020 में 248 और 2019 में 269 दर्ज हुआ था। यह स्थिति तब है, जब जिले में 2020 से केंद्र सरकार के निर्देश पर एयर क्लीन प्रोग्राम चलाया जा रहा है।
पिछले एक पखवाड़े में कुछ यह दर्ज हुआ वायु गुणवत्ता सूचकांक
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से सोनभद्र के शक्तिनगर सीमा से सटे विंध्यनगर में प्रदूषणमापी संयंत्र स्थापित किया गया है। यहां से सिंगरौली रीजन सोनभद्र में ओबरा से शक्तिनगर और सिंगरौली में मोरवा से बैढ़न तक की एरिया में प्रदूषण की स्थिति का आंकलन किया जाता है। सीपीसीबी की तरफ से जारी आंकड़े बताते हैं कि पहली अप्रैल को यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स 361, दो अप्रैल को 353, तीन अप्रैल को 320, चार अप्रैल को 318, पांच अप्रैल को 407, छह अप्रैल को 323, सात अप्रैल को 344, आठ अप्रैल को 337, नौ अप्रैल को 354, 10 अप्रैल को 295, 11 अप्रैल को 351, 12 अप्रैल को 271, 13 अप्रैल को 299, 14 अप्रैल को 325 दर्ज किया गया। बतातें चलें कि पूरे देश में इतनी जगहों पर प्रदूषण मापी संयंण के जरिए वहां की हवा में प्रदूषण का मापन किया जाता है और 24 घंटे के औसत के आधार पर वायु गुणवत्ता सूचकांक निर्धारित किया जाता है।
सांसों में रोजाना घुल रहा 12 से 18 सिंगरेट के बराबर प्रदूषण
विशेषज्ञों के मुताबिक अगर हवा में 22 गुणवत्ता सूचकांक के बराबर प्रदूषण है तो इसे एक सिगरेट केे बराबर माना जाता है। इस हिसाब से अगर एक पखवाड़े की स्थिति देखें तो धूम्रपान न करने वालों को भी जिले में 12 से 18 सिगरेट के धुएं के बराबर प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है और उनकी सांसों के जरिए उनके शरीर में घुलने वाला यह प्रदूषण फेफड़ों को कमजोर करने के साथ ही कई अन्य बीमारियों का जनक बनता जा रहा है।
प्रदूषण की गंभीर स्थिति हीटवेव का भी बड़ा कारण
वरिष्ठ पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. एके गौतम कहते हैं कि हीटवेव की लहर पूरे प्रदेश में चल रही है लेकिन जहां-जहां वायु प्रदूषण की खराब स्थिति है, वहां कम प्रदूषण वाले जनपदों से हीटवेव की स्थिति ज्यादा खराब दिख रही हैं। बताते हैं कि कार्बन का उत्सर्जन वायुमंडल के तापमान में बढ़ोत्तरी का बड़ा कारक है। ऐसे में जहां एक तरफ आसमान से आग बरस रही हो, वहां हवा में ज्यादा से ज्यादा कार्बन का घुलना गर्मी में बढ़ोत्तरी के साथ ही, मानव जीवन के लिए खतरे में भी बढ़ोत्तरी करता जा रहा है। बता दें कि 201 से 300 तक के इंडेक्स को मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक, 301 से 400 के इंडेक्स को बेहद खतरनाक और 401 या इससे अधिक इंडेक्स दर्ज होने पर, प्रदूषण वाली संबंधित एरिया में हेल्थ इमरजेंसी जैसी स्थिति माना जाता है।
ऐसे करें हीटवेव के साथ प्रदूषण से बचाव
सीएमओ डा. राजेश कुमार ठाकुर हीटवेव और प्रदूषण दोनों को मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बताते हैं। कहते हैं कि मौजूदा हालात में जिले के लोगों को हीटवेव और प्रदूषण दोनों से बचाव के लिए जरूरी है कि आवश्यक कार्य होने पर ही दिन में बाहर निकलें। जहां तक संभव हो तेज धूप होने के बाद बाहर निकलने से बचें। घर से बाहर निकलते वक्त मास्क का प्रयोग जरूर करें। फुल बांह के सफेद रंग वाले कपड़े धारण करें। काले रंग के कपड़े पहनने से बचें क्योंकि यह उष्मा ज्यादा अवशोषित करता है। यात्रा करते वक्त या धूप में निकलने से पहले भरपूर पानी पीएं। बाहर निकलने पर भी बीच-बीच में पानी और तरल पदार्थ लेते रहेे। किसी तरह की अस्वस्थता समझ में आने पर तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें। उधर, प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी के लिए क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी को काॅल की गई। ह्वाटसअप मैसेज के जरिए स्थिति की जानकारी दी गई लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला।