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जर्जर हालत के इन घाटों पर होती है काशी में आरती, खतरे में है वजूद

Admin
Published on: 18 April 2016 11:54 AM GMT
जर्जर हालत के इन घाटों पर होती है काशी में आरती, खतरे में है वजूद
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वाराणसी: आज विश्व धरोहर दिवस है। मौका है अपने धरोहरों के बारे में विचार करने का। उनके बारे में सोचने का कि क्या जो धरोहर हमें विरासत में मिली है, हम उनका ख्याल रख पा रहे हैं या नहीं। काशी को देश की सांस्कृतिक राजधानी कहने के पीछे यहां के घाट हैं जिनके सहारे काशी की गलियां विकसित हुईं और इन्ही गलियों में विभिन्न संस्कृतियां जन्मीं और आगे बढीं।

काशी को अन्य शहरों से अलग करने वाले घाट आज किस स्थिति में हैं, ये जानने के लिए हम पहुंचे विभिन्न घाटों पर ताकि उनकी जमीनी सच्चाई जान सकें। घाटों का आलम ये है कि गंगा के पानी से घाट की सीढ़ियां खोखली हो रही हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। इन घाटों पर लोग अपने मकसद से आते है और पूरा होने के बाद चले जाते है।

xaDAdaवाराणसी के घाटों को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए मोदी सरकार प्रयासरत है। लेकिन ये कहने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए की विश्व धरोहर में शामिल कराने से पहले यहां की मरम्मत कराना जरूरी है। जिस दशाश्वमेध घाट पर विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती देखने प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक आ चुके हैं, वहां की तस्वीर भी परेशान करने वाली है। काशी के चौरासी घाटों में से पचास से ज्यादा घाटों की स्थिति चिंताजनक है जबकि बीस से ज्यादा घाट खतरे में हैं। अब ये निर्णय हमारे अधिकारियों को करना है कि हमारी धरोहर आने वाले समय में रहेंगी या नहीं।

dsdfasकाशी के दशाश्वमेध घाट जहां पर विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती होती है, जहां हर रोज देश और दुनिया का कोई ने कोई बड़ा राजनेता या सेलब्रेटी आरती में शामिल होता है। वहीं की हालत देख कर आप दंग रह जायेंगे। जर्जर हालत में घाट खोखले हो रहे हैं। वहां कभी भी नहाते समय घाट की सीढ़ियों के अंदर फंस सकता है, जिससे बडा हादसा हो सकता है। इस घाट के अलावा जलासेन घाट, मीर घाट, मर्णिकर्णिका घाट, पंचगंगा घाट तेलियाना घाट, प्रहलाद घाट ऐसे तमाम घाट हैं, जो नीचे से खोखले हो रहे हैं। इन घाटों की सीढ़िया गंगा में टूट कर समाती जा रही हैं। अगर यही हाल रहा, तो आने वाले समय में इन घाटों के अस्तित्व को बचाए रखना मुश्किल हो जाएगा। इन घाटों के साथ ही संस्कृति का भी विनाश हो जाएगा।

xaDAdaमोक्ष की नगरी कही जाने वाली काशी के घाट काफी मशहूर हैं। इन्‍हें देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। ये भारत की महान धरोहरों में से एक हैं, लेकिन बढ़ते समय के साथ इन घाटों का अस्तित्‍व संकट में पड़ता जा रहा है। महामना मालवीय इंस्टिट्यूट आफ टेक्नोलाॅजी फाॅर मैनेजमेंट के संस्थापक डायरेक्टर प्रो. यूके चौधरी ने बताया कि अगर यही हाल रहा, तो 2025 तक दशाश्वमेध घाट से आगे बढ़ने वाले रामघाट, पंचगंगा घाट, मर्णिकर्णिका घाट के साथ कई घाटों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

प्रो.यूके चौधरी ने बताया कि ये घाट पिछले दस सालों से लगातार खोखले हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है क्योंकि हर किसी को सिर्फ गंगा से हासिल करना है। उसे बचाने की कोशिश कोई नहीं करना चाहता।

dsfsdखोखले क्यों हो रहे हैं घाट?

-उनका कहना है कि गंगा का जल स्तर जितना कम होगा, गंगा के भूजल की तीव्रता बढ़ेगी।

-उसी अनुपात में घाट के नीचे की मिट्टी में भी तेज कटान होगा।

-दूसरा कारण है कछुवा सेंचुरी के कारण घाट के दूसरे किनारे पर बालू या मिट्टी जितनी जमा होती जाएगी।

-उसी अनुपात में बालू के दूसरे साइड में पानी की गहराई होती जाएगी।

-जितनी गहराई बढ़ेगी, उतना ही भू जल का रिसाव बढेगा, घाट के नीचे की मिट्टी कटेगी व घाट खोखला होगा।

-प्रो.चौधरी के मुताबिक कछुवा सेंचुरी को लागू रखे, लेकिन घाट के दूसरे किनारे पर बढ़ रहे बालू के क्षेत्रफल और उसकी ऊंचाई को कम करें।

-वरना घाटों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।

-प्रो.चौधरी के मुताबिक गंगा का आधारभूत जड़ ग्राउंड वाटर होता है।

vc-c-cvछिपाई जाती हैं कमियां

-निषाद सेवा समिति के अध्यक्ष विनोद निषाद कहते हैं कि घाट पर पीएम या कोई बड़ा आदमी आता है।

-तो घाटों की इन कमियों को ठीक कराने के बजाय नगर निगम और जिला प्रशासन द्वारा छुपा दिया जाता है।

-घाट की ये हालत पिछले दस से पंद्रह सालों में धीरे-धीरे बद से बद्तर होती जा रही है।

-मेयर और डीएम एक कार्यक्रम में व्यस्‍त हैं, इसलिए अभी उनका वर्जन नहीं मिल पाया है।

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