×

इस होली रंगीन पापड़ों को बाय-बाय बोलिए, होली में खुशियों के रंग घोलिए

Admin
Published on: 22 March 2016 11:58 AM IST
इस होली रंगीन पापड़ों को बाय-बाय बोलिए, होली में खुशियों के रंग घोलिए
X

कापु: होली का नाम आते ही सबसे पहले आंखों के सामने पकवानों का मेला लगने लगता है। चिप्‍स-पापड़, कचरी और गुझिया को याद करते ही मुंह में पानी आने लगता है। होली के त्‍योहार में जब तक चिप्‍स-पापड़ न हों, तो पकवान तो अधूरे लगते ही हैं, साथ में मेहमानों के सामने रखा गया नाश्‍ता भी अधूरा लगता है।

ये भी पढ़ें... बच्चों की टोली, खेले स्कूल में होली, एक रंग चढ़ा सब पर नहीं कोई अंतर

होली का त्‍योहार रंगों का त्‍योहार है, लेकिन अब तो इन रंगों का असर चिप्‍स-पापड़ों पर भी दिखने लगा है। इन दिनों बाजारों में रंगीन चिप्‍स पापड़ों की धूम मची हुई है। आजकल के खरीददार आलू के चिप्‍स व पापड़ को पूरी तरह से भूल गए हैं। अब लोगों की पहली पसंद अरारोट, साबूदाना और चावल से बने रंगीन पापड़ों ने ले ली है। पर शायद बहुत ही कम लोगों को पता है कि ये रंगीन पापड़ स्‍वास्‍थ्‍य के लिए नुकसानदेह होते हैं।

papad

अलग-अलग फ्लेवरों रंगीन पापड़

कानपुर के ज्यादातर बाजार गोविंद नगर, किदवई नगर, गुमटी और परेड सहित तमाम जगहों में रंगीन माहौल में रंगीन चिप्‍स-पापड़ खरीदने वालों की भीड़ देखने को मिल जाएगी। इस पर दुकानदार बंटी का कहना है कि लोगों की पसंद बदल गई है। उन्‍हें आलू से बने हुए चिप्‍स–पापड़ नहीं पसंद आते हैं। आजकल लोग साबूदाना, बनाना मिक्‍स चिप्‍स, व स्‍नैक्‍स वाले पापड़ों की मांग कर रहे हैं। दुकानदार महेश ने कहा कि वो खुद भी नहीं जानते कि इन पापड़ों में किस रंग का प्रयोग किया जाता है? उनका कहना है कि जो पापड़ लोगों की डिमांड में हैं, वो बस उन्‍हीं को बेंचते हैं।

ये भी पढ़ें...पहली बार 1000 विधवाओं की जिंदगी हुई रंगीन, फिर जगी जीने की चाह

महंगे होते हैं प्राकृतिक रंगों वाले पापड़

सूत्रों के अनुसार बाजारों में रंगीन पापड़ खूब बिक रहे हैं, लेकिन ये चटख रंगों वाले पापड़ आप की सेहत बिगाड़ सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि रंग दो प्रकार के होते हैं, एक रंग जो खाने वाला होता है। इसमें किसी भी प्रकार का केमिकल उपयोग नहीं किया जाता है, लेकिन इस कलर कीमत बहुत ज्यादा होती है। यदि प्राकृतिक रंग का उपयोग पापड़ बनाने वाले कारखाने करेंगे, तो मार्केट में चिप्स-पापड़ की कीमतें आसमान छूने लगेंगी और आम आदमी के बजट से बाहर हो जाएंगे, लेकिन ये रंग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होता है।

giph

लीवर भी हो सकता है डैमेज

इन रंगीन पापड़ों के बारे में डॉ. स्वीटी सहगल का कहना है कि चटख रंग से बनी खाद्य सामग्री को खाने से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है । सबसे पहले यह टॉक्सिल को प्रभावित करेगा और इसके बाद लीवर को डैमेज करता है, जिससे डायरिया हो सकता है। डी-हाईड्रेशन के शिकार भी हो सकते हैं। इन दिनों कोल्ड डायरिया का प्रकोप चल रहा है। इस लिए केमिकल से बने उत्पाद खाने में खतरा और भी बढ़ सकता है तो इस होली में चिप्‍स पापड़ों पर भी चढ़े हैं केमिकल रंग, संभलकर खाइएं और खिलाइएं, कहीं खुशी में न पड़ जाए भंग।



Admin

Admin

Next Story