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Shamli: मंदी की भेंट चढ़ रहे मिट्टी के बर्तन बनाने के उद्योग, विधायक प्रसन्न चौधरी ने कुम्हारों से की भेंट

Shamli News: कुम्हार वर्ग आज अपनी दो समय की रोटी के लिए संघर्ष कर रहा है।

Pankaj Prajapati
Report Pankaj PrajapatiPublished By Ragini Sinha
Published on: 19 May 2022 2:21 PM IST (Updated on: 19 May 2022 2:26 PM IST)
Pottery industry ended
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विधायक प्रसन्न चौधरी ने कुम्हारों से की भेंट

Shamli News: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और चौधरी चरण सिंह ने ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योग की स्थापना के माध्यम से सुनहरे भारत का सपना देखा था, लेकिन आज बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों की स्थापना के बाद हमारे परंपरागत ग्रामीण कुटीर उद्योग दम तोड़ रहे हैं। प्राचीन काल में शादी विवाह से लेकर घरेलू कामकाज में प्रयोग में लाए जाने वाले मिट्टी के बर्तन से संबंधित उद्योग आज आर्थिक मंदी के कारण दम तोड़ रहा है।

इससे जुड़ा हुआ कुम्हार वर्ग आज अपनी दो समय की रोटी के लिए खेत से लेकर सड़क तक संघर्ष कर रहा है। आज बर्तन बनाने के लिए उनके पास ना तो स्वयं की मिट्टी है और ना ही बेचने के लिए कोई जगह है। इनका आरोप है कि सरकार भी उनकी इस जीविका की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है।


'बर्तन बनाने में लागत भी काफी अधिक आती है'

सुनील कुमार मिट्टी के बर्तन बनाने का इनका पुश्तैनी धंधा है, लेकिन आज यह धंधा इनकी आमदनी का साधन नहीं बल्कि इनकी मजबूरी है क्योंकि यह इनकी रोजी रोटी का सवाल है। मेहनत अधिक करनी पड़ती है। बर्तन बनाने में लागत भी काफी अधिक आती है। तथा सड़कों से गुजरता है आदमी बर्तन देखकर यह कह कर चला जाता है।

यह मिट्टी का ही तो है, इतना महंगा क्यों? सुनील का कहना है की मिट्टी खोदना, उसे तैयार करना, बाद में चाॅक पर चढ़ा कर उसे बर्तन के रूप में ढालना और फिर उसको आग में पकाना बाद में उसे रंगों से सजाना।


कई प्रक्रिया से गुजर कर मिट्टी के यें बर्तन तैयार किए जाते हैं। लेकिन हम सड़क पर कड़कड़ाती हुई धूप में बैठे हुए हैं। हमारे पास कोई शोरूम नहीं है। 12 महीने में केवल 4 महीने बिक्री होती है। इस काम में लागत अधिक आती है जबकि आमदनी अधिक नहीं है। पुश्तैनी काम है कोई और व्यवसाय नहीं कर सकते। इसलिए मजबूरी में यही पुश्तैनी काम पर निर्भर रहना पड़ता है।

स्थानीय विधायक ने कुम्हारों से भेंट की

इनकी समस्या को जानने के लिए स्थानीय विधायक प्रसन्न चौधरी ने आज मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों से भेंट की, तथा उनसे उनकी समस्या के बारे में जानकारी हासिल की। विधायक ने आश्वासन दिया कि वह विधानसभा सहित अन्य माध्यमों से उनकी समस्या को समाधान कराने का प्रयास करेंगे। विधायक का कहना था कि सरकार की गलत नीतियों के कारण आज हमारे सैकड़ों कुटीर उद्योग दम तोड़ रहे हैं तथा उनसे जुड़े हजारों कामगार बेरोजगार हो रहे हैं सरकार को इन उद्योगों की तरफ ध्यान देकर इन्हें पुनर्जीवित करना चाहिए।


आज देश में बेरोजगारी की समस्या को लेकर आम जनता के साथ-साथ सरकार भी चिंतित है, लेकिन जरूरत इस बात की है की ऐसे परंपरागत पुश्तैनी कुटीर उद्योग जो गांव में ग्रामीणों की रोजी रोटी के साथ-साथ उनकी आमदनी का भी साधन थे आज आम जनता की उन उद्योगों के प्रति उपेक्षा और सरकार द्वारा ऐसे उद्योगों को प्रोत्साहित करना उनके लिए एक बड़ी समस्या का कारण बन गया है।

ग्रामीण क्षेत्र से पलायन रोकने के लिए तथा स्वरोजगार के अवसर उत्पन्न करने के लिए सरकार को इन परंपरागत पुश्तैनी ग्रामीण कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करना पड़ेगा।



Ragini Sinha

Ragini Sinha

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