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Power Crisis in UP: भीषण गर्मी, बिजली की भारी कटौती से प्रदेश में हाहाकार, सीएम के आदेश को भी ठेंगा

Power Crisis in UP: पूरे प्रदेश में इस समय कहीं 10 घंटे, कहीं 12 घंटे तो कहीं-कहीं 16-16 घंटों की अघोषित बिजली कटौती चल रही है। ऐसे में लोगों का बुरा हाल हो रखा है।

Shreya
Published on: 30 April 2022 3:51 PM IST (Updated on: 30 April 2022 4:03 PM IST)
Power Crisis in UP: भीषण गर्मी, बिजली की भारी कटौती से प्रदेश में हाहाकार, सीएम के आदेश को भी ठेंगा
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बिजली संकट (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Power Crisis in UP: भीषण गर्मी (Heat Wave) और बिजली की भारी कटौती (Power Cut) से प्रदेश की जनता त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रही है। पूरे प्रदेश में इस समय कहीं 10 घंटे, कहीं 12 घंटे तो कहीं-कहीं 16-16 घंटों की अघोषित बिजली कटौती चल रही है। ऐसे में लोगों को योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) का पहला कार्यकाल याद आ रहा है जब पूरे प्रदेश में बिजली व्यवस्था (Power System) को सुचारु रूप से चलाते हुए शहरों में 22 से 24 घंटे तो ग्रामीण क्षेत्रों में 18-18 घंटे बिजली मिला करती थी। आलम तो यह है कि लोग इस समय दोबारा अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की सरकार की याद आ जा रही है जिनके अंतर्गत राज्य में भारी बिजली कटौती होती थी।

एनर्जी एक्सचेंज (Energy Exchange) और उत्तरी ग्रिड (Northern Grid) में बिजली की कीमत ज्यादा होने की वजह से भी दिक्कत आ रही है। आर्थिक तंगी के कारण पावर कॉर्पोरेशन (Power Corporation) अतिरिक्त बिजली नहीं खरीद पा रहा है। बिजली की जबर्दस्त किल्लत के बीच ताप बिजली घरों के लिए कोयले के संकट (Coal Crisis) की आहट भी सुनाई देने लगी है। अनपरा, ओबरा, हरदुआगंज व पारीछा के बिजली घरों में रोजाना जितनी खपत है, कोल इंडिया (Coal India) से उससे कम कोयले की आपूर्ति (Coal Supply) हो रही है। कोयले की कमी के कारण कई इकाइयों को कम क्षमता पर चलाया जा रहा है।

न्यूजट्रैक ने जानी जमीनी हकीकत

कहीं लोगों की फसल ख़राब हो रही है तो कहीं रोजेदार रमजान के इस महीने में कुदरत और सरकार मशीनरी के इस दोहरे मार से परेशान हैं। ऐसे समय में जब जनता नयी सरकार के चुने जाने के बाद से ही बिजली को लेकर भयानक रूप से परेशान है, newstrack.com ने कई जिलों का दौरा कर वहां की परिस्तिथियों का जमीनी हकीकत जानने का प्रयास किया। हमारे संवाददाताओं ने मिर्ज़ापुर, सोनभद्र, ग़ाज़ीपुर, सिद्धार्थनगर, राय बरेली और मेरठ से वहां के बिजली की समस्या की विस्तार से एक रिपोर्ट भेजी। आइये जानते हैं जमीनी हकीकत।

बिजली संकट (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मिर्ज़ापुर

जनपद के विभिन्न तहसील और ब्लॉक को में बिजली का संकट इस कदर दोहराया है कि लोग उमस भरी गर्मी से निजात पाने के लिए पेड़ों की तरफ रुख कर रहे हैं। पेड़ों के तरफ भी आग उगलती लू के लपेटो से खुद को बचाने की जद्दोजहद में लोग परेशान है। मिर्जापुर से कई क्षेत्रों में बिजली संकट से लोग काफी परेशान है। जिसको लेकर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन कर डीएम को ज्ञापन भी सौंपा है। केंद्र व राज्य की कई तापीय परियोजना इकाइयों के बंद होने की वजह से संकट और बढ़ गया है। वितरण और ट्रांसमिशन नेटवर्क के ओवरलोड होने तथा अन्य तकनीकी कारणों से भी सभी क्षेत्रों में रोस्टर के आपूर्ति नहीं हो पा रही है।

गर्मी बढ़ने के साथ ही प्रदेश की बिजली व्यवस्था पटरी से उतरती जा रही है। भीषण गर्मी में जिला मुख्यालयों पर अघोषित कटौती से लोग बेहाल हो गए हैं। गांवों, कस्बों व तहसील मुख्यालयों पर शिड्यूल के अनुसार आपूर्ति नहीं हो पा रही है। मिर्जापुर के शहरी इलाकों में दो घंटे तथा ग्रामीण क्षेत्रों में आठ से 10 घंटे तक कटौती ने उपभोक्ताओं के पसीने छुड़ा दिए हैं।

लोकल फाल्ट व अन्य तकनीकी कारणों का हवाला देकर बड़े पैमाने पर आपात कटौती की जा रही है। यह स्थिति मिर्जापुर के ग्रामीण इलाके के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में हालात और भी खराब हैं।

मांग के मुकाबले बिजली की उपलब्धता कम

बिजली की मांग गांवों को 18 घंटे के बजाय औसतन 8: 30 घंटे, कस्बों व तहसीलों को 21:30 घंटे के बजाय 15 घंटे आपूर्ति हो पा रही है। वही शहरी क्षेत्रों में 23 घंटे बिजली की आपूर्ति की जा रही है। बिजली विभाग के एसी राम बुझाकर से जब न्यूस्ट्रैक ने बातचीत किया तो उन्होंने बताया कि कोयले की कमी की वजह से बिजली की मांग को पूरा नहीं किया जाता पा रहा है बिजली कटौती का आदेश ऊपर से आया है। जिसकी वजह से बिजली की आपूर्ति ठीक ढंग से नहीं हो पा रही है। लेकिन हम लोगों का प्रयास है ब्रेकडाउन नहीं होना चाहिए जिसके लिए अलग-अलग टीमें लगा दी गई है। हम लोग रात में जग कर ग्राहकों समस्या का निस्तारण भी कर रहे है।

दिक्कत इसलिए भी

एनर्जी एक्सचेंज और उत्तरी ग्रिड में बिजली की कीमत ज्यादा होने की वजह से भी दिक्कत आ रही है। आर्थिक तंगी के कारण पावर कॉर्पोरेशन अतिरिक्त बिजली नहीं खरीद पा रहा है।

कोयला संकट की भी आहट

बिजली की जबर्दस्त किल्लत के बीच ताप बिजलीघरों के लिए कोयले के संकट की आहट भी सुनाई देने लगी है। अनपरा, ओबरा, हरदुआगंज व पारीछा बिजलीघर में रोजाना जितनी खपत है, कोल इंडिया से उससे कम कोयले की आपूर्ति हो रही है। कोयले की कमी के कारण कई इकाइयों को कम क्षमता पर चलाया जा रहा है।

ग़ाज़ीपुर

गाजीपुर: इस समय भीषण गर्मी के कारण लोग बेहाल है।तो वहीं बिजली कटौती ने भी लोगों का जीना हराम कर दिया है। पुरे प्रदेश में इस समय बिजली कटौती की जा रही है। बिजली कटौती से उत्तर प्रदेश का गाजीपुर जनपद भी अछुता नहीं है। यहां पर भी बिजली कटौती से इस भीषण गर्मी में लोगों का जीना हराम हो गया है।

कम बिजली आने से की जा रही है इमरजेंसी कटौती

गाजीपुर विद्युत विभाग के एसी ने बताया की जनपद में 132 केवी के फीडरों से सप्लाई आती है। उन्होंने बताया की गर्मी में लोड बढ़ा.हुआ है। और बिजली कम आ रही है। इस वजह से इमरजेंसी कटौती की जा रही है। उन्होंने बताया की रोस्टर के हिसाब से ही.जनपद में बिजली आपूर्ति की जाती है। लोड होने के कारण बीच बीच में इमरजेंसी कटौती की जाती है।

ग्रामीण क्षेत्रों में आठ से दस घंटे ही आती है सप्लाई

शासन ने ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे बिजली देने का आदेश दिया है। लेकिन इसके उलट गाजीपुर जनपद के ग्रामीण इलाकों में महज 8 से 10 घंटे ही विद्युत आपूर्ति की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में जो आठ से दस घंटे आपूर्ति की जा रही है।उसका भी कोई समय निर्धारित नहीं है।इस समय किसान अपने खेतों में सब्जियां उगाते है।और इसके लिए पानी की आवश्यकता होती है। बिजली समय से ना आने के वजह से किसान भी परेशान है।

बिजली कटौती से पूर्ववर्ती सरकारों की आती है याद

लोगों का कहना है,की इस भीषण गर्मी में जिस तरह से बिजली कटौती की जा रही है। ऐसे में पूर्ववर्ती सरकारों की याद दिला दी है।लोगों ने कहा की जैसे पुर्ववर्ती सरकारों में बिजली लोगों को रुलाती थी। ठीक उसी तरह इस समय भी बिजली लोगों को रुला रही है। कुछ लोगों ने कहा की बिजली और जनता के बीच आंख मिचौली का खेल चल रहा है। कब आती है, कब जाती है। पता ही नहीं चल रहा है। लोगों ने कटाक्ष करते हुए कहा की अब तो ये हाल है,की आई आई गई।

सीएम के आदेश को भी ठेंगा

अभी कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था की प्रदेश में बिजली कटौती ना की जाये। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में शैड्यूल के हिसाब से पुरी आपुर्ति की जाये। लेकिन मुख्यमंत्री के आदेश को भी बिजली विभाग ताक पर रख जम कर कटौती कर रही है। आलम यह है की खाने सोने से पहले आती है।और खाने सोने से पहले चली जाती है। ऐसे में उन लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।जिनके पास इनवर्टर की व्यवस्था नहीं है।

सोनभद्र

यूपी के आखिरी छोर पर स्थित तथा चार राज्यों से घिरा सोनभद्र एक ऐसा जनपद है, जहां यूपी के जरूरत की आधी से अधिक बिजली पैदा होती है। इसके मुहाने पर कोयले का लाखों टन भंडार भी भरा पड़ा है। बावजूद यहां के लोगों को घंटों बिजली कटौती का दंश झेलना पड़ रहा है। बृहस्पतिवार की रात सारनाथ कंट्रोल रूम की तरफ से जारी कटौती के शिड्यूल में महज रात्रि में ही पांच घंटे कटौती के आदेश जारी किए गए हैं। दिन में अलग कटौती हो रही है। वहीं पीक आवर, पीक आफ के समय बिजली उपलब्धता में आती दो हजार मेगावाट से अधिक की कमी सोनभद्र सहित सभी जनपदों के जिला मुख्यालय और महानगरों में भी ताबड़तोड़ कटौती बनाए हुए है।

अप्रैल के शुरूआत से ही 40 डिग्री से उपर चल रहा तापमान लगातार बिजली की रिकार्ड खपत बनाए हुए है। देर शाम के पीक आॅवर को कौन कहे, दिन में भी बिजली की मांग नया रिकार्ड बना रही है। शुक्रवार यूपी स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक शुक्रवार की दोपहर दो बजे बिजली की मांग 20605 मेगावाट पहुंच गई। इससे सूबे के पावर सेक्टर में हड़कंप मच गया। सोनभद्र सहित प्रदेश के कई हिस्सों में शाम तक ताबड़तोड़ कटौती कर हालात संभाले गए। आपात कटौती के बावजूद बिजली की मांग और खपत शाम पांच बजे तक 19 हजार मेगावाट के करीब बनी रही।

रात्रि में पांच घंटे कटौती का फरमान

सारनाथ कंट्रोल रूम से गांवों में, नगर पंचायत और तहसील मुख्यालय पर रात्रि में अलग-अलग शिड्यूल तय कर अर्धरात्रि से पहले ढाई घंटे और अर्धरात्रि के बाद ढाई घंटे बिजली कटौती का फरमान जारी किया गया है। जिला मुख्यालय पर रात्रि में निर्बाध आपूर्ति के निर्देश हैं। बावजूद बृहस्पतिवार को पूरी रात बिजली आने-जाने का क्रम बना रहा। शुक्रवार को भी दिन में रह-रहकर आधे से एक घंटे, बीच-बीच में दो घंटे तक बिजली कटौती होती रही।

सोनभद्र में है 11 हजार मेगावाट से अधिक विद्युत उत्पादन की क्षमता

पूरे यूपी में जहां 19-20 हजार मेगावाट मांग पहुंचने के साथ ही बिजली को लेकर मारामारी मची हुई है। महंगी बिजली खरीदने के साथ ही, ताबड़तोड़ कटौती हो रही है। वहीं सोनभद्र एक ऐसा जनपद है, जहां यूपी की जरूरत से आधी से अधिक यानी 11 हजार मेगावाट से अधिक विद्युत उत्पादन की क्षमता मौजूद है। यहां एनटीपीसी की दो हजार मेगावाट वाली मदर यूनिट सिंगरौली परियोजना, तीन हजार मेगावाट वाली रिहंद परियोजना, अनपरा में राज्य सेक्टर की 2630 मेगावाट वाली अनपरा परियोजना, 1094 मेगावाट वाली ओबरा परियोजना, निजी क्षेत्र की 1200 मेगावाट वाली लैंको परियोजना, 800 मेगावाट वाली रेणुसागर परियोजना, 40 मेगावाट वाली रेणुकूट परियोजना, 180 मेगावाट वाली चुर्क स्थित जेपी पावर प्लांट स्थित हैं। उनसे रोजाना लगभग 10 हजार मेगावाट बिजली पैदा भी की जा रही है। बावजूद पूरे यूपी को राहत देने वाले सोनभद्र में ही गांव से शहर तक घंटों बिजली कटौती जारी है।

छह सालों में पहली बार जिला मुख्यालय पर सबसे खराब आपूर्ति

2017 में जब भाजपा की सरकार आई तो सबसे पहले जिस क्षेत्र में सुधार देखने को मिला। वह बिजली आपूर्ति थी। जिला मुख्यालय सहित अन्य क्षेत्रों में भी बिजली आपूर्ति पहले से बेहतर बनी रही। 2021 में यूपी के इतिहास में सर्वाधिक 25000 मेगावाट से भी अधिक बिजली की मांग पहुंचने के बावजूद 24 हजार मेगावाट से अधिक बिजली की उपलब्धता बनाकर एक नया रिकार्ड कायम किया गया लेकिन 2022 में बिजली की मांग 18 हजार मेगावाट से उपर पहुंचने के बाद से ही लड़खड़ा गई। यह स्थिति तब है जब सस्ती बिजली देने वाली राज्य और केंद्र सेक्टर की इकाइयों से लगातार उत्पादन बना हुआ है।

यही कारण है कि सोनभद्र में कोयले का लाखों टन भंडार मौजूद होने, पिट हेड वाले बिजली घरों में कोयले का पर्याप्त स्टाक होने, यहां की बिजली सबसे सस्ती होने के बावजूद इस जनपद से बिजली कटौती का दंश खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस बार जो हालात दिख रहे हैं। उसे छह सालों में पहली बार सबसे खराब बताया जा रहा है।

ठप हो सकती है कई परियोजनाएं

पिटहेड वाले बिजलीघरों में भले ही कोयले का पर्याप्त स्टाॅक बना हुआ है लेकिन कोल खदानों से दूर स्थित परियोजनाओं में कोयले का भंडारण लगातार घटता जा रहा है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथारिटी की रिपोर्ट बताती है कि पिट हेड पर स्थित एनटीपीसी के रिहंद में 173 प्रतिशत, एनटीपीसी शक्तिनगर में 118 प्रतिशत, जिले से सटे सिंगरौली के विंध्यनगर स्थित देश के सबसे बड़े 4760 मेगावाट क्षमता वाले विंध्याचल बिजलीघर में 145 प्रतिशत कोयले का स्टाॅक मौजूद है। वहीं राज्य सेक्टर की पिटहेड वाली अनपरा परियोजना का कोयला भंडारण घटकर 35 प्रतिशत पर आ गया है। हरदुआगंज और ओबरा में भी स्टाॅक घटकर 14 प्रतिशत पर पहुंच गया है। परीक्षा में महज तीन प्रतिशत कोयला भंडार शेष है। निजी क्षेत्र के लैंको के पास भी 21 प्रतिशत ही स्टाॅक मौजूद है। राज्य सेक्टर की परियोजनाएं और लैंको सबसे सस्ती बिजली देती है। ऐसे में यहां घटते कोयला स्टाॅक पर अभी से संजीदगी दिखाए जाने की जरूरत है।

यूपी के दूसरे हिस्सों में लगातार बढ़ रहा संकट

फिलहाल सोनभद्र में कोयले को लेकर किसी बिजलीघर में आपात स्थिति नहीं है लेकिन यूपी के दूसरे हिस्सों में कोयले का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। नार्दर्न रिजन लोड डिस्पैच सेंटर की रिपोर्ट बताती है कि अब तक यूपी में सात इकाइयां कोयले की कमी के चलते बंद की जा चुकी हैं, जिसमें शुक्रवार को बंद हुई दो इकाइयां शामिल हैं। कुल बंद इकाइयों में पांच एनटीपीसी के औरैया परियोजना की, एक दादरी परियोजना की, एक इकाई ललितपुर की शामिल है।

मेरठ

उत्तर प्रदेश में गर्मी बढ़ने के साथ ही बिजली संकट भी गहराता चला जा रहा है। मेरठ जनपद भी इससे अछूता नही है। यहां बिजली की मांग 800 मेगावाट तक पहुंचने को है। जो सामान्य तौर पर 500 मेगावाट तक ही रहता था।पश्चिमांचल में बिजली की मांग करीब आठ हजार मेगावाट तक पहुंच गई। ऐसे में शहर से लेकर गांवों तक बिजली आपूर्ति लड़खड़ा रही है। गर्मी में बिजली के साथ ही पानी संकट भी बढ़ रहा है।

मेरठ के शहरी इलाकों में बिजली कटौती का आलम ये है कि दिन में 4-6 घंटे तक कटौती हो रही है। जिससे लोगों को परेशानी हो रही है तो व्यापार भी प्रभावित हो रहा है। ग्रामीण इलाकों में बिजली कटौती का हाल और बुरा है। गांवों में तो 8-10 घंटे की बिजली कटौती हो रही है। जिससे गेंहू की कटाई पर इसका असर पड़ रहा है। बिजली कटौती से फसल की सिंचाई भी ठीक से नहीं हो पा रही है। इधर, गर्मी लगातार बढ़ रही है। शुक्रवार को भी तापमान में काफी तेज वृद्धि हुई। मेरठ का तापमान 41 डिग्री के पार पहुंच गया। अभी से जिले में करीब 800 मेगावाट बिजली लोड पहुंचने को है। पिछले सालों में इतना बिजली लोड सितंबर माह में पहुंचता था।

एसी, कूलर और पंखों का लोड बढ़ा

मेरठ की जनपद में एक माह में एक अनुमान के मुताबिक दस हजार से अधिक एसी लग गए। पश्चिमांचल के 14 जिलों में यह संख्या 30 हजार से लेकर 50 हजार तक आंकी जा रही है। ऐसे में एसी, कूलर और पंखों का लोड बढ़ा है। ऐसे में बिजली की मांग बढ़ी है। पश्चिमांचल में बिजली की मांग और उपलब्धता में करीब पांच सौ से एक हजार मेगावाट तक का अंतर आ गया।

वहीं इस संबंध में पीवीवीएनएल के एमडी अरविंद मलप्पा बंगारी ने बताया कि इन दिनों गर्मी के कारण बिजली की मांग काफी अधिक बढ़ गई है। जिस कारण से कुछ स्थानों पर शिडयूल थोड़ा गड़बड़ाया है। लेकिन आपूर्ति पूरी तरह से दुरूस्त है।

सिद्धार्थनगर

तपती गर्मी में बिजली न मिलने के चलते जहां लोगों के दिन का सुकून छिन गया है वहीं रात की नींद भी हराम हो गई है। पिछले चार दिन से बिजली आपूर्ति व्यवस्था लगभग सभी फीडरों में डंवाडोल हो गई है जिसके चलते बिजली के लिए हाहाकार मचा हुआ है। किसी भी फीडर से छह घंटे से अधिक आपूर्ति नहींं मिल रही है, और तो और शिकायतों के समाधान के प्रति भी जिम्मेदार उदासीनता बरत रहे हैं किसी भी फीडर पर न तो शिकायत पंजिका है और न ही उपभोक्ताओं की समस्या को सुनकर कोई जवाब देने वाला कर्मचारी ही बिठाया गया है।

ज़िले के डुमरियागंज कस्बे के मंदिर तिराहे पर लगा ट्रांसफार्मर बुधवार की रात धू-धू कर जल उठा जिसके चलते लगभग आधे कस्बे की आपूर्ति बाधित हो गई है। ग्रामीण अंचलो में तो स्थिति बद से बद्तर होती जा रही है।

बिजली आपूर्ति बुरी तरह लड़खड़ाई

ग्रीष्म ऋतु के शुरू होते ही बिजली संकट से लोग जूझने लगे हैं। अबतक बिजली कम मिलने की शिकायत पर विभाग यह कहकर पल्ला झाड़ रहा था कि गेहूं की फसल खेत में है इसलिए उसकी सुरक्षा के लिए तेज हवाओं के बीच सप्लाई नहीं दी जा रही है। इस समय यह फसल भी पूरी तरह से कटकर किसानों की सुरक्षा में पहुंच चुकी है, लेकिन आपूर्ति में सुधार की जगह यह बुरी तरह से लड़खड़ा गई है। माह-ए- रमजान चल रहा है। रोजेदार दिन में बिना भोजन पानी के उपवास पर रहते हैं, ऐसे में बिजली की किल्लत उन्हें सर्वाधिक परेशान कर रही है।

महताब हैदर, सलमान एसीसी, बबलू ठीकेदार, शहजाद, अब्दुल कादिर, फिरोज अहमद, आमिर, सबरुन्निशा, नूरजहां, नशबुन्निशा आदि का कहना है कि पूरे दिन बिजली का पता नहीं रहता। यहां तक सेहरी और इफ्तार के वक्त भी बिजली नहीं मिल रही है। कस्बे का मोबाइल ट्रांसफार्मर और भटंगवा में लगा ट्रासफार्मर जला पड़ा है जिससे स्थिति यह है कि इंवर्टर व मोबाइल फोन तक चार्ज नहीं हो पा रहे हैं।

लोग महंगे डीजल के सहारे जनरेटर चालाकर मोबाइल व इंवर्टर चार्ज कर रहे हैं। विद्युत वितरण खंड डुमरियागंज हो अथवा तरहर, भारतभारी, तिलगड़िया, खानतारा, डुमरियागंज शहरी और ग्रामीण किसी भी स्थान पर शिकायत पंजिका नहीं रखी गई है। जिला स्तरीय कंट्रोल रूम पर शिकायत करने पर भी सिर्फ- टाल मटोल वाला जवाब ही मिल रहा है।

इस संबंध में राममूरत, अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खंड डुमरियागंज का कहना है कि जनपद को सप्लाई कम मिल रही है। इस लिए आपूर्ति में कमी आई है। सप्लाई संबंधित रिपोर्ट प्रतिदिन उच्चाधिकारियों को प्रेषित की जा रही है। जिले पर स्थापित कंट्रोल रूम पर अगर सही जानकारी नहीं दी जा रही है तो उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाएगा। सभी फीडरों पर शिकायत पंजिका रखने व एक कर्मचारी को शिकायत का व्योरा दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। जले हुए ट्रासफार्मर शीघ्र बदले जाएंगे।


रायबरेली

पूरे प्रदेश में बिजली कटौती से हाहाकार मचा हुआ है और बिजली कटौती से सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र भी जूझ रहा रहा है। रायबरेली के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों भारी कटौती के चलते जहां आम जनमानस में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शहरी क्षेत्र में भी विद्युत कटौती के कारण व्यापारियों में भी नाराजगी होने लगी है। शहर से लेकर गावों में अघोषित बिजली कटौती से जनजीवन प्रभावित हो रहा है।

गावों में बिजली कटौती से मेंथा की फसल चौपट होने के कगार पर है वही सिंचाई प्रभावित होने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे है। रायबरेली वासी बिजली कटौती से इसलिए भी हैरान है कि उनके जिले में एनटीपीसी होने का कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

कोमल शर्मा

रायबरेली स्थित ऊँचाहार एनटीपीसी परियोजना की पीआरओ कोमल शर्मा ने बताया की परियोजना की छह यूनिटों से 1550 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है। इसमें पांच यूनिटें 210-210 मेगावाट व छठवीं यूनिट 500 मेगावाट बिजली का उत्पादन करती है। वही एक 210 मेगावाट युनिट की मरम्त का कार्य चल रहा है। बिजली की मांग के अनुरूप उसकी आपूर्ति की जा रही है। हमारे यहां पर कोयला की कोई दिक्कत नहीं है।

इस वजह से आपातकालीन कटौती करनी पड़ रही है फिर भी हम लोग प्रयास कर रहे हैं कि शहर को तेइस घंटे से साढ़े तेइस घंटे बिजली दे रहे हैं। कोई कटौती नहीं हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र में तीन चार घंटे की आपातकालीन कटौती हो रही है।

ग्रामीण क्षेत्र में करीब चौदह घंटे की बिजली दे पा रहे हैं। शहर क्षेत्र को तेइस घंटा से साढ़े तेइस घंटा बिजली दे रहे हैं। निकट भविष्य में बिजली कटौती की समस्या दूर होगी। शासन गंभीरता से काम कर रहा है। हम भी प्रयास कर रहे हैं। निकट भविष्य में इस समस्या का समाधान हो सकेगा।

(अधीक्षण अभियंता विद्युत वितरण प्रथम यदुनाथ राम)

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Shreya

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