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Power Crisis in UP: बिजली संकट के मुहाने पर यूपी, लगातार घट रहा बिजली घरों में कोयले का भंडारण

Sonbhadra: कोयला संकट की आहट पावर सेक्टर से जुड़े लोगों की नींद उड़ाने लगी है। बिजली घरों के कोयला भंडारण में लगातार गिरावट ने बिजली संकट का संकेत देना शुरू कर दिया है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 18 April 2022 10:14 AM GMT
Power Crisis
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Power Crisis: Photo Credit - Social Media  

Sonbhadra: पिछले साल के अक्टूबर के तरह, इस बार भी उत्तर प्रदेश सहित 12 राज्यों में कोयला संकट (coal crisis) की आहट पावर सेक्टर से जुड़े लोगों की नींद उड़ाने लगी है। यूपी के बिजली घरों में किए गए कोयला भंडारण में लगातार आती गिरावट (Continuous decline in coal storage) ने कोयला संकट के साथ ही बिजली संकट का संकेत देना शुरू कर दिया है। ऐसे में अगर समय रहते संजीदगी नहीं दिखाई गई तो पिछले वर्ष के अक्टूबर की तरह इस बार की तपिश भी बड़े कोयला संकट के साथ ही, बिजली उपलब्धता को लेकर हायतौबा की स्थिति बनाती नजर आ सकती है।

अभी से दिखे संजीदगी, हो साझा पहल तभी समय रहते स्थिति पर नियंत्रण

बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में भी अप्रैल माह की शुरुआत से ही बिजली की मांग 20000 से 21000 मेगावॉट तक बनी गई है। इसके मुकाबले आपूर्ति (बिजली की उपलब्धता) 19000 से 20000 मेगावाट ही हो पा रही है। पीक आवर एवं अधिकतम बिजली की मांग के समय लगभग 1000 मेगावाट की कमी सिस्टम कंट्रोल को सोनभद्र सहित प्रदेश के अन्य जनपदों में देर तक आपात कटौती के लिए विवश कर दे रही है। आगे चलकर जहां तापमान में बढ़ोतरी बिजली की मांग में और इजाफा करती नजर आएगी, वहीं बिजली घरों, खासकर सस्ती बिजली देने वाले परियोजनाओं में तेजी से घटता कोयला भंडारण अभी से बिजली संकट का संकेत देने लगा है। इसको देखते हुए केंद्र और राज्य दोनों स्तर से संजीदगी और साझा पहल की जरूरत जताई जाने लगी है।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष उच्च प्रबंधन की तरफ से समय रहते संजीदगी न दिखाए जाने का परिणाम यह हुआ था गत सितंबर-अक्टूबर माह में कोयला बकाए का मात्र कुछ करोड़ रुपये का भुगतान न होने से पारीछा बिजलीघर की इकाइयां बंद करनी पड़ी थीं। वहीं कोयले की कमी के चलते सोनभद्र स्थित अनपरा, ओबरा, लैंको सहित कई बिजली घरों को उत्पादन घटाने के लिए विवश होना पड़ा था। वही कोयला संकट की स्थिति और सस्ती बिजली की उपलब्धता में आई कमी ने राज्य सरकार को, आपूर्ति की स्थिति नियंत्रित रखने के लिए एनर्जी एक्सचेंज से ₹21 प्रति यूनिट तक की बिजली खरीदनी पड़ी थी। उधर, ALL INDIA POWER ENGINEERS FEDERATION (AIPEF) के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे भी हालात पर चिंता जताते हैं।

बताते हैं कि उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम से उत्तर प्रदेश को सबसे सस्ती बिजली मिलती है। उसमें भी आनपारा परियोजना से मात्र 1.74 रुपये प्रति यूनिट बिजली मिलती है। इसको देखते हुए आवश्यक है कि सितंबर-अक्टूबर 2021 की गलती न दोहराई जाए और तापीय बिजली घरों में जरूरत के मुताबिक कोयले का पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित कराया जाए। कहते हैं कि कि अभी संजीदगी दिखा दी जाए तो हालात काबू में आ जाएंगे।

क्योंकि सरकारी क्षेत्र के उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम में अभी कोयले का गंभीर संकट नहीं है लेकिन स्टैंडर्ड नॉर्म के मुताबिक स्टॉक में जितना कोयला होना चाहिए उसका मात्र 26 प्रतिशत ही कोयला उत्पादन निगम के बिजली घरों में बचा है। आने वाले समय में गर्मी बढ़ने के साथ बिजली की मांग बढ़ेगी और इसके लिए कोयले की भी मांग बढ़ेगी। ऐसे में आगे चलकर स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

मुहाने वाले बिजलीघरों में 17, दूर वाले बिजली घरों में 26 दिन का होना चाहिए कोयला स्टाक:

2630 मेगावाट क्षमता की अनपरा ताप बिजली परियोजना, कोयला खदान के मुहाने पर है। यहां सामान्यतया 17 दिन का कोयला होना चाहिए । वहीं 1265 मेगावॉट की हरदुआगंज, 1094 मेगावॉट की ओबरा और 1140 मेगावॉट की परीछा कोयला खदान से दूर होने के कारण यहां 26 दिन का कोयला स्टॉक में होना चाहिए।

जानिए कहां बचा है कितना कोयला

रिकॉर्ड के अनुसार अनपरा में 5 लाख 96 हजार 700 टन कोयला स्टॉक में होना चाहिए। जबकि वहां इस समय 328100 टन कोयला ही है। इसी प्रकार हरदुआगंज में स्टॉक में 497000 टन कोयला होना चाहिए। वहां भी केवल 65700 टन कोयला है। ओबरा में चार लाख 45 हजार 800 टन कोयला होना चाहिए लेकिन मात्र एक लाख 500 टन कोयला स्टाक में है। पारीछा में 4 लाख 30 हजार 800 टन कोयला होना चाहिए लेकिन स्टाक 12900 टन ही कोयला मौजूद है। इस हिसाब से चारों परियोजनाओं में लगभग 19 लाख 69 हजार 800 टन कोयले का भंडारण रहना चाहिए लेकिन इसके मुकाबले महज 5 लाख 11 हजार 700 टन कोयला स्टाक में है जो स्टैंडर्ड नॉर्म के अनुसार कुल भंडारण का महज 26% है।

रोजाना कोयला खपत की यह है स्थिति

प्रतिदिन कोयले की खपत के हिसाब से देखें तो अनपरा में 40000 मीट्रिक टन कोयले की प्रतिदिन खपत होती है और उपलब्ध मात्र 29000 मीट्रिक टन कोयला है। हरदुआगंज में 17000 मीट्रिक टन की तुलना में 15000 मीट्रिक टन, ओबरा में 12000 मीट्रिक टन की तुलना में 11,000 मीट्रिक टन और परीक्षा में 11,000 मीट्रिक टन की तुलना मे मात्र 4000 मीट्रिक टन कोयला शेष बचा है।

परीक्षा में कोयले की कमी के कारण घटाना पड़ा उत्पादन

पारीछा में 910 मेगावाट का उत्पादन होता है लेकिन यहां केवल एक दिन का कोयला बचा है। स्थिति को देखते हुए यहां फिलहाल उत्पादन घटा कर 500 मेगावाट कर दिया गया है।बताते चलें कि अक्टूबर के बाद एक बार पुनः कोयला संकट के चलते देश के 12 राज्यों में बिजली संकट की सुनाई देती आहट ने पावर सेक्टर के लोगों को बेचैन करना शुरू कर दिया है । अप्रैल के पहले पखवाड़े में भीषण गर्मी के चलते बिजली की मांग में पिछले सालों के मुकाबले रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। बताते हैं कि पिछले 38 वर्षों में इस बार के अप्रैल के महीने में बिजली की मांग सबसे अधिक रही। हालात कितने चुनौतीपूर्ण है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गत वर्ष के अक्टूबर महीने में जहां 1.1% बिजली की कमी थी। वहीं अप्रैल के पहले पखवाड़े में यह कमी 1.4% पहुंच गई। यहीं कारण है कि जहां यूपी के लोगों को पीक आवर में आपात कटौती झेलनी पड़ रही है। वहीं आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, झारखंड, हरियाणा में 3% से 8.7% तक बिजली की कटौती हो रही है।

कोयला रैक में आई कमी ने भी बढ़ाई चिंता

कोयला संकट की तरफ बढ़ते बिजली घरों को रेलवे रैक के जरिए रोजाना मिलने वाले कोयले में आती कमी ने भी हालात बिगड़ने शुरू कर दिए हैं। एक तरफ जहां केंद्रीय विद्युत मंत्री आर के सिंह ने रूस यूक्रेन युद्ध के चलते आयातित कोयले के दामों में भारी बढ़ोतरी और बिजली घरों तक कोयला पहुंचाने के लिए रेलवे के वैगनो की पर्याप्त उपलब्धता न होने को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं देश के ताप बिजली घरों तक कोयला आपूर्ति करने के लिए 453 रेक की जरूरत है लेकिन अप्रैल के पहले सप्ताह में मात्र 379 रेक उपलब्ध थी । अब यह संख्या बढ़कर 415 हो गई है। कुल मिलाकर हालात यह है कि कोयले की मांग में विगत विगत वर्ष की तुलना में नौ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, वास्तविकता यह है की देश के 12 राज्यों में ताप बिजली घरों में मात्र 8 दिन का कोयला शेष बचा है जो औसतन 24 दिन का होना चाहिए।

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Shashi kant gautam

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