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Power Crisis in UP: बढ़ सकता है बिजली संकट, विदेशी कोयले से कमी की होगी भरपाई

Power Crisis in UP: यूपी में बिजली उपभोक्ताओं को इन दिनों बिजली कटौती की मार झेलनी पड़ रही है। राज्य सरकार के लाख प्रयास के बाद भी फिलहाल बिजली संकट से निजात नहीं मिल पा रहा है।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 7 May 2022 7:14 AM GMT
Power Crisis in India
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8 घंटे तक की बिजली कटौती (photo: social media ) 

Power Crisis in UP: उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को इन दिनों बिजली कटौती की मार झेलनी पड़ रही है। राज्य सरकार के लाख प्रयास के बाद भी फिलहाल बिजली संकट से निजात नहीं मिल पा रहा है। हालत यह है कि कही कहीं चार से छह घंटे अथवा इससे भी अधिक बिजली कटौती की जा रही है। इसके पीछे राज्य में कोयले के स्टाक की बड़ी कमी होने की बात कही जा रही है। जिसके चलते आने वाले दिनों में बिजली संकट और बढ़ सकता है।

उधर बढ़ती गर्मी को देखते हुए बिजली की मांग दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। बावजूद इसके उत्तर प्रदेश सरकार ने तय शेड्यूल के हिसाब से बिजली देने का ऐलान किया है। पावर कारपोरेशन ने 31 मई तक प्रदेश के सभी शहरों और ग्रामीण इलाकों में बिजली सप्लाई का शेड्यूल जारी कर दिया है। शेड्यूल के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में भी 24 घंटे बिजली की आपूर्ति होगी, जबकि बुंदेलखंड को 20 घंटे बिजली देने की बात कही गयी है।

उधर देश में कोयले की कमी होने की बात सामने आने के बाद अब विदेश से भी कोयला खरीदने की बात हो रही हे। जिसके चलते बिजली के दाम भी बढ़ सकते हैं। एक अधिकारी ने बताया कि उप्र पावर कारपोरेशन पहले से 90 हजार करोड के घाटे पर है। उसके बाद भी वह प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिए महंगी बिजली खरीद रहा है। सामान्य दिनों में भी 17 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदी जाती है।

वहीं यूपी राज्य विद्युत उत्पादन निगम की ओर से शासन को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि विदेशी कोयले की खरीद से प्रदेश के सभी बिजलीघरों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और दरों में बढ़ोतरी करनी पड़ेगी। इस बीच निजी उत्पादकों ने विदेशी कोयले के इस्तेमाल की आड़ में दरें बढ़वाने के लिए लामबंदी भी शुरू कर दी है।

उल्लेखनीय है कि यूपी राज्य विद्युत उत्पादन निगम की तरफ से अभी विदेशी कोयले की खरीद के लिए टेंडर नहीं निकाला गया है। हालांकि उसके ऊपर दबाव काफी है। भविष्य में विदेशी कोयले की खरीद को लेकर किसी तरह का बवाल न खड़ा हो इसलिए उत्पादन निगम ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर गेंद सरकार के पाले में डाल दी है। सरकार की हरी झंडी मिलने के बाद ही उत्पादन निगम विदेशी कोयले की खरीद की टेंडर प्रक्रिया शुरू करेगा।

वहीं बिजली अभियंताओं ने सवाल उठाया है कि केंद्र सरकार ने क्या कोई तकनीकी कमेटी बनाकर अध्ययन कराया है कि विदेशी कोयले से बिजली की दरों में कोई अंतर नहीं आयेगा। अभियंताओं का कहना है कि बिना बिजली इकाइयों को अपग्रेड किए विदेशी कोयले का इस्तेमाल करने से समस्या और गहरा सकती है।

उप्र उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार सभी राज्यों को विदेशी कोयला खरीदवाने के लिए विवश कर रहा है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में विदेशी कोयला से चलने वाली 13 उत्पादन इकाइयों जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 17600 मेगावाट है के लिए यह आदेश जारी कर दिया है कि सभी विदेशी कोयला से चलने वाली उत्पादन इकाइयां पूरे फुल लोड पर उत्पादन करें।

उन्होंने कहा कि अब केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश के तहत उसे बेचने का रास्ता साफ हो गया है। अब विदेशी कोयला से चलने वाली मशीनों की बिजली बेचने का पूरा इंतजाम कर दिया है। जहां देश में आत्मनिर्भर प्रोग्राम की बात होती है वहां यह किसके लिए निर्भर प्रोग्राम चल रहा है। यह देश की जनता को समझ में आ गया है।

अवधेश कुमार वर्मा ने कहा जिस प्रकार से केंद्र का ऊर्जा मंत्रालय अभी तक घरेलू कोयला से चलने वाली उत्पादन इकाइयों को 10 प्रतिसत विदेशी कोयला खरीदने के लिए दबाव बना रहा था। अब इस निर्णय के बाद उपभोक्ता परिषद को पूरी उम्मीद है कि देश के सभी निजी घराने अब इस बात के लिए संघर्ष जारी करेंगे कि विदेशी कोयला से उनकी उत्पादन इकाइयां जो बिजली पैदा कर रही है। उसकी बिजली दर बहुत ज्यादा महंगी पड रही है।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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