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यूपी में बिजली संकट की स्थितिः 26312 मेगावाट पहुंची मांग, पावर सेक्टर में हाय तौबा
Power crisis in UP: शनिवार को दिन में भी बिजली की मांग उच्च स्तर पर बनी रही। वहीं भारी उमस के बीच रह-रहकर होती कटौती लोगों को पसीने से तरबतर कर तड़पाती रही।
Sonbhadra: मार्च माह से ही पड़ रही तपिश की मार ने जहां लोगों को तड़पा कर रख दिया हैं। वहीं भारी उमस की स्थिति हर माह बिजली खपत का नया रिकार्ड बना रही है। हालत यह है बिजली की मांग शुक्रवार की रात 26312 मेगावाट पहुंच गई। हालात को नियंत्रित रखने के लिए, जहां एनर्जी एक्सचेंज से महंगे दाम पर बिजली खरीदी गई। वहीं सिस्टम कंट्रोल को सोनभद्र सहित यूपी के अन्य हिस्सों में लगभग पांच सौ मेगावाट की आपात कटौती करानी पड़ी।
शनिवार को दिन में भी बिजली की मांग उच्च स्तर पर बनी रही। वहीं भारी उमस के बीच रह-रहकर होती कटौती लोगों को पसीने से तरबतर कर तड़पाती रही।
आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष जुलाई माह के पहले सप्ताह में बिजली की अधिकतम मांग 25117 मेगावाट तक पहुंच गई थी जो यूपी में 2021 तक बिजली की अधिकतम मांग में सर्वाधिक थी। इस बार लंबी तपिश के दौर के चलते गत सात जून को ही बिजली की मांग ने 26616 का आंकड़ा छूकर यूपी में अब तक की सर्वाधिक मांग का रिकार्ड बना डाला।
जून के आखिरी माह में बारिश के चलते मौसम में नरमी आई तो मांग घटकर 22 हजार मेगावाट के करीब आ गई लेकिन जैसे ही कुछ दिन के बाद ही बारिश थमी। इसमें इजाफा शुरू हो गया। पांच जुलाई को बिजली की अधिकतम मांग 24809 तो सात जुलाई को 25084 मेगावाट पर पहुंच गई। इसके अगले ही दिन यानी शुक्रवार की रात बिजली की मांग का आंकड़ा 26312 मेगावाट पहुंच गया। यह आंकड़ा जहां जुलाई माह में यूपी में अब तक दर्ज हुई सर्वाधिक बिजली मांग है। वहीं तेजी से बढ़ रही मांग और खपत ने पावर सेक्टर में हड़कंप की स्थिति पैदा कर दी है।
मौसम विभाग से जुड़े लोगों की बातों पर गौर करें तो फिलहाल 20 जुलाई तक तपिश और उमस से कोई खास राहत नहीं मिलने लगी। इससे साफ जाहिर है कि एक तरफ उमस की मार, दूसरी तरह बढ़ती बिजली की मांग अभी कुछ दिन और लोगों को इसी तरह तड़पाती रहेगी।
12 सालों में दोगुना बढ़ गई खपत, कार्बन उत्सर्जन में भी हुआ इजाफा
एक तरफ जहां 12 सालों में बिजली की मांग और खपत में ढाई गुना से भी अधिक इजाफा सामने आया है। वहीं बढ़ती जरूरत की पूर्ति के लिए कोयले की खपत में हुई वृद्धि के चलते कार्बन उत्सर्जन में भी तेजी से वृद्धि की स्थिति बनी है। विशेषज्ञ जहां इस बार समय से पहले तीखी तपिश और समय पर बारिश न होने को जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देख रहे हैं। वहीं उनका मानना है कि कोयले की खपत और कार्बन उत्सर्जन में इसी तरह की स्थिति बनी रही, आगे चलकर हालात और खराब नजर आ सकते हैं।
कुछ इस तरह बढ़ती गई बिजली की जरूरतः
आंकड़ों के मुताबिक 2010 में 10 जुलाई को बिजली की अधिकतम मांग 10363 मेगावाट दर्ज की गई थी। वहीं 2011 में 26 जुलाई को 11488, 2012 में तीन जुलाई को 14190, 2013 में 23 जुलाई को 14101, 2014 में 31 जुलाई को 15323, 2015 में 29 जुलाई को 16438, 2016 में 13 जुलाई को 17385, 2017 में 17 जुलाई को 18704, 2015 में 10 जुलाई को 20551, 2019 में 23 जुलाई को 22599, 2020 में 17 जून को 23419 मेगावाट अधिकतम मांग दर्ज की गई थी। 2021 में यह तेजी से उछाल मारते हुए 25117 पहुंच गई। 2022 में भी जुलाई माह में तेजी से मांग में बढ़ोत्तरी का क्रम जारी है। ऐसे में जुलाई माह इस बार भी मांग का एक नया रिकार्ड नजर आए तो बड़ी बात नहीं होगी।