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Power Crisis in UP: बिजली खपत का नया रिकॉर्ड, 21349 मेगावाट तक पहुंची मांग, 10 घंटे से अधिक कटौती

Power Crisis in UP: बिजली खपत के आंकड़े ने भी यूपी के इतिहास में अब तक अप्रैल माह के आखिरी दिन सर्वाधिक 21,349 मेगावाट बिजली खपत का रिकॉर्ड बना डाला।

Kaushlendra Pandey
Written By Kaushlendra PandeyPublished By aman
Published on: 30 April 2022 2:22 PM GMT
Power Crisis
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Power Crisis: Photo Credit - Social Media  

Power Crisis in UP: आग बरसाती सूरज की किरणें जहां अप्रैल माह में रोजाना तपिश का एक नया रिकार्ड बनाती रहीं। वहीं, बिजली खपत के आंकड़े ने भी यूपी के इतिहास में अब तक अप्रैल माह के आखिरी दिन सर्वाधिक 21,349 मेगावाट बिजली खपत का रिकॉर्ड बना डाला। वहीं, बिजली उपलब्धता में आई लगभग तीन हजार मेगावाट की कमी ने सूबे के पावर सेक्टर में हड़कंप मचाकर रख दिया।

महंगी बिजली के जरिए जहां जरूरत पूरी करने की कोशिश होती रही। वहीं, दोपहर से ही गांव से शहर तक ताबड़तोड़ कटौती कर हालात संभाले जाते रहे। गांव से शहर तक ताबड़तोड़ कटौती लोगों को गर्मी की तपिश झेलनी पड़ रही है।

दिन में ही बनने लगे बिजली खपत के रिकॉर्ड

सामान्यतः रात के पीक आवर में बिजली की अधिकतम मांग सामने आती रही है लेकिन अप्रैल के आखिरी सप्ताह में 44 से 45 डिग्री तक पहुंचे पारे के चलते, दोपहर में ही बिजली की अधिकतम मांग दर्ज होने लगी है। शुक्रवार को जहां दोपहर में बिजली की अधिकतम मांग 20 से 21 हजार मेगावाट के बीच दर्ज की गई। वहीं शनिवार की दोपहर लगभग पौने दो बजे, अप्रैल माह में अब तक के बिजली खपत के सारे रिकार्डों को पीछे छोड़ते हुए, बिजली की मांग 21349 मेगावाट पर पहुंच गई। नार्दन रिजन लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले वर्ष 29 अप्रैल को बिजली की अधिकतम मांग 19837 मेगावाट दर्ज की गई थी जो यूपी के रिकार्ड में अप्रैल माह की साल दर साल दर्ज होने वाली खपत में सर्वाधिक थी।

वहीं पीक आफ में बिजली की उपलब्धता में 3072 मेगावाट की कमी दर्ज की गई। इस बार तपिश में हैरान कर देने वाली तेजी के साथ ही, बिजली खपत में भी डेढ़ हजार मेगावाट से अधिक की वृद्धि सामने आई है। उल्लेखनीय बात यह है कि पिछली बार यह रिकार्ड रात में बना था। इस बार दोपहर में ही बिजली की उच्चस्तर पर पहुंची खपत ने सारे रिकार्ड पीछे छोड़ दिए।

दिन-रात दोनों समय तड़पा रही बिजली कटौती

लगातार बढ़ती बिजली की मांग और परियोजनाओं में बढ़ते कोयला संकट के चलते बिजली उपलब्धता में आती कमी के चलते दिन और रात दोनों समय लोगों को ताबड़तोड़ कटौती झेलनी पड़ रही है। सारनाथ कंट्रªोल रूम की तरफ से सोनभद्र में जहां रात में गांवों, नगरपंचायत और तहसील मुख्यालयों पर पांच घंटे दिन और पांच घंटे रात की कटौती का शिड्यूल तय किया गया है। वही इससे इतर जाकर भी कई घंटे कटौती लोगों को रूला दे रही है। वहीं जिला मुख्यालय पर भी दिन और रात दोनों समय जब-तब होती कटौती और तपिश की मार लोगों को बेहाल करके रख दी है। शनिवार को भी दोपहर साढ़े बारह बजे जैसे ही बिजली की मांग 20 हजार के पार पहंुची ताबड़तोड़ कटौती का क्रम शुरू हो गया। यह सिलसिला तीन बजे तक चलता रहा। इस बीच बिजली की मांग भी बढ़कर 21349 मेगावाट पहुंच गई।

राज्य सेक्टर के बिजलीघर दे रहे साथ, नहीं तो...

कोयला खरीद को लेकर आर्थिक दिक्कत और इकाइयों के समय से अनुरक्षण न होने का दंश झेल रहे राज्य के तापीय बिजलीघर, इस बार के तपिश में सूबे के पावर सेक्टर के लिए बड़े मददगार साबित हुए हैं। राज्य सेक्टर के अनपरा स्थित 2630 मेगावाट वाले सबसे बड़े बिजलीघर, ओबरा परियोजना दोनों से पिछले साल के मुकाबले लगातार बेहतर बिजली मिल रही है। निजी सेक्टर के लैंकों से भी लगातार 11 से 12 सौ मेगावाट बिजली मिलने का क्रम बना हुआ है। एनटीपीसी की रिहंद और शक्तिनगर स्थित परियोजनाओं से भी यूपी कोटे की बिजली लगातार मिल रही है। इससे जहां पावर सेक्टर को बड़ी राहत है। वहीं यहां की बिजली महज दो से तीन रूपये प्रति यूनिट की दर से उपलब्ध होने के कारण, सरकारी खजाने को भी बड़ी मदद मिल रही है।

ट्रांसमिशन लाइन दुरुस्त, सिर्फ बिजली की दिक्कत

बिजलीघरों से पावरग्रिड तक बिजली पहुंचाने वाली ट्रांसमिशन लाइनों में फिलहाल कोई दिक्कत नहीं है। बिजली उपलब्धता में कमी कटौती का बड़ा कारण बनी हुई है। अधीक्षण अभियंता मिर्जापुर एसके पुरवार भी इस बात को स्वीकारते हैं। कहते हैं कि बिजली की उपलब्धता में कमी के कारण तय किए गए कटौती के शिड्यूल के चलते, निर्धारित समय के लिए शट डाउन लेना पड़ रहा है। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि कोयले की आपूर्ति बढ़ रही है, जल्द ही स्थिति में सुधार दिखने लगेगा। बता दें कि पिछले वर्ष बिजली की मांग 26 हजार मेगावाट के करीब पहुंचने के कारण पूरे प्रदेश में हाय तौबा की स्थिति बन गई थी लेकिन ट्रांसमिशन लाइनों को लेकर कोई दिक्कत सामने नहीं आई

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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