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Power Crisis in UP: पसीने छूट रहे हैं राज्य सरकार को AC, कूलर और पंखे चलवाने में

Power Crisis In UP: उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।

Shreedhar Agnihotri
Written By Shreedhar AgnihotriPublished By Deepak Kumar
Published on: 29 April 2022 2:43 PM IST
power crisis in up yogi government has not tender to buy foreign coal
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यूपी में बिजली संकट (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Power Crisis In UP: उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार (State Government) हर संभव प्रयास कर रही है। इस प्रदेश में यूपी में करीब तीन करोड़ उपभोक्ता हैं। इसमें घरेलू उपभोक्ताओं की संख्या 2 करोड़ 70 लाख है। जिनके लिए राज्य सरकार अपनी उत्पादक यूनिटों के साथ अन्य बाहरी बिजली उत्पादकों से भी बिजली खरीदने का काम कर रही है।

90 हजार करोड़ के घाटे पर उप्र पावर कारपोरेशन

एक अधिकारी ने बताया कि उप्र पावर कारपोरेशन (UP Power Corporation) पहले से 90 हजार करोड़ के घाटे पर है। उसके बाद भी वह प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिए महंगी बिजली खरीद रहा है। सामान्य दिनों में भी सात रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदी जाती है। इसके अलावा ललितपुर, रोजा, ऊंचाहार, हरदुआगंज,और पारीछा यूनिट से बिजली मिलती है। पर हरदुआगंज और बारा इकाइयां काफी दिनों से बंद चल रही थी जिन्हे फिर से चालू किया गया है।

15.85 रुपये प्रति यूनिट की दर से 16 मिलियन यूनिट बिजली खरीदने का किया काम

पिछले दिनों प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिए उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (Uttar Pradesh Power Corporation Limited) ने इंडिया एनर्जी एक्सचेंज लिमिटेड (India Energy Exchange Limited) से 15.85 रुपये प्रति यूनिट की दर से 16 मिलियन यूनिट बिजली खरीदने का काम किया था। योगी सरकार (Yogi Government) इस बात की घोषणा कर चुकी है कि सभी को शाम 6 बजे से सुबह 7 बजे तक निर्बाध बिजली आपूर्ति होनी चाहिए। शेड्यूल के मुताबिक गांवों 18 घंटे, तहसील मुख्यालयों को 21.30 घंटे व बुंदेलखंड को 20 घंटे बिजली आपूर्ति का शेड्यूल है. शहर और उद्योग बिजली कटौती से मुक्त हैं।

बिजली संकट के पीछे कारण कोयले की आपूर्ति न हो पाना

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद (Uttar Pradesh State Electricity Consumer Council) के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा (President Awadhesh Kumar Verma) ने कहा कि बिजली संकट के पीछे कारण कोयले की आपूर्ति न हो पाना है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम के पास मानक के सापेक्ष 19 दिसंबर 2021 तक 73 प्रतिशत कोयले का भंडार था जो 28 दिसंबर को 72 प्रतिशत तक पहुंच गया। 31 जनवरी 2022 पहुंचते-पहुंचते यह भंडार केवल मानक के सापेक्ष 70 प्रतिशत रहा । वहीं राष्ट्रीय स्तर पर मानक के सापेक्ष 31 जनवरी को कोयले का भंडार केवल 41 प्रतिशत था।

17 अप्रैल को केवल 24 प्रतिशत रहा कोयला भंडार

वर्मा ने कहा कि लगातार कम कोयला होने की वजह से 28 फरवरी को उत्तर प्रदेश को में यह कोयले का भंडार केवल 54 प्रतिशत बचा, जो गत 31 मार्च पहुंचते-पहुंचते केवल 35 प्रतिशत हो गया। उस दौरान राष्ट्रीय स्तर पर मानक के सापेक्ष कोयले का भंडार केवल 38 प्रतिशत था धीरे-धीरे कोयला उपलब्ध ना हो पाने के कारण 4 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में यह कोयले का भंडार मानक के सापेक्ष उपलब्ध केवल 32 प्रतिशत रह गया। उन्होंने कहा कि 17 अप्रैल की बात करें तो तो यह भंडार केवल 24 प्रतिशत तक बचा वही राष्ट्रीय स्तर पर मानक के सापेक्ष कोयला भंडार 35 प्रतिशत रहा, जिस में लगातार गिरावट होती जा रही है।

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Deepak Kumar

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