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Power Privatisation News: वितरण के साथ उत्पादन और पारेषण निगम के सम्पूर्ण निजीकरण की योजना से कर्मचारियों में भारी गुस्सा

Power Privatisation News: पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष ने उत्पादन व पारेषण के कार्मिकों को संयुक्त उपक्रम में प्रतिनियुक्ति पर भेजने की बात कहकर उत्पादन व पारेषण के निजीकरण का भी खुलासा कर दिया है, जिससे बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है।

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Newstrack Network
Published on: 30 Nov 2024 9:15 PM IST
Heavy gussa in employees from plan of complete privatization of production and management corporation with distribution
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वितरण के साथ उत्पादन और पारेषण निगम के सम्पूर्ण निजीकरण की योजना से कर्मचारियों में भारी गुस्सा: Photo- Social Media

Power Privatisation News: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने कहा है कि एक ओर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा ने एक्स पर ट्वीट करके कल लिखा है कि "माननीय प्रधानमंत्री जी के आशीर्वाद से डबल इंजन की सरकार के नेतृत्व में प्रदेश के विद्युत विभाग में ऐतिहासिक कार्य हुआ है", वहीं दूसरी ओर पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल रोज बता रहे हैं कि पावर कॉरपोरेशन भारी घाटे में आ गया है, उसे सरकारी क्षेत्र में आगे चला पाना संभव नहीं है। अतः विद्युत वितरण के निजीकरण का निर्णय लिया गया है। पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष ने उत्पादन व पारेषण के कार्मिकों को संयुक्त उपक्रम में प्रतिनियुक्ति पर भेजने की बात कहकर उत्पादन व पारेषण के निजीकरण का भी खुलासा कर दिया है, जिससे बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि एक ओर प्रबन्धन यह कह रहा है कि इलेक्ट्रीसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 133 के तहत कर्मचारियों की सेवा शर्तें प्रतिकूल नहीं होंगी। वहीं दूसरी ओर उत्पादन निगम व पारेषण निगम में कार्यरत अभियन्ता व कर्मचारियों को 50 प्रतिशत तक संयुक्त उपक्रम के मेजा एनटीपीसी एवं नवेली लिग्नाईट कारपोरेशन में भेजने की बात कह कर प्रबन्धन ने यह खुलासा कर दिया है कि वितरण के साथ ही उत्पादन निगम व पारेषण निगम का भी निजीकरण किये जाने का निर्णय है।

संघर्ष समिति ने की अपील

संघर्ष समिति के सदस्यों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और ऊर्जा मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा से अपील की है कि वे प्रभावी निर्देश देने की कृपा करें जिससे विद्युत विभाग में ऐतिहासिक सुधार के बावजूद निजीकरण के मनमाने बयान देने से पावर कारपोरेशन के चेयरमैन को रोका जा सके और कर्मचारी व अभियन्ता पूर्ण मनोयोग से बिजली व्यवस्था के सुधार में लगे रहे व अनावश्यक भ्रम न उत्पन्न हो।

उन्होंने कहा कि देश के किसी भी सार्वजनिक उपक्रम में 50 प्रतिशत तक प्रतिनियुक्ति का कोई उदाहरण नहीं है। एनटीपीसी की एच आर पॉलिसी में प्रतिनियुक्ति का प्राविधान ही नहीं है। ऊँचाहार और टाण्डा बिजली घर जब एनटीपीसी को बेचे गये थे, तब उप्र राज्य विद्युत परिषद के किसी कार्मिक को एनटीपीसी ने नहीं लिया था। सभी कार्मिकों को वापस आना पड़ा था।

निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे बिजली कर्मी- संघर्ष समिति

निजीकरण के बाद आगरा व ग्रेटर नोएडा में भी विद्युत परिषद के किसी कार्मिक को निजी कम्पनी ने नहीं रखा। सबको वापस आना पड़ा था। अब जब बड़े पैमाने पर वितरण, पारेषण व उत्पादन का सम्पूर्ण निजीकरण किया जा रहा है तब कार्मिकों की भारी पैमाने पर छंटनी के अलावा अन्य कोई रास्ता नहीं है। संघर्ष समिति ने कहा है कि बिजली कर्मी किसी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे और सभी लोकतांत्रिक कदम उठाते हुए निजीकरण का प्रबल विरोध करेंगे।

संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों में राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो. इलियास, श्रीचन्द, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय एवं विशम्भर सिंह शामिल हैं।



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Shashi kant gautam

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