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UP Legislature: राष्ट्रपति कोविंद के पहले प्रणव मुखर्जी भी सम्बोधित कर चुके हैं यूपी विधानमंडल को

President Address To UP Legislature: यूपी की ऐतहासिक विधानसभा में अमृत महोत्सव के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संयुक्त बैठक को संयुक्त रूप से सम्बोधित करेंगे।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 6 Jun 2022 8:43 AM IST
Pranab Mukherjee has also addressed the UP Legislature before President Ram Nath Kovind
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद: Photo - Social Media

President Address To UP Legislature: यूपी की ऐतहासिक विधानसभा में अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) के अवसर पर जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) संयुक्त बैठक (विधानपरिषद और विधानसभा) को संयुक्त रूप से सम्बोधित करेंगे तो अपनी स्थापना के षताब्दी वर्ष पूरी करने जा रहा विधानभवन एक और इतिहास की रचना करेगा।

इससे पहले विधानमंडल के कई ऐतहासिक आयोजन हो चुके हैं जिसमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी एवं उपराष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के अलावा 2017 में जब प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार का गठन हुआ तो नए विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम में हिस्सा लेने तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन यहां आई थी।

समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी विधानसभा की गरिमा बढ़ाया

पिछली समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान हुए उत्तरसती आयोजन के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इस विधानसभा की गरिमा को बढ़ाने का काम किया था। और 6 से 8 जनवरी 2013 को उत्तरशती (125 वर्ष) रजत जयन्ती समारोह मनाया था। इसमें इस सदन के पूर्व सदस्यों नारायणदत्त तिवारी व मुलायम सिंह यादव समेत कई अन्य माननीयों को सम्मानित किया गया था।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी: Photo - Social Media

इसी तरह का एक समारोह 1987 में विधानसभा का स्वर्ण जयन्ती समारोह हुआ था। इस कार्यक्रम में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Prime Minister Rajiv Gandhi) नेता सदन और तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह तथा नेता प्रतिपक्ष सत्यपाल सिंह यादव ने उपराष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की उपस्थिति में इसे गौरवमयी बनाने का काम किया था। यूपी विधानसभा ने 1987 में स्वर्ण जयन्ती समारोह का आयोजन किया था जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी मुख्य अतिथि के तौर पर यहां आए थे।

जबकि 2003 में भी विधानसभा की तिथियों के अर्न्तविरोधों के बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती और विधानसभा अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी के कार्यकाल में इलाहाबाद में उत्तर प्रदेश विधानमंडल स्थापना का उत्तरशती समारोह मनाया गया था। जबकि इसके पहले मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में 29 जुलाई 1997 को भी यूपी विधानसभा ने हीरक जयन्ती समारोह का आयोजन किया गया था।

यूनाइटेट प्रोविन्स से बना उत्तर प्रदेश विधानसभा

उल्लेखनीय है कि चार नवम्बर 1947 को विधानसभा में यह संकल्प लिया गया कि विधानसभा के सभी कार्यों तथा कार्यवाहियों में केवल हिन्दी भाषा का ही प्रयोग किया जाएगा। आजादी के बाद जब 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होते ही राज्य और सदन दोनों का नाम बदल दिया गया। राज्य का नाम यूनाइटेट प्रोविन्स से उत्तर प्रदेश और सदन लेजिस्लिेटिव असेम्बली से विधानसभा हो गया जिसे आज उत्तर प्रदेश विधानसभा के नाम से पूरे विश्व में जाना जाता है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा :Photo - Social Media

यूनाइटेड प्रोविन्स से उत्तर प्रदेश बनने के बाद विधानमंडल का प्रथम सत्र 2 फरवरी 1950 को आरम्भ हुआ जिसमें पुरुषोत्तम दास टंडन को अध्यक्ष पद की शपथ दिलाई गयी। 11 अगस्त 1950 को टंडन के इस्तीफा देने के बाद 21 दिसम्बर 1950 को नफीसुल हसन को अध्यक्ष तथा हरगोबिन्द पंत को उपाध्यक्ष निर्वाचित किया गया।

राष्ट्रपति कोविद का सम्बोधन

आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के अवसर पर उत्तर प्रदेश राज्य विधान मण्डल की संयुक्त बैठक में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Governor Anandiben Patel) उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सभापति कुँवर मानवेन्द्र सिंह , उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष सतीश महाना तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विधान परिषद नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव, विधान सभा नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव सहित सदस्य सम्मिलित रहेंगे।

राष्ट्रपति कोविद का सम्बोधन उत्तर प्रदेश की 18वीं विधान सभा की गरिमा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा तथा विधान मण्डल के सदस्यों के लिए प्रेरणादायी होने के साथ-साथ उनका मार्गदर्शन व ज्ञानवर्धन करेगा। विधान मण्डल के लिए यह ऐतिहासिक व गौरवशाली अवसर होगा।



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Shashi kant gautam

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