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कांग्रेस में जान फूंकने को कॉरपोरेट कल्चर लाएंगे PK, काम का होगा हिसाब
लखनऊ: यूपी कांग्रेस के राजनीतिक रणनीतिकार के तौर पर यूपी के चुनावी मैदान में उतरे प्रशांत किशोर (पीके) पार्टी में जान फूंकने के लिए कॉरपोरेट कल्चर लाएंगे। ताकि पार्टी की ओर से कराए जा रहे हर एक्टिविटी की मानीटरिंग की जा सके और जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूती मिल सके।
पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को देना होगा काम का ब्यौरा
-पार्टी सूत्रों की मानें तो पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से उनके काम का लिखित तौर पर ब्यौरा मांगने की तैयारी की जा रही है।
-अब जब कार्यकर्ता पार्टी के किसी अभियान को लेकर जमीन पर उतरेंगे तो उन्होंने जिन लोगों से मुलाकात की और जहां बैठके की। उसकी जानकारी देनी होगी।
-बताया जा रहा है कि कार्यकर्ताओं को इससे संबंधित फॉर्मेट भी उपलब्ध कराया जाएगा।
पीके से बोले कार्यकर्ता-कांग्रेस आपको हीरो बना देगी
-प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर प्रशांत किशोर को कार्यकर्ताओं के तीख सवालों का भी सामना करना पड़ा।
-नाम न छापने की शर्त पर पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि जब पीके अपने काम के बारे में कार्यकर्ताओं को बता रहे थे।
-उसी समय एक कार्यकर्ता ने उनकी तरफ सवाल उछाला कि आपने केंद्र की मोदी सरकार और बिहार में नीतिश सरकार के पक्ष में कैंपेन किया तो पैसा लिया।
-पीके ने पैसा न लेने की बात कही तो कार्यकर्ताओं ने केंद्र की मोदी और बिहार के नीतिश सरकार की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आपने उनकी सरकार बनवा दी।
-यदि आप कांग्रेस से पैसा लेंगे तो आपने सबको हीरो बना दिया, कांग्रेस आपको हीरो बना देगी।
मधूसूदन मिस्त्री ने क्या कहा
-यूपी कांग्रेस के प्रभारी मधूसूदन मिस्त्री से जब पत्रकारों ने पूछा कि प्रशांत किशोर ने किस रूप में कांग्रेस पदाधिकारियों को संबोधित किया तो उन्होंने कहा कि पीके पार्टी में आगामी चुनावों को लेकर एक सहय़ात्री के रूप में शामिल हुए हैं।
-बैठक में कहा गया कि कैंडिडेट का सेलेक्शन जल्दी कर लेना चाहिए।
-सीएम का नाम हाईकमान तय करेगा।
-मिस्त्री ने यूपी चुनावों के प्रभारी के तौर पर प्रियंका गांधी का नाम लिए जाने को खारिज किया।
'2017 में बने सरकार इस हिसाब से बनाएंगे रणनीति'
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री ने कहा कि यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव के अच्छे परिणाम आएं और यूपी में कांग्रेस की सरकार बन सके। इसको देखते हुए रणीनीति बनाई जाएगी।
बैठक में तय हुई यह बातें
-चुनाव के समय जिलों में क्या रणनीति बनाई जाए।
-जिलों के पदाधिकारियों से इस पर विचार मांगा गया।
-पदाधिकारियों ने जिलों के अलग—अलग मुद्दे सामने रखें।