Pratapgarh News: वृद्ध आश्रम में मनाया गया स्वतंत्रता दिवस, वृद्ध जनों ने बताई अपनी आपबीती

Pratapgarh News: वृद्ध आश्रम में रहने वाले वृद्ध जनों से 15 अगस्त पर खास बातचीत। अपनों के चलते मजबूरी में वृद्ध आश्रम में रहने को मजबूर ये पिता ।

Sanjay Pal Pratapgarh
Published on: 15 Aug 2024 9:36 AM GMT
Pratapgarh News: वृद्ध आश्रम में मनाया गया स्वतंत्रता दिवस, वृद्ध जनों ने बताई अपनी आपबीती
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वृद्ध आश्रम में मनाया गया स्वतंत्रता दिवस   (photo: social media )

Pratapgarh News: 15 अगस्त 1947 में भारत देश आजाद हुआ था। उसके बाद से पूरे देश में आजादी के महोत्सव का पर्व पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। प्रतापगढ़ जिले से करीब 7 किलोमीटर दूर महुली मंडी के समीप एक वृद्ध आश्रम स्थित है। जिसमें सैकड़ों की संख्या में इस वृद्ध आश्रम में वृद्ध रहते हैं। जो आज आजादी के जश्न पर वृद्ध आश्रम के कैंपस में शहर के व्यापारियों के साथ मिलकर तिरंगा फहराकर देश के आजादी पर प्रकाश डालते हुए वृद्ध आश्रम में करीब 22 महिलाएं व 55 पुरुष ने बड़े धूमधाम से झंडा रोहण कर एक दूसरे का मुंह मीठा कराया।

बीमारी के समय मुझे ऐसे ही छोड़ गया बेटा

वृद्ध आश्रम में रह रहे लालता प्रसाद उम्र 84 वर्ष बुजुर्ग से खास बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि आज भारत देश आजादी का जश्न मना रहा है । लेकिन हमारे बच्चे हमको इस वृद्ध आश्रम में रहने के लिए मजबूर कर दिए हैं। घर पर जब रहते थे तो खाना पानी तक नहीं मिला करता था । वही बीमारी के समय वह मुझे ऐसे ही छोड़ दिया करते थे। बहू और दोनों बेटे मुझे घर से जब बाहर निकाल दिए तो बहू और बेटों से तंग आकर मजबूरी में मुझे आज वृद्ध आश्रम में रहना पड़ा । यहां की सुविधा से हम लोग काफी खुश हैं और परिवार की तरह हम लोग आपस में सुबह-शाम बात करते हैं और समय बिता रहे हैं।


बेटा मुझसे आए दिन मारपीट करता था

वहीं जब वृद्ध आश्रम में रहने वाले रामनरेश निवासी गोरखा थाना दिलीपपुर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मेरा बेटा मुझसे आए दिन मारपीट करता था और मुझे जबरन घर से बाहर निकाल दिया था । खाना पीना भी नहीं दिया करता था। हम सब इस उम्मीद के साथ अपने बेटे को और बेटियों को पाल-पोसकर बड़ा करते हैं कि बुढ़ापे में मां-बाप की लाठी का सहारा बनेंगे, लेकिन जब मेरे बच्चे जवान हुए तब मुझे वह घर से धक्के मार कर बाहर निकलने का प्रयास तक करने लगे। बेटे के अत्याचार करने के कारण मैं 2 सालों से इस वृद्ध आश्रम में रहने के लिए मजबूर हूं। लेकिन अब मुझे इस वृद्ध आश्रम में रहते रहते लग रहा कि पूरा परिवार मिल गया है। इसी उम्मीद के साथ हम सब एक दूसरे के साथ खुशी से रह राज है । अब यहां रहने वाले लोगों से मै अच्छी खासी भाईचारे के रूप में रहने लगा हूं। वही वृद्ध आश्रम में अब रहने वाले बुजुर्ग वृद्ध आदमी अपने आप को इसमें इस कदर डाल दिए हैं कि बच्चों की याद आती तो है लेकिन उनके प्रताड़ना के कारण घर जाने के लिए सोच कर भी दिल घबरा जाता है।


इस वृद्ध आश्रम में सबसे ज्यादा 104 साल के उम्र के रहने वाले जयराम जी बताते हैं। कि जब उस समय देश आजाद हुआ था तो छुआ छूत का ज्यादा प्रभाव हुआ करता था और ठेकेदारों के द्वारा हम लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता था। फिलहाल उस समय का ज्यादा तो हम नहीं बता सकते लेकिन कुछ बातें याद है जब अंग्रेजों के जमाने में हम लोगों पर अत्याचार हुआ करता था , भेदभाव हुआ करता था और अब देश आजाद हो गया है, अब आजादी का जश्न मनाया जा रहा है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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