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Prayagraj News: ज्ञान की शाश्वत परम्परा योग का महत्वपूर्ण अंग- प्रोफेसर त्रिपाठी
Prayagraj News: समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रोफेसर एस पी मणि त्रिपाठी, कुलपति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्य प्रदेश ने कहा कि ज्ञान की शाश्वत परम्परा योग का महत्वपूर्ण अंग है।
Prayagraj News: उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के रजत जयंती वर्ष में स्वास्थ्य विज्ञान विद्या शाखा के तत्वावधान में इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर योगिक साइंसेज, बेंगलुरु द्वारा अनुदानित थैरेप्यूटिक योग पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार एवं कार्यशाला का समापन शनिवार को हो गया। समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रोफेसर एस पी मणि त्रिपाठी, कुलपति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्य प्रदेश ने कहा कि ज्ञान की शाश्वत परम्परा योग का महत्वपूर्ण अंग है। योग के माध्यम से हम अपने परिवेश, प्रवृत्ति और प्रकृति से जुड़ते हैं। योग से संयोग बनता है। उन्होंने कहा कि शरीर में सबसे महत्वपूर्ण चित्त है। चित्त वृत्तियों को नियंत्रण में करने का काम योग कर सकता है। योग से मन में विकार नहीं आएगा और तन में विकृति नहीं आएगी।
योग की है बहुत महत्ता - प्रोफेसर त्रिपाठी
प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि योग की बहुत महत्ता है। व्याधियों का योग के माध्यम से निर्मूलन कर सकते हैं। सूर्य नमस्कार के अतिरिक्त सूर्य को जल देने से चमत्कारी प्रभाव दिखाई पड़ता है। उन्होंने कहा कि जीवन का हिस्सा है योग। पतंजलि ने योग को सर्व सुलभ बनाया। योग बहुआयामी है। योग के माध्यम से पंचतत्व के संपर्क में रहते हैं। योग के माध्यम से ब्लड प्रेशर, तनाव, थकान का उपचार किया जा रहा है। योग से तन और मन दोनों स्वस्थ हो जाते हैं। प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि साधक दृष्टि से भी योग साधना करते हैं क्योंकि जो घाव आंख से दिखता है वह जल्दी भर जाता है। पुनः योग का आश्रय लेना चाहिए। हमारी पूरी जीवन चर्या योग से संचालित हो रही है।
योग दुनिया को दे रहा सम्मान - पूर्व कुलपति प्रोफेसर के.बी.पांडे
अध्यक्षता करते हुए कानपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर के बी पांडे ने कहा कि आज दुनिया योग को सम्मान दे रही है। उन्होंने संस्मरण के माध्यम से थैरेप्यूटिक योग का उदाहरण देते हुए बताया कि जर्मनी से पीठ दर्द का इलाज योग से कराने के लिए एक महिला भारत आती थी। इसी तरह योग की महत्ता का वर्णन करते हुए कहा कि नासा के एक वैज्ञानिक नौकरी से त्यागपत्र देकर योग विद्या में पारंगत हो गए। जिन्हें कुछ वर्ष पूर्व कानपुर विश्वविद्यालय ने मानद उपाधि से अलंकृत किया। प्रोफेसर पांडे ने कहा कि हर शिक्षण संस्थान में एक कालखंड योग का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि योग को घर-घर तक ले जाया जाए। योग प्रशिक्षक के लिए युवाओं की फौज तैयार की जाए। सरकार को भी इस तरफ ध्यान देना चाहिए।
कार्यक्रम में उपस्थित हुए विभिन्न लोग
इस अवसर पर सारस्वत अतिथि डॉ योगी देवराज, कुलपति, अमेरिका योग विश्वविद्यालय, फ्लोरिडा, अमेरिका, बेस कैंप बेंगलुरु तथा विशिष्ट अतिथि श्री अनिल कुमार, अपर मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश ने भी विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत संगोष्ठी के संयोजक एवं स्वास्थ्य विज्ञान विद्या शाखा के निदेशक प्रोफेसर जी एस शुक्ल ने किया। दो दिवसीय संगोष्ठी के रिपोर्ट आयोजन सचिव प्रोफेसर जे पी यादव ने प्रस्तुत की। संचालन डॉ मीरा पाल तथा डॉ देवेश रंजन त्रिपाठी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव श्री विनय कुमार ने किया। प्रतिभागियों ने संगोष्ठी के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। इसके पूर्व योग मंडपम स्थल पर योगाभ्यास तथा 24 कुण्डीय यज्ञ चिकित्सा, एक्यूप्रेशर के माध्यम से चिकित्सा, इम्युनिटी एवं योग, जल संरक्षण, पोस्टर प्रेजेंटेशन आदि विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गये।