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पुण्य की डुबकी लगाने में युवाओं पर वृद्धों की आस्था भारी
दिव्य कुंभ की अदभुत आकर्षक चकाचौंध देखने के लिए बच्चों से लेकर युवाओं और बुजुर्गों से लेकर महिलाओं तक सभी में एक उत्साह सा देखने को मिलता है। लेकिन पर्व के अवसर पर शहर के मुख्य चौराहों से वाहनों की आवाजाही को प्रशासन द्वारा रोके जाने के बाद शुरू होता है आस्था और उम्र के संघर्ष का खेल।
कुंभ नगर: दिव्य कुंभ की अदभुत आकर्षक चकाचौंध देखने के लिए बच्चों से लेकर युवाओं और बुजुर्गों से लेकर महिलाओं तक सभी में एक उत्साह सा देखने को मिलता है। लेकिन पर्व के अवसर पर शहर के मुख्य चौराहों से वाहनों की आवाजाही को प्रशासन द्वारा रोके जाने के बाद शुरू होता है आस्था और उम्र के संघर्ष का खेल।
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इस खेल में युवाओं में थकान दिखाई देती है। वह धीरे धीरे इधर उधर दुकानों और पण्डालों को निहारते बढ़ते हैं लेकिन कुंभ में आस्था की डुबकी लगाने आए वृद्ध कंपकंपाती शरीर के बावजूद जुबान पर सिर्फ हर हर गंगे का रट लगाए सरसराती चाल से संगम की ओर अपनी यात्रा को जारी रखते हैं जो संगम में डुबकी लगाने के बाद मिली आत्मसंतुष्टि से तृप्त हो जाते हैं।
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इसके बाद वह सूर्य को अर्ध्य देकर घाट के आस पास के पण्डों के पास दान पुण्य को पहुंचते हैं और फिर वह चारों तरफ घूमते हैं। जिसे जहां प्रसाद ग्रहण का अवसर मिला वह भण्डारे की पंगत में बैठा और प्रसाद ग्रहण कर पुन: अपने गंतव्य को चल पड़ा। सभी की जुबान पर एक बात अवश्य होती है कुंभ तो कई देखे लेकिन इस बार जैसी सुविधाएं कभी नहीं देखी।
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मेले में शौचालय की व्यवस्था कर योगी जी ने मोदी जी के स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाया है तो कोई कहता है कि हिंदुत्व की सरकार है इसलिए मेले में इतनी व्यवस्थाएं हैं लेकिन एक बात तो साफ है कुंभ की भव्यता से सभी अचंभित हैं और अपने चिर परिचितों को भी संदेश दे रहे हैं चलों चले कुंभ चलें।