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प्रयागराज कुंभ: संगम के घाटों पर जुटने को है आस्था का लघुभारत

raghvendra
Published on: 21 Dec 2018 8:30 AM GMT
प्रयागराज कुंभ: संगम के घाटों पर जुटने को है आस्था का लघुभारत
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रतिभान त्रिपाठी

लखनऊ: संगम के तट पर आस्थाट का महासागर उमडऩे को है। भारतीय संस्कृति और परंपरा का महापर्व कुंभ दस्तक दे चुका है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम स्थल पर बिना आमंत्रण के ही करोड़ों लोगों की होने वाली आमद कुंभ के प्रति अगाध आस्था का मौन संदेश है। संगम क्षेत्र में रेत पर विश्व का सबसे बड़ा अस्थाई कुंभ नगर तेजी से आबाद हो रहा है। संतों के साथ ही जनमानस का उल्लास और शासन के प्रबंधतंत्र की सक्रियता बता रही है कि प्रयागराज में जनवरी २०१९ में लगने वाला कुंभ मेला निश्चय ही कई मायनों में अलग और भव्यतम होगा। ‘दिव्यम कुंभ-भव्य कुंभ’ जैसा स्लोगन इस महापर्व की भव्यकता का साक्षी है।

कुंभ पर्व क्यों और कहां-कहां

कुंभ पर्व क्यों होता है। इसका आरंभ कैसे हुआ। इसको लेकर अनेक कथाएं हैं। अमरता की कामना देवताओं में भी रही है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार अमृत कुंभ की खोज इसी अमरता की कामना की पूर्ति के लिए हुई। देवताओं और असुरों दोनों में अक्सर युद्ध होता था। वर्चस्व के लिए होने वाले इस युद्ध में देवता असुरों से पराजित होते थे। एक बार देवता अपनी समस्या लेकर भगवान विष्णुा के पास गए। भगवान विष्णु ने समाधान बताया कि अगर क्षीरसागर का मंथन किया जाए तो उससे अमृत कुंभ निकलेगा। इसमें भरा अमृत पीने से अमरता मिल सकती है। लेकिन यह मंथन अकेले संभव नहीं। इसके लिए असुरों को भी तैयार करना होगा। देवताओं ने असुरों को अमृत का लालच देकर समुद्र मंथन के लिए तैयार कर लिया। इसके लिए मंदराचल पर्वत को मथानी बनाया गया और नागराज वासुकि को रस्सी के रूप में प्रयोग किया गया।

पर्वत नीचे न धंसने पाए, इसके लिए भगवान विष्णुा स्वयं कच्छप बने। कच्छप की पीठ पर मथानी रखकर मंथन किया गया। इसमें एक एक करके 13 रत्न निकले। चौदहवां रत्न अमृत कुंभ था। दोनों पक्षों में अमृत पाने की लालसा थी लेकिन इसी बीच देवराज इंद्र का पुत्र जयंत अमृत कुंभ लेकर आकाश में चला गया। असुर भी उसके पीछे भागे। अमृत कुंभ के लिए दोनों पक्षों में फिर संघर्ष शुरू हो गया। युद्ध के दौरान जिन जिस स्थायनों पर अमृत कुंभ रखना पड़ा वहां आपाधापी में अमृत की बूंदें छलककर गिर पड़ीं, उन्हीं चार स्था?नों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैंन और नासिक में कुंभ पर्व मनाया जाने लगा।

कुंभ योग

देवासुर संग्राम के दौरान उन स्थानों पर जिस कालक्रम और ग्रह-नक्षत्रों के संयोग पर अमृत बूंदें छलकी थीं, उन्हीं ग्रह-नक्षत्र दशाओं में उन उन स्थानों पर कुंभ पर्व मनाया जाता है। ज्योतिषीय आधार पर यह संयोग कुछ स्थानों पर बारह वर्षों पर तो कुछ में छह वर्षों पर बनता है। प्रयागराज में कुंभ पर्व का ज्योातिषीय आधार यह है कि जब मकर राशि में सूर्य और वृष राशि में गुरु का प्रवेश होता है, तब यहां कुंभ पर्व होता है।

प्रयागराज में यह संयोग अगले वर्ष 15 जनवरी से 4 मार्च के बीच होने जा रहा है। इस दौरान 15 जनवरी को मकर संक्रांति, 21 जनवरी को पौष पूर्णिमा, 4 फरवरी को मौनी अमावस्या, 10 फरवरी को बसंत पंचमी और 4 मार्च को महाशिवरात्रि पर गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वरती के पावन संगम में मुख्यज स्नान पर्व पडऩे वाले हैं। इन्हींं स्नान पर्वों के लिए संगम तीरे एक लघु भारत आकार ले रहा है।

ऐसा पहली बार

कुंभ पर्व के 49 दिनों के लिए विश्व का विशालतम अस्थाई नगर बसाने की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। 3200 हेक्टेेअर का मेला क्षेत्र का 20 सेक्टरों में बांटा गया है। इससे पहले वाले कुंभ मेले का क्षेत्र 2 हजार हेक्टेअर का रहा है। शिविर लगाने में निष्पक्षता बरतने के लिए भूमि आवंटन व्यवस्था को कंप्यूटराइज्ड और ऑनलाइन कर दिया गया है। कुंभ क्षेत्र में 20 लाख से अधिक कल्पवासियों के लगभग डेढ़ महीने तक रहने का इंतजाम किया जा रहा है।

कुंभ के दौरान संगम क्षेत्र में 12 करोड़ लोगों के आने का अनुमान है। इनमें 10 लाख विदेशी पर्यटकों के आने की संभावना है। यह पहला अवसर है, जब मेले का विश्वव्यापी प्रचार किया जा रहा है। पहली बार 192 देशों के 5 हजार प्रवासी भारतीय संगम क्षेत्र में पहुंचेंगे। इस महाआयोजन की भव्यता और महत्ता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि मेले की तैयारियां देखने स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाएंगे।

कुंभ की वैचारिक अवधारणा के मद्देनजर दौरान युवा कुंभ, मातृशक्ति कुंभ, समरसता कुंभ, पर्यावरण कुंभ जैसे आयोजन भी वाराणसी, अयोध्या , लखनऊ, मथुरा और प्रयागराज में पहली बार किए जा रहे हैं। प्रदेश की पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी बताती हैं कि दुनिया भर से आने वाले लोगों के लिए कुंभ क्षेत्र में विश्वस्तरीय टेंट कॉलोनी बनाई जा रही है। मेला क्षेत्र में संस्कृति ग्राम विकसित किया जा रहा है। 10 एकड़ भूभाग में एक ऐसा गांव सजाया जा रहा है, जिसमें भारतीय संस्कृति और सभ्यता का विकासक्रम परिलक्षित होगा। शासन के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी बताते हैं कि संस्कृति ग्राम भारतीयों के लिए ही नहीं, दुनिया के अनेक देशों से आने वाले लोगों को भारतीयता के विकासक्रम और तमाम विषयों से परिचित कराने वाला स्थल होगा।

अभेद्य सुरक्षा इंतजामों के साथ साथ कुंभ में आने वाले एक एक व्यक्ति पर नजर रखने के लिए इंटीग्रटेड कमांड कंट्रोल सेंटर बनाया जा रहा है। वीडियो एनालिटक्स के जरिए इतनी बड़ी भीड़ को गिनने के लिए दुनिया की पहली प्रयोगशाला भी कुंभ ही बनेगा।

विश्व का विशालतम आयोजन

प्रयागराज कुंभ की परंपरा बहुत प्राचीन है लेकिन इस बार सब कुछ विशालतम होने की उम्मीद है। मेला क्षेत्र चूंकि संगम की रेत पर आबाद होता है। इसलिए यहां यातायात सुगम बनाने के लिए 141 किलोमीटर की चकर्ड प्लेट की सडक़ें बिछाई जा रही हैं। 106 किलोमीटर सर्विस लेन बन रहीं हैं, जबकि गंगा और यमुना पार करने को 22 पांटून पुल बन रहे हैं।

ड्रेनेज सिस्टम के लिए 150 किलोमीटर पाइप लाइन और 850 किलोमीटर ड्रेनेज के संजाल की तैयारी है। करोड़ों की आबादी के लिए शुद्ध पेयजल भी चाहिए। लिहाजा इसके लिए 800 किलोमीटर पाइप लाइनें बिछाकर 5 हजार नल कनेक्शन दिये जाएंगे। 200 वाटर एटीएम, 100 हैंडपंप और 150 वाटर टैंकरों की व्यवस्था भी रहेगी ताकि किसी को पेयजल की किल्लत न होने पाये।

स्वच्छता पहली प्राथमिकता

मेला क्षेत्र में सवा लाख शौचालय बनाये जा रहे हैं। कोई खुले में शौच करे, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है। 11 हजार सफाई कर्मी मेले के चप्पे - चप्पे की सफाई का ध्यान रखेंगे। इतने बड़े क्षेत्र में कचरा प्रबंधन के लिए 20 हजार लाइनर बैग के साथ डस्टबिन लगाए जा रहे हैं। स्वतच्छता और सुंदरीकरण का ध्यान रखते हुए 40 कॉम्पैक्टर और 120 टिपर्स की भी तैनाती की जा रही है। एक हजार स्वछच्छता प्रहरी और स्वच्छताग्रही भी तैनात किये जा रहे हैं जो लोगों को जागरूक करेंगे। स्नान घाटों का विकास किया जा रहा है। महिलाओं को कपड़े बदलने के लिए भी चेंज रूम यहां रहेंगे। एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक अस्परताल भी स्थापित किये जाएंगे।

कुंभ तत्व की व्याख्या

कुंभ की शाब्दिक व्याख्या तो घट या कलश है जो मंगलकारी माना जाता है। भारतीय परंपरा में किसी भी पूजन कार्य से पहले कलश स्थायपना की जाती है। यह कल्याणकारी माना जाता है। लोक कल्याण के लिए कुंभ को अमृत कलश का रूप माना गया है। प्राचीनकाल में ऋषि मुनि और ज्ञानीजन आत्म साक्षात्कार रूपी अमृत प्राप्त करने और लोक कल्याण की कामना से प्रयागराज समेत अन्य कुंभ स्थलों पर एकत्र होते थे और यज्ञादि आध्यात्मिक साधनाओं के साथ ही समसामयिक समस्याओं पर शास्त्रों के आधार पर विचार-विमर्श करते थे। विमर्श में अमृतरूपी जो ज्ञान प्रकाशित होता था, उसका सामाजिक प्रयोग करते थे। यह ज्ञान समाज के लिए संजीवनी का काम करता था। यही अमृत का प्रतीक था जो जगत कल्या्ण के नए द्वार खोलता था। कुंभ पर्व के जरिए आज भी उसी परंपरा का निर्वहन हो रहा है।

कुंभ ने बदली प्रयागराज की सूरत

कुंभ मेला प्रयागराज शहर के अनेक क्षेत्रों में सुंदरीकरण और नवीनीकरण के लिए वरदान बनकर आता है। यह बात अलग है कि सुंदरीकरण और नवीनीकरण की घोषणाओं में सबकी सब समय से पूरी नहीं हो पाती हैं। इनमें ठेकेदार और अफसर-कर्मचारी मिलकर कुछ न कुछ गड़बड़ी भी करते हैं। बावजूद इसके जितना कुछ बदलाव हो जाता है, वह अगले कुंभ मेले तक शहर को काफी हद तक ठीक रखने में मददगार ही साबित होता है।

इस कुंभ में प्रयागराज शहर को दो तरह से फायदा हुआ है। एक तो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में आधुनिकता लाने की कोशिश और दूसरे हैं कुंभ मेले के मद्देनजर निर्माण और नवीनीकरण के काम। अब इन दोनों तरह के कामों से आम आदमी के लिए यह समझ पाना कुछ कठिन है कि कौन काम किस प्रोजेक्ट के तहत कराया जा रहा है लेकिन हाईकोर्ट के सामने से गुजरने वाला ओवरब्रिज यह सुखद अहसास कराता है कि लोगों को लंबे जाम में नहीं फंसना पड़ रहा। यह ओवरब्रिज न केवल कुंभ के नजरिए फायदेमंद साबित होगा, वरन प्रयागराजवासियों के लिए जो सिविल लाइंस और शहर के दूसरे हिस्सों से सुलेमसराय, धूमनगंज और बमरौली एअरपोर्ट जाने वाले होंगे, या फिर कौशाम्बी, फतेहपुर और कानपुर की ओर जाने वाले होंगे, उन्हें जाम से निजात मिल गई है।

यही नहीं, गोविंदपुर से मम्फोर्डगंज की ओर आने वालों को तथा मेडिकल चौराहे से रामबाग की ओर जाने वालों को रेलवे क्रॉसिंग में भी नहीं फंसना पड़ेगा, क्योंकि यहां भी ओवरब्रिज बन गए हैं। ऐसे ही अलग अलग इलाकों में 9 ओवब्रिज और 6 रेलवे सिरोपरि ब्रिज बनाये जा रहे हैं। कुंभ के मद्देनजर नागरिक हवाई अड्ड़े पर नये टर्मिनल का निर्माण भी कुंभ के मौके पर हुआ है, जो शहर के लोगों को हमेशा के लिए एक नए निर्माण के रूप में मिला है।

जितना काम हो रहा है, उससे शहर में काफी तब्दीली दिख रही है। म्योर रोड, चौड़ी दिखने लगी है। जानसेनगंज तरफ जाने वाली सडक़ भी ठीक हुई है। चकिया, राजरूपपुर, दारागंज, सोहबतियाबाग, अलोपीबाग, कीडगंज, मु_ीगंज आदि क्षेत्रों की सडक़ें ठीक दिखने लगी हैं। भरद्वाज पार्क समेत दर्जनों पार्कों का सुंदरीकरण हो रहा है। प्रमुख सडक़ों पर बने 32 चौराहे ठीक से बनाकर उनको सजाया संवारा जा रहा है। अगर काम समय से पूरा हो गया तो प्रयागराज शहर एक नायाब शहर के रूप में दिखेगा, इसमें शक नहीं।

खाने-पीने की व्यवस्था

संगम तट पर इतनी बड़ी आबादी के खान-पान की व्यवस्था के लिए आपूर्ति विभाग मुस्तैद है। दस लाख राशन कार्ड बनाकर कल्पपवासियों और मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को आटा, चावल, चीनी, दूध, तेल-घी, केरोसिन आदि के लिए जगह जगह दुकानें होंगी। 200 से अधिक मिल्क बूथ बनेंगे। चूंकि मेला क्षेत्र में भंडारे चलते हैं इसलिए यहां लाखों टन खाद्य सामग्री की खपत होती है। ऐसे में अखाड़ों और संतों के शिविरों तक खाद्य सामग्री पहुंचाने के लिए विशेष परमिट जारी किये जा रहे हैं।

जल-थल-नभ से सुरक्षा

जहां करोड़ों लोग पहुंच रहे हों, वहां सुरक्षा इंतजाम कितनी बड़ी चुनौती है। इसके लिए न केवल 40 थाने और 62 पुलिस चौकियां बनाई जा रही हैं, वरन जल पुलिस और हेलीकॉप्टर के जरिए भी सुरक्षा चौकसी बरती जाएगी। 40 वाच टॉवरों से दूरबीनों के जरिए लोगों पर नजर रखी जाएगी। सेंट्रल कंट्रोल रूम से पूरे मेले पर नजर रखी जाएगी। इस योजना पर अमल के लिए एक हजार से अधिक कैमरे लगाये जा रहे हैं। 40 फायर ब्रिगेड सेंटर भी बनाए जा रहे हैं।

अस्थाई शहर में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए तकरीबन 24 हजार सुरक्षा कर्मी तैनात किये जा रहे हैं। सुरक्षा बलों में सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, एसएसबी, पीएसी के साथ ही एसटीएफ, एटीएस, नेशनल सिक्योारिटी गार्ड्स के अलावा खुफिया दस्ते भी जगह जगह तैनात होंगे। मेला यातायात प्रबंधन के लिए 94 पार्किंग स्थ्ल और भीड़ प्रबंधन के लिए 85 होल्डिंग क्षेत्र बनाये गये हैं। यात्रियों को किधर से आना है, किधर जाना है, इसके लिए 2 हजार डिजिटल साइनेज लगाए जा रहे हैं। डिजिटल साइनेज सिस्टगम को गूगल से जोड़ा जा रहा है, जिससे कि किसी भी यात्री को अपने गंतव्यल तक पहुंचने में परेशानी न हो।

आवागमन के साधन

उत्तर प्रदेश परिवहन निगम एक हजार से अधिक स्पेशल बसें कुंभ के दौरान चलाएगा। मेला अवधि में सवा पांच सौ शटल बसें और हजारों सीएनजी ऑटो चलाए जाएंगे। उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह कहते हैं कि परिवहन विभाग ने इस बार ऐसे इंतजाम किये हैं कि श्रद्धालु यहां पहुंचकर बेहतर अनुभव करेंगे। रेलवे ने 800 से अधिक विशेष ट्रेनों का भी इंतजाम किया है, ताकि भारत के हर कोने से प्रयागराज तक पहुंच आसान हो सके। स्टेशनों का भी कायाकल्प किया जा रहा है।

कैश नहीं तो चिंता की बात नहीं

कुंभ मेला में 20 बैंक शाखाएं और 20 एटीएम भी होंगे। फारेन करेंसी एक्सचेंज के लिए भी 3 केंद्र होंगे। मेला क्षेत्र के लिए 30 मोबाइल टॉवर, 10 फ्री वाई-फाई जोन और 20 रिचार्ज काउंटर भी लगाये जायेंगे।

मेले में खोयेंगे नहीं

कुंभ मेले में अगर कोई बिछड़ता भी है तो खोया-पाया केंद्र के जरिए अपनों तक पहुंचा दिया जाता है। इसके लिए मेले में 15 खोया-पाया केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं। इन सभी केंद्रों को एलईडी स्क्रीन और कंप्यूटर प्रणाली के जरिए सूचनाएं और फोटो प्रसारित कर फौरन परिजनों से मिला दिया जाएगा। इसके लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया है।

मनोरंजन के सारे संसाधन

अगर आप पर्यटन के नजरिए से आये हैं। कुंभ क्षेत्र के अलावा प्रयागराज शहर और आसपास के पर्यटन स्थेल देखने के इच्छुक हैं तो उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने इस बार वह इंतजाम भी कर रखा है। ढाई हजार प्रशिक्षित टूरिस्ट गाइड जो खासतौर पर हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखते हैं, मदद को उपलब्ध रहेंगे। संस्कृति और पर्यटन विभाग की ओर से मेला अवधि में 200 से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बना रखी है। इस दौरान लेजर लाइट एंड साउंड शो, फसाड लाइटिंग, टूर पैकेज भी उपलब्ध होंगे।

सितारे जमीन पर उतारने का अंदाज

कुंभनगर का कोना-कोना जगमगाने की तैयारी है। कुंभ क्षेत्र में 54 अस्थाई सब स्टेमान बनाकर एक हजार किलोमीटर बिजली के तार बिछाये जा रहे हैं। इनके जरिए 175 हाईमास्ट व उनमें करीब 41 हजार एलईडी लाइट्स लगाई जाएंगी। हर कैंप रोशन हो, इसके लिए 2 लाख 80 हजार कनेक्शन देने की योजना है।

महिलाओं के लिए बनेंगे पिंक टॉयलेट

कुंभ मेले के दौरान साफ-सफाई के इंतजाम को खास तवज्जो दी जा रही है। इसी सिलसिले में नगर निगम द्वारा दो सौ टॉयलेट बनाए जा रहे हैं। महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट अलग से बनाए जाएंगे। कुंभ उत्सव के दौरान नगर में स्वच्छता बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है, इसी के मद्देनजर नगर निगम ने कुम्भ के दौरान हर पांच सौ मीटर के दायरे में लोगों को टॉयलेट उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है। शहर में दो सौ माडर्न टॉयलेट बनाए जा रहे हैं, वहीं सीएसआर के माध्यम से लड़कियों और महिलाओं के लिए 15 पिंक टॉयलेट भी बनाए जाएंगे। मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी के मुताबिक पिंक टॉयलेट का संचालन भी पूरी तरह से ही महिलाएं ही करेंगी। मेले के दौरान शहर के एंट्री प्वांट्स और संगम नोज पर मोबाइल टॉयलेट भी लगाये जाएंगे। कुम्भ की तैयारियों को लेकर इलाहाबाद में कराए जा रहे 704 विकास कार्यों में से लगभग 165 निर्माण कार्य नगर निगम इलाहाबाद करा रहा है।

कुंभ 2019 के मुख्य आकर्षण

कुम्भ के आयोजनों में पेशवाई का महत्वपूर्ण स्थान है। ‘‘पेशवाई’’ प्रवेशाई का देशज शब्द है जिसका अर्थ है शोभायात्रा जो विश्व भर से आने वाले लोगों का स्वागत कर कुम्भ मेले के आयोजन को सूचित करने के निमित्त निकाली जाती है। पेशवाई में साधु-सन्त अपनी टोलियों के साथ बड़ी धूम-धाम से प्रदर्शन करते हुए कुम्भ में पहुँचते हैं। हाथी, घोड़ों, बग्घी, बैण्ड आदि के साथ निकलने वाली पेशवाई के स्वागत एवं दर्शन हेतु पेशवाई मार्ग के दोनों ओर भारी संख्या में श्रद्धालु एवं सेवादार खड़े रहते हैं जो शोभायात्रा के ऊपर पुष्प वर्षा एवं नियत स्थलों पर माल्यापर्ण कर अखाड़ों का स्वागत करते हैं।

अखाड़ों की पेशवाई एवं उनके स्वागत व दर्शन को खड़ी अपार भीड़ पूरे माहौल को रोमांच से भर देती है। पेशवाई का मार्ग, तिथि, समय एवं दल में सदस्यों की अनुमानित संख्या पूर्व निर्धारित होती है, जिससे मेला प्रशासन एवं अन्य सेवा दल आवश्यक व्यवस्थाओं को सुनिश्चित कर सके।

सांस्कृतिक आयोजन

उत्तर प्रदेश राज्य सरकार एवं भारत सरकार ने भारत की समृद्ध व विभिधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत का निदर्शन कराने हेतु सभी राज्यों के संस्कृति विभागों को गतिशील किया है। कुंभ मेला, 2019 में पांच विशाल सांस्कृतिक पंडाल स्थापित किये जायेंगे। जिनमें जनवरी, 2019 में एवं आगे दैनिक आधार पर सांगीतिक प्रस्तुति से लेकर पारंपरिक एवं लोक नृत्य के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की जायेगी। पंडालों के वर्गीकरण में गंगा पंडाल सभी पण्डालों से अधिक वृहदाकार होगा जिसमें सभी बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकेंगा। प्रवचन पण्डाल और 4 सम्मेलन केन्द्र जो उच्चतम गुणवत्ता की सुविधायें यथा मंच, प्रकाश और ध्वनि प्रसारण तंत्र के साथ आयोजन हेतु स्थापित किये जाने हैं जिसमें अखाड़ों की सहायता से विभिन्न आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकेगा।

आकर्षक टूरिस्ट वॉक

उत्तर प्रदेश सरकार अपने वर्तमान सुनियोजित पर्यटक भ्रमण पथों में नवसुधार करेगी तथा इलाहाबाद आने वाले सम्भावित पर्यटकों के लिए नवीन पथ भी आरम्भ करेगी। टूर आपरेटरों द्वारा प्रदत्त सेवा की गुणवत्ता में उन्नयन हेतु पर्यटन विभाग द्वारा संवेदनशीलता तथा विकास विषयक कार्यशालायें आयोजित की जायेगी।

जलमार्ग

जल परिवहन प्राचीन काल से नदियों, झीलों व समुद्र के माध्यम से मानव सभ्यता की सेवा करता आ रहा है। जल पर्यटन सदैव समस्त पर्यटन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और सदैव अन्य की अपेक्षा इसके विकास को वरीयता दी गयी है। कुम्भ 2019 के पावन पर्व पर भारतीय अंतर्देशीय जल मार्ग प्राधिकरण यमुना नदी पर संगम घाट के निकट फेरी सेवाओं का संचालन कर रहा है। इस सेवा के लिए जल मार्ग सुजावन घाट से शुरू होकर रेल सेतु (नैनी की ओर) के नीचे से वोट क्लब घाट व सरस्वती घाट से होता हुआ किला घाट में समाप्त होगा। इस 20 किमी0 लम्बे जल मार्ग पर अनेक टर्मिनल बनाये जायेंगे और बेहतर तीर्थयात्री अनुभवों के लिए मेला प्राधिकरण नौकायें व बोट उपलब्ध करायेगा।

लेजर लाइट शो

कुंभ मेला-2019 में भारी संख्या में आने वाले तीर्थयात्रियों, धार्मिक गुरुओं तथा देश-विदेश के पर्यटकों के अनुभवों को बेहतर बनाने की चेष्टा में उत्तर प्रदेश सरकार लेजर प्रकाश एवं ध्वनि प्रदर्शन हेतु प्रावधान कर रही है, यह प्रदर्शन किले की दीवार पर संचालित किया जायेगा।

परिचायक प्रवेशद्वार

इतिहास में पहली बार कुम्भ मेला-2019 बीस से अधिक परिचायक अस्थायी प्रवेशद्वारों का साक्षी होगा जो कि मेला प्रांगण की ओर जा रहे मार्गों को तथा मेले के विभिन्न सेक्टरों को चिन्हित करेंगे।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यह अभिनव उपाय कुम्भ मेले के सौदर्यात्मक महत्व को बढ़ाने हेतु इन अस्थायी परिचायक प्रवेशद्वारों की डिजाइन तैयार कर रचना की गयी है जो कि रणनीतिक दृष्टिकोण से स्थापित किये जायेगे। प्रत्येक प्रवेशद्वार की स्थानीय संदर्भो से जुड़ी सामाजिक धार्मिक कारकों, संस्कृति एवं परंपरा, स्थानीय निर्माण पद्धतियों एवं सबसे महत्वपूर्ण व्यवहारिकता और पुनर्प्रयोज्यता प्रेरित अपनी पहचान होगी।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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